मोहाली। किसी फिल्मी कहानी की तरह तीन साल पहले लालड़ू में हुई एक महिला की हत्या के दोषी को जिला अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोषी सुनील कुमार पांडेय एक निजी कंपनी में मैनेजर था। अदालत ने उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उसने क्राइम पेट्रोल देखकर हत्या की साजिश रची थी। उसने कोई सुबूत तक नहीं छोड़ा था। केस की पैरवी कर रहे एडिशनल डिस्ट्रिक अटार्नी (एडीए) मनजीत सिंह ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है। दोषी बहुत शातिर था। बता दें कि कोविड संक्रमण के दौर के बीच यह पहली सजा हुई है। फैसला अतिरिक्त जिला सेशन जज डॉ हरप्रीत कौर की अदालत ने सुनाया।
मामला 2018 का है। 9 अक्तूबर को महिला के भाई ने पुलिस को शिकायत दी कि उसकी बहन की शादी साल 2013 में बिहार निवासी युवक से हुई थी। उसका जीजा लालडू में एक कंपनी में काम करता था। उनके साथ जीजा का एक दूर का रिश्तेदार सुनील कुमार पांडेय भी रहता था। सुनील ने ही उसके जीजा को नौकरी दिलाई थी। नौ अक्तूबर 2018 को उसके जीजा ने फोन करके बताया कि उसकी बहन सात अक्तूबर से लापता है। इसके बाद उन्होंने 10 अक्तूबर को लालडृ थाने में शिकायत दी, जिसमें सुनील कुमार पर शक जताया गया था। जब बहन का सुराग नहीं मिला तो उसका जीजा बच्ची को लेकर बिहार चला गया। भाई ने बताया कि 14 अक्तूबर को वह भी बिहार पहुंच गया, जहां सबने बहन की तलाश की, लेकिन कोई पता नहीं चला। 22 अक्तूबर को वह अपने जीजा के साथ लालडू लौट आया। इसी बीच पता चला कि सुनील पांडेय ने लालडू थाने में दी गई शिकायत से अपना नाम हटवाकर वहां लिखवा दिया कि महिला के गायब होने में सुनील कुमार का कोई हाथ नहीं है। इसके बाद उनका शक सुनील पर और गहरा गया।
शव का हो चुका था संस्कार, तस्वीर से की थी पहचान
भाई ने बताया कि लालड़ू में झरमल नदी के किनारे खंडहर में पुलिस को उसी दौरान एक महिला का शव मिला था। शव की पहचान नहीं हो पाने के कारण उसका अज्ञात में संस्कार कर दिया गया था। पुलिस ने जब उन्हें फोटो दिखाई तो उन्होंने अपनी बहन को पहचान लिया।
सुनील ने इसलिए की थी महिला की हत्या
भाई ने बताया कि उसकी पत्नी को फोन करके बहन ने बताया था कि सुनील उसके पति के सीधेपन का फायदा उठाता है। वह शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाता है, साथ ही धमकी देता है कि उसकी बात नहीं मानी तो पति को नौकरी से निकलवा देगा। उसकी धमकी से डरकर उसकी बहन और सुनील में संबंध हो गए। जब वह गर्भवती हुई तो सुनील ने गर्भपात का दबाव बनाया लेकिन बहन ने मना कर दिया। इसके बाद भाई ने बहन को सुनील से दूर दूसरी जगह कमरा दिला दिया, लेकिन आरोपी ने उसे एक दिन फोन करके बहाने से खंडहर के पास बुलाया और पत्थर से चेहरा कुचलकर उसकी हत्या कर दी।
अदालत में पेश हुए 23 गवाह
एडीए मनजीत सिंह ने बताया कि इस मामले में 23 गवाह पेश हुए। इसके बाद अदालत ने फैसला सुनाया। उन्होंने बताया कि हत्या के मामलों में दस गवाह भुगतने पर केस संपन्न हो जाता है, लेकिन इस केस में उस कंपनी के मुलाजिम भी शामिल हुए, जिसमें मृतका का पति काम करता था।
शातिर ने एक बार भी नहीं किया अपने मोबाइल का इस्तेमाल
एडीए मनजीत सिंह ने बताया कि आरोपी इतना शातिर था कि उसने पूरी वारदात में अपने मोबाइल का प्रयोग ही नहीं किया था। वह जिस कंपनी में काम करता था, वहीं के किसी भी कर्मचारी के फोन से महिला से बात करता था। इसी कारण पुलिस को उस पर शक नहीं हुआ। यहां तक कि उसने महिला के पति के दिमाग में यह बात डाल दी कि वह किसी के साथ भाग गई है। उसकी खोजबीन में भी वह पूरी शिद्दत से परिवार के साथ लगा रहा।
मोहाली। किसी फिल्मी कहानी की तरह तीन साल पहले लालड़ू में हुई एक महिला की हत्या के दोषी को जिला अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोषी सुनील कुमार पांडेय एक निजी कंपनी में मैनेजर था। अदालत ने उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उसने क्राइम पेट्रोल देखकर हत्या की साजिश रची थी। उसने कोई सुबूत तक नहीं छोड़ा था। केस की पैरवी कर रहे एडिशनल डिस्ट्रिक अटार्नी (एडीए) मनजीत सिंह ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है। दोषी बहुत शातिर था। बता दें कि कोविड संक्रमण के दौर के बीच यह पहली सजा हुई है। फैसला अतिरिक्त जिला सेशन जज डॉ हरप्रीत कौर की अदालत ने सुनाया।
मामला 2018 का है। 9 अक्तूबर को महिला के भाई ने पुलिस को शिकायत दी कि उसकी बहन की शादी साल 2013 में बिहार निवासी युवक से हुई थी। उसका जीजा लालडू में एक कंपनी में काम करता था। उनके साथ जीजा का एक दूर का रिश्तेदार सुनील कुमार पांडेय भी रहता था। सुनील ने ही उसके जीजा को नौकरी दिलाई थी। नौ अक्तूबर 2018 को उसके जीजा ने फोन करके बताया कि उसकी बहन सात अक्तूबर से लापता है। इसके बाद उन्होंने 10 अक्तूबर को लालडृ थाने में शिकायत दी, जिसमें सुनील कुमार पर शक जताया गया था। जब बहन का सुराग नहीं मिला तो उसका जीजा बच्ची को लेकर बिहार चला गया। भाई ने बताया कि 14 अक्तूबर को वह भी बिहार पहुंच गया, जहां सबने बहन की तलाश की, लेकिन कोई पता नहीं चला। 22 अक्तूबर को वह अपने जीजा के साथ लालडू लौट आया। इसी बीच पता चला कि सुनील पांडेय ने लालडू थाने में दी गई शिकायत से अपना नाम हटवाकर वहां लिखवा दिया कि महिला के गायब होने में सुनील कुमार का कोई हाथ नहीं है। इसके बाद उनका शक सुनील पर और गहरा गया।
शव का हो चुका था संस्कार, तस्वीर से की थी पहचान
भाई ने बताया कि लालड़ू में झरमल नदी के किनारे खंडहर में पुलिस को उसी दौरान एक महिला का शव मिला था। शव की पहचान नहीं हो पाने के कारण उसका अज्ञात में संस्कार कर दिया गया था। पुलिस ने जब उन्हें फोटो दिखाई तो उन्होंने अपनी बहन को पहचान लिया।
सुनील ने इसलिए की थी महिला की हत्या
भाई ने बताया कि उसकी पत्नी को फोन करके बहन ने बताया था कि सुनील उसके पति के सीधेपन का फायदा उठाता है। वह शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाता है, साथ ही धमकी देता है कि उसकी बात नहीं मानी तो पति को नौकरी से निकलवा देगा। उसकी धमकी से डरकर उसकी बहन और सुनील में संबंध हो गए। जब वह गर्भवती हुई तो सुनील ने गर्भपात का दबाव बनाया लेकिन बहन ने मना कर दिया। इसके बाद भाई ने बहन को सुनील से दूर दूसरी जगह कमरा दिला दिया, लेकिन आरोपी ने उसे एक दिन फोन करके बहाने से खंडहर के पास बुलाया और पत्थर से चेहरा कुचलकर उसकी हत्या कर दी।
अदालत में पेश हुए 23 गवाह
एडीए मनजीत सिंह ने बताया कि इस मामले में 23 गवाह पेश हुए। इसके बाद अदालत ने फैसला सुनाया। उन्होंने बताया कि हत्या के मामलों में दस गवाह भुगतने पर केस संपन्न हो जाता है, लेकिन इस केस में उस कंपनी के मुलाजिम भी शामिल हुए, जिसमें मृतका का पति काम करता था।
शातिर ने एक बार भी नहीं किया अपने मोबाइल का इस्तेमाल
एडीए मनजीत सिंह ने बताया कि आरोपी इतना शातिर था कि उसने पूरी वारदात में अपने मोबाइल का प्रयोग ही नहीं किया था। वह जिस कंपनी में काम करता था, वहीं के किसी भी कर्मचारी के फोन से महिला से बात करता था। इसी कारण पुलिस को उस पर शक नहीं हुआ। यहां तक कि उसने महिला के पति के दिमाग में यह बात डाल दी कि वह किसी के साथ भाग गई है। उसकी खोजबीन में भी वह पूरी शिद्दत से परिवार के साथ लगा रहा।