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HP High Court: परिवीक्षा अवधि के दौरान नहीं की जा सकती प्रचारात्मक पद की तलाश

पुष्पेंद्र वर्मा, शिमला Published by: अरविन्द ठाकुर Updated Tue, 31 Jan 2023 11:44 AM IST
सार

खंडपीठ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि पदोन्नत पद पर यदि कर्मचारी की परीवीक्षा अवधि पूरी नहीं हुई है तो उस स्थिति में वह पहले वाले पद पर प्रत्यावर्तन का अधिकार नहीं रखता है।

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वरीयता और पदोन्नति के मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था दी है। अदालत ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि पद पर स्थायी न होने तक कर्मचारी का कोई ग्रहणाधिकार नहीं है। इसके अतिरिक्त परीवीक्षा अवधि (प्रोबेशन पीरियड) के दौरान कोई भी कर्मचारी प्रचारात्मक पद की तलाश नहीं कर सकता है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने नीलम शर्मा की अपील को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया।



नीलम शर्मा ने पदोन्नत पद पर परीवीक्षा अवधि पूरी न होने पर पहले वाले पद पर प्रत्यावर्तन का अधिकार जताया था। खंडपीठ ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि पदोन्नत पद पर यदि कर्मचारी की परीवीक्षा अवधि पूरी नहीं हुई है तो उस स्थिति में वह पहले वाले पद पर प्रत्यावर्तन का अधिकार नहीं रखता है। अदालत ने पाया कि जब नीलम शर्मा ने इंस्पेक्टर ग्रेड-टू के पद से प्रधान विश्लेषक के पद पर स्वयं पदोन्नति चुनी है तो उस स्थिति में वह परीवीक्षा अवधि पूरी न होने पर इंस्पेक्टर ग्रेड-टू के पद के लिए प्रत्यावर्तन का अधिकार नहीं रखती।


मामले के अनुसार याचिकाकर्ता और प्रतिवादी पूर्ण चंद वर्ष 1988 में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पद तैनात हुए थे। विभाग ने बाद में इस पद का नाम इंस्पेक्टर ग्रेड-टू किया। भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत इंस्पेक्टर ग्रेड-टू से दो पदों पर पदोन्नति हो सकती है। पहले के अनुसार इंस्पेक्टर ग्रेड-टू से इंस्पेक्टर ग्रेड- वन और दूसरे के तहत प्रधान विश्लेषक के पद पर पदोन्नत हो सकते है।

18 जुलाई 2006 को नीलम शर्मा ने इंस्पेक्टर ग्रेड-टू से प्रधान विश्लेषक के पद की पदोन्नति चुनी। इसी तरह प्रतिवादी पूर्ण चंद ने 9 फरवरी 2007 को इंस्पेक्टर ग्रेड-वन की पदोन्नति चुनी। एक वर्ष की अवधि के बाद नीलम शर्मा ने विभाग को प्रतिवेदन किया कि उसे प्रधान विश्लेषक के पद से प्रत्यावर्तन कर इंस्पेक्टर ग्रेड-टू बनाया जाए और उसके बाद इंस्पेक्टर ग्रेड- वन के पद पर पदोन्नत किया जाए।

विभाग ने नीलम शर्मा के प्रतिवेदन को स्वीकार कर उसे 10 जनवरी 2007 से इंस्पेक्टर ग्रेड- वन के पद पर पदोन्नति दी गई। इस पदोन्नति के कारण वह पूर्णचंद से वरिष्ठ हो गई। इस वरिष्ठता को पूर्णचंद ने एकलपीठ के समक्ष चुनौती दी। एकलपीठ ने नीलम शर्मा की वरीयता को रद्द कर दिया। एकलपीठ के इस निर्णय को नीलम शर्मा ने खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

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