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हिमाचल: जेसीसी बैठक तो करवा दी, अब सरकार के लिए आगे कुआं पीछे खाई, पढ़ें पूरा मामला
सुरेश शांडिल्य, अमर उजाला, शिमला
Published by: Krishan Singh
Updated Tue, 30 Nov 2021 02:49 AM IST
सार
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में दो दिन पहले पीटरहॉफ शिमला में हुई इस बैठक के बाद जहां इन फैसलों को धरातल पर उतारने के लिए 18 से 20 हजार करोड़ रुपये की रकम जुटाना 62 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी सरकार के लिए चुनौती होगा, वहीं अब असंतुष्ट कर्मचारियों और कामगारों को न्यायोचित वित्तीय लाभ देना भी टेढ़ी खीर होगा, जो सड़कों पर उतर चुके हैं।
संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक(फाइल)
- फोटो : अमर उजाला
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हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार ने कर्मचारियों की जेसीसी बैठक तो करवा ली, लेकिन अब आगे कुआं पीछे खाई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में दो दिन पहले पीटरहॉफ शिमला में हुई इस बैठक के बाद जहां इन फैसलों को धरातल पर उतारने के लिए 18 से 20 हजार करोड़ रुपये की रकम जुटाना 62 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी सरकार के लिए चुनौती होगा, वहीं अब असंतुष्ट कर्मचारियों और कामगारों को न्यायोचित वित्तीय लाभ देना भी टेढ़ी खीर होगा, जो सड़कों पर उतर चुके हैं। सोमवार को भाजपा के लिए मुलायम कोना रखने वाला भारतीय मजदूर संघ जिस आक्रामकता से पेश आया, वह भी सरकार की चिंता बढ़ाने वाला है। अगले वित्तीय वर्ष में केंद्र से लगभग 12 हजार करोड़ रुपये कम ग्रांट मिलेगी।
राजस्व घाटा अनुदान, जीएसटी प्रतिपूर्ति आदि में कटौती हो रही है। नए वेतन अगर छह हजार करोड़ रुपये चाहिए तो इसके एरियर के लिए 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रकम देनी होगी। एरियर की ज्यादा किस्तें बनाईं तो भी कर्मचारी संतुष्ट नहीं होंगे। चुनावी साल से पहले पंजाब के बाद हिमाचल को नए वेतनमान देने की बाध्यता है। जेसीसी बैठक के दूसरे दिन खुद को अनुबंध जैसी स्थिति में मान रहे पुलिस कांस्टेबल कह रहे हैं कि जब अनुबंध कर्मचारी तीन के बजाय अब दो साल बाद नियमित होंगे तो उन्हें एक ही पे बैंड पर आठ साल क्यों रखा जा रहा है। पहली बार हुआ कि सैकड़ों पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री के आवास के बाहर नाराज होकर बावर्दी जुटे। इन्हें भरोसा दिलाकर शांत किया था कि तीसरे दिन आंगनबाड़ी, आशा, सिलाई-कढ़ाई श्रमिकों के करीब 50 संगठन भारतीय मजदूर संघ के बैनर के नीचे जुटकर पुलिस बल से ही भिड़ गए। आगामी दिनों में बेरोजगार और अस्थायी शिक्षकों के संगठन सड़कों पर उतरने की योजना बना चुके हैं।
विस्तार
हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार ने कर्मचारियों की जेसीसी बैठक तो करवा ली, लेकिन अब आगे कुआं पीछे खाई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में दो दिन पहले पीटरहॉफ शिमला में हुई इस बैठक के बाद जहां इन फैसलों को धरातल पर उतारने के लिए 18 से 20 हजार करोड़ रुपये की रकम जुटाना 62 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी सरकार के लिए चुनौती होगा, वहीं अब असंतुष्ट कर्मचारियों और कामगारों को न्यायोचित वित्तीय लाभ देना भी टेढ़ी खीर होगा, जो सड़कों पर उतर चुके हैं। सोमवार को भाजपा के लिए मुलायम कोना रखने वाला भारतीय मजदूर संघ जिस आक्रामकता से पेश आया, वह भी सरकार की चिंता बढ़ाने वाला है। अगले वित्तीय वर्ष में केंद्र से लगभग 12 हजार करोड़ रुपये कम ग्रांट मिलेगी।
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राजस्व घाटा अनुदान, जीएसटी प्रतिपूर्ति आदि में कटौती हो रही है। नए वेतन अगर छह हजार करोड़ रुपये चाहिए तो इसके एरियर के लिए 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा रकम देनी होगी। एरियर की ज्यादा किस्तें बनाईं तो भी कर्मचारी संतुष्ट नहीं होंगे। चुनावी साल से पहले पंजाब के बाद हिमाचल को नए वेतनमान देने की बाध्यता है। जेसीसी बैठक के दूसरे दिन खुद को अनुबंध जैसी स्थिति में मान रहे पुलिस कांस्टेबल कह रहे हैं कि जब अनुबंध कर्मचारी तीन के बजाय अब दो साल बाद नियमित होंगे तो उन्हें एक ही पे बैंड पर आठ साल क्यों रखा जा रहा है। पहली बार हुआ कि सैकड़ों पुलिसकर्मी मुख्यमंत्री के आवास के बाहर नाराज होकर बावर्दी जुटे। इन्हें भरोसा दिलाकर शांत किया था कि तीसरे दिन आंगनबाड़ी, आशा, सिलाई-कढ़ाई श्रमिकों के करीब 50 संगठन भारतीय मजदूर संघ के बैनर के नीचे जुटकर पुलिस बल से ही भिड़ गए। आगामी दिनों में बेरोजगार और अस्थायी शिक्षकों के संगठन सड़कों पर उतरने की योजना बना चुके हैं।
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