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Punjab RPG Attack: एक चूक इंदिरा और बेअंत सिंह के बलिदान पर फेर सकती है पानी, कहीं 80 के दशक की आहट तो नहीं!

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Mon, 12 Dec 2022 08:16 PM IST
सार

Punjab RPG Attack: पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के मुताबिक, 'एसएफजे' पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी 'आईएसआई' के हाथ में खेल रहा है। पन्नू ने गत जून में पाकिस्तान पहुंच कर मीडिया के सामने खालिस्तान का नया नक्शा पेश किया था। नक्शे में 'शिमला' को खालिस्तान की 'भविष्य की राजधानी' बताया गया...

Punjab RPG attack: तरनतारन आरपीजी हमला।
Punjab RPG attack: तरनतारन आरपीजी हमला। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार

पंजाब में कुछ ही महीनों के दौरान सरहद पार से 200 ड्रोन आ जाते हैं। बहुत से ड्रोन मार गिराए गए। हथियार, गोला बारूद व ड्रग्स बरामद किया गया। पहले, पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस मुख्यालय पर रॉकेट-चालित ग्रेनेड से हमला हुआ, तो अब तरनतारन के थाने को रॉकेट लॉन्चर से निशाना बनाया गया है। विभिन्न इलाकों में खालिस्तानी मूवमेंट के पोस्टर नजर आते हैं। रॉकेट लॉन्चर अटैक की जिम्मेदारी, प्रतिबंधित संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' द्वारा ली जाती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की सूची में 'एसएफजे' के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू को आतंकी घोषित किया गया है।

सुरक्षा मामलों के जानकार बताते हैं, ये बहुत खतरनाक स्थिति है। जम्मू-कश्मीर में भले ही केंद्रीय एजेंसियों एवं सुरक्षा बलों की मुस्तैदी से आतंकवाद पर नकेल कस रही है, लेकिन अब 'पंजाब' में तीस वर्ष पहले जैसे हालात पैदा करने का प्रयास हो रहा है। हालांकि अभी पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट को सामाजिक स्वीकृति नहीं मिली है, लेकिन इस मुहिम के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाने के आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं। किसी भी पक्ष द्वारा इस मामले में बरती गई जरा सी ढिलाई पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री सरदार बेअंत सिंह सहित अनेक लोगों के बलिदान पर पानी फेर सकती है।

पाकिस्तानी आईएसआई के हाथ में खेल रहा 'पन्नू'

पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के मुताबिक, 'एसएफजे' पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी 'आईएसआई' के हाथ में खेल रहा है। पन्नू ने गत जून में पाकिस्तान पहुंच कर मीडिया के सामने खालिस्तान का नया नक्शा पेश किया था। नक्शे में 'शिमला' को खालिस्तान की 'भविष्य की राजधानी' बताया गया। विदेश में बैठा पन्नू, आईएसआई के इशारे पर पंजाब में अशांति फैलाने का प्रयास कर रहा है। पंजाब पुलिस की इंटेलिजेंस विंग में लंबे समय तक काम कर चुके एक अधिकारी बताते हैं, हालात उतने सामान्य नहीं हैं। एक छोटी सी चूक, बड़ी तबाही का कारण बन सकती है। इससे पहले पंजाब में सीमा पार से कभी इतने ड्रोन नहीं आए। इसके पीछे कोई तो है। बीएसएफ अपना काम कर रही है। पंजाब पुलिस को इस मामले में बहुत ज्यादा सावधान होने की जरूरत है। 'खालिस्तान स्थापना दिवस' मनाने का एलान, सार्वजनिक स्थलों पर एसएफजे के पोस्टर लगना, खालिस्तानी मुहिम के समर्थक सिमरनजीत सिंह मान का सांसद चुना जाना, शिवसेना नेता सुधीर सूरी की दिन दहाड़े हत्या, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बाहर खालिस्तान के पोस्टर, जनमत संग्रह की घोषणा और पुलिस के दो भवनों पर रॉकेट लॉन्चर अटैक, ये सब घटनाएं सामान्य नहीं हैं।

ढीली राजनीतिक इच्छा शक्ति मचा सकती है बवाल

अधिकारी के मुताबिक, चूंकि पंजाब, आतंकवाद का एक बुरा दौर झेल चुका है, ऐसे में अब ढीली राजनीतिक इच्छा शक्ति, बड़ा बवाल मचा सकती है। पंजाब में अभी बड़े स्तर पर खालिस्तानी मुहिम को सामाजिक स्वीकृति नहीं मिली है। कुछ घटनाएं हुई हैं। आज राजनीतिक इच्छाशक्ति को मजबूत होना पड़ेगा। खालिस्तान के पनपने की संभावना को खत्म करना होगा। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान बेरोजगारों पर देने की जरूरत है। दूसरा, पंजाब से नशे को पूरी तरह खत्म करना होगा। किसानों की मांगों को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा कहते हैं, पंजाब को तोड़ने का प्रयास करने वालों से समर्थन लिया जा रहा है। उनका इशारा मौजूदा सरकार की ओर है। शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा कहते हैं, इस मामले में पुलिस को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने कहा, पुलिस थाने पर रॉकेट लॉन्चर से जो हमला किया गया है, उसमें मिलिट्री ग्रेड के हथियार का इस्तेमाल हुआ है। इस हमले में पाकिस्तान का हाथ हो सकता है। पिछले कुछ ही महीनों में लगभग 200 ड्रोन सरहद पार से पंजाब में आ चुके हैं। रॉकेट लॉन्चर के हमलावरों को हर सूरत में गिरफ्तार किया जाएगा।

सिख फॉर जस्टिस व सहयोगी संगठनों पर एक्शन जरूरी

प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन, सिख फॉर जस्टिस ने थाने पर रॉकेट से किए गए ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी ली है। इतना ही नहीं, एसएफजे द्वारा आने वाले दिनों में भी इस तरह के हमले करने की बात कही गई है। पन्नू ने पाकिस्तान में यह घोषणा की थी कि वह 26 जनवरी 2023 को 'पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम' शुरू करेगा। ये रेफरेंडम पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में एक साथ होगा। जांच एजेंसियों ने कई देशों में मौजूद खालिस्तानी संगठनों पर एक्शन के लिए कदम आगे बढ़ाया है। हालांकि इसमें राजयनिक एवं कूटनीतिक उपायों की मदद लेनी पड़ रही है। एसएफजे, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स जैसे कई आतंकी संगठनों और आईएसआई का गठजोड़, इसे तोड़ने के लिए कई केंद्रीय एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। पंजाब पुलिस के एक अन्य अधिकारी बताते हैं, अगर खालिस्तान और इससे जुड़ी वारदातों को रोकना है, तो उसके लिए मुख्य टारगेट वर्ग 'युवाओं' को भरोसे में लेना होगा। अगर उनके पास काम नहीं होगा, तो ऐसी वारदातें बढ़ती चली जाएंगी। पंजाब में किसी भी तरह से सही, मगर खालिस्तान को थोड़ा बहुत समर्थन तो मिल ही रहा है। युवा हों या किसान संगठन, इनसे जुड़े मुद्दों पर सरकार को सतर्कता बरतनी होगी। अगर मौजूदा स्थिति में कोई ये कहे कि पंजाब में खालिस्तान मूवमेंट के कोई जगह नहीं है, तो वह गलतफहमी में है। विदेश में बैठे आतंकियों को कुछ करने का मौका मिल रहा है तो इसका मतलब है कि उन्हें कुछ लोगों का समर्थन हासिल है। समर्थन का विस्तार होने में देर नहीं लगती।

इस लड़ाई में पहली एजेंसी 'पंजाब' सरकार है

पुलिस अधिकारी के अनुसार, केंद्रीय एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। बीएसएफ भी अच्छे से अपनी ड्यूटी पर है। यहां पर सबसे ज्यादा सतर्कता पंजाब सरकार को बरतनी होगी। एसएफजे के समर्थकों पर नजर ही नहीं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी। लोकल पुलिस, इस लड़ाई में पहली कड़ी है। पुलिस प्रतिष्ठानों को टारगेट करना, पंजाब आर्म्ड पुलिस (पीएपी) परिसर की दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखना और साथ ही में यह कहना कि वे रॉकेट लॉन्चर चलाना भी जानते हैं, ये सामान्य घटना नहीं है। यह सब एक चेन का हिस्सा है। भले ही रॉकेट लॉन्चर के हमलों में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन यह संदेश देने के लिए काफी है कि जान-माल का जोखिम कभी भी हो सकता है। कानूनी भाषा में इसे माहौल बिगाड़ना, भय पैदा करना कह सकते हैं, लेकिन खालिस्तान मूवमेंट का खाका रचने वालों के लिए यह सब मील का पत्थर है। वे अपने टारगेट पर आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में पंजाब सरकार और स्थानीय राजनीतिक दलों को सावधानी बरतनी होगी। अगर यहां से कोई ढिलाई या चूक बाहर निकलती है तो पंजाब में दोबारा से अस्सी के दशक वाले हालात जैसी किसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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