पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान घात लगाकर बैठे कैप्टन अमरिंदर सिंह व भाजपा की टीम से काफी घबरा गई और अधिकतर कई ऐसे पुराने चेहरों पर दांव खेल दिया, जिनकी टिकट काटने की पटकथा काफी समय पहले लिखी जा चुकी थी। कांग्रेस से बागी होकर नेता पार्टी छोड़कर भाजपा व कैप्टन अमरिंदर की पंजाब लोक कांग्रेस में जा सकते हैं, इससे हाईकमान ने पुराने चेहरों पर ही दांव लगाना उचित समझा। कांग्रेस ने चंद टिकटों में ही बदलाव किया है। जिसमें मालविका सूद और मानसा से सिद्धू मूसेवाला भी शामिल हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह जब पंजाब के सीएम थे तो कांग्रेसी हाईकमान रणनीति बना रही थी कि सत्ता विरोधी धार को कैसे कुंद किया जाए? इसमें यह बात सामने निकलकर आई कि पंजाब में सत्ता विरोधी लहर की धार को अगर कुंद करना है तो 35 विधायकों की टिकट काटकर नए चेहरों को आगे लाना पड़ेगा। पंजाब में कई टिकटों की कांट छांट की तैयारी शुरू हो चुकी थी पर इस बीच कैप्टन की सत्ता चली गई और पंजाब कांग्रेस का प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू व सीएम की कुर्सी चरणजीत सिंह चन्नी के पास आ गई। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठन कर लिया और भाजपा से गठबंधन कर लिया।
कैप्टन अमरिंदर व भाजपा का टारगेट कांग्रेस कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक का ही था। इसलिए सबसे पहले पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को भाजपा में शामिल किया गया। फिर फतेहजंग बाजवा और हरदीप लाडी को। फतेहजंग बाजवा की टिकट कट रही थी। उसके भाई प्रताप बाजवा खुद मैदान में आ गए थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के कई विधायकों के संपर्क में भी थे। भाजपा में छह मंत्रियों के जाने की चर्चा होने लगी। कांग्रेस को अपना किला ध्वस्त होते दिखाई देने लगा था।
पार्टी के आला अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, टिकट आवंटन में सुनील जाखड़, प्रताप बाजवा व सिद्धू से लेकर हर दिग्गज अपने चहेते को टिकट दिलाना चाहता था। इस कलह में कांग्रेसी दो फाड़ हो सकते थे और ऊपर से पार्टी के विधायकों को भाजपा व कैप्टन पहले ही लपकने के लिए खड़े थे। मोगा से विधायक हरजोत कमल की टिकट काटकर मालविका सूद को दिया गया तो विधायक कमल ने भाजपा में शामिल होकर आईना दिखा दिया कि अगर किसी विधायक की टिकट कटी तो निश्चित तौर पर सभी को लेने के लिए भाजपा व कैप्टन तैयार हैं। लिहाजा पार्टी ने अधिकतर पुराने चेहरों के नाम पर मोहर लगा दी है।
कैप्टन व भाजपा ने नहीं थी उम्मीदवारों की घोषणा
भाजपा में बेशक कई दिग्गज शामिल हो रहे थे लेकिन पार्टी किसी भी चेहरे को टिकट देने की घोषणा नहीं कर रही थी। सबकी पीठ पर हाथ फेरा जा रहा था। मिशन साफ था कि कांग्रेस में टिकटों को लेकर घमासान मचे तो भाजपा उन तमाम नाराज नेताओं को अपने साथ मिला ले, जिनका टिकट कट गया है। लेकिन कांग्रेस ने अधिकतर पुराने चेहरों पर दांव खेलकर कैप्टन भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
आप के टिकट आंबटन से मिला सबक
कांग्रेस ने आप के टिकट आवंटन से सबक लिया है। कैंपेन कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ ने दिल्ली में जाकर आप की स्टोरी बताई कि कैसे टिकटों का गलत आवंटन करके पार्टी के भीतर विद्रोह हो गया है और ग्राफ गिरने लगा है। अगर किसी की टिकट कटती है या किसी के खेमे के नेता को मिलती है तो कांग्रेस को पंजाब में रोष समेटना बड़ी चुनौती बन सकता है। कांग्रेस में आगे ही पहली कतार की लीडरशिप एक दूसरे को कटघरे में खड़ा कर रही है।
विस्तार
पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हाईकमान घात लगाकर बैठे कैप्टन अमरिंदर सिंह व भाजपा की टीम से काफी घबरा गई और अधिकतर कई ऐसे पुराने चेहरों पर दांव खेल दिया, जिनकी टिकट काटने की पटकथा काफी समय पहले लिखी जा चुकी थी। कांग्रेस से बागी होकर नेता पार्टी छोड़कर भाजपा व कैप्टन अमरिंदर की पंजाब लोक कांग्रेस में जा सकते हैं, इससे हाईकमान ने पुराने चेहरों पर ही दांव लगाना उचित समझा। कांग्रेस ने चंद टिकटों में ही बदलाव किया है। जिसमें मालविका सूद और मानसा से सिद्धू मूसेवाला भी शामिल हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह जब पंजाब के सीएम थे तो कांग्रेसी हाईकमान रणनीति बना रही थी कि सत्ता विरोधी धार को कैसे कुंद किया जाए? इसमें यह बात सामने निकलकर आई कि पंजाब में सत्ता विरोधी लहर की धार को अगर कुंद करना है तो 35 विधायकों की टिकट काटकर नए चेहरों को आगे लाना पड़ेगा। पंजाब में कई टिकटों की कांट छांट की तैयारी शुरू हो चुकी थी पर इस बीच कैप्टन की सत्ता चली गई और पंजाब कांग्रेस का प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू व सीएम की कुर्सी चरणजीत सिंह चन्नी के पास आ गई। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी अलग पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का गठन कर लिया और भाजपा से गठबंधन कर लिया।
कैप्टन अमरिंदर व भाजपा का टारगेट कांग्रेस कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक का ही था। इसलिए सबसे पहले पूर्व मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को भाजपा में शामिल किया गया। फिर फतेहजंग बाजवा और हरदीप लाडी को। फतेहजंग बाजवा की टिकट कट रही थी। उसके भाई प्रताप बाजवा खुद मैदान में आ गए थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के कई विधायकों के संपर्क में भी थे। भाजपा में छह मंत्रियों के जाने की चर्चा होने लगी। कांग्रेस को अपना किला ध्वस्त होते दिखाई देने लगा था।
पार्टी के आला अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, टिकट आवंटन में सुनील जाखड़, प्रताप बाजवा व सिद्धू से लेकर हर दिग्गज अपने चहेते को टिकट दिलाना चाहता था। इस कलह में कांग्रेसी दो फाड़ हो सकते थे और ऊपर से पार्टी के विधायकों को भाजपा व कैप्टन पहले ही लपकने के लिए खड़े थे। मोगा से विधायक हरजोत कमल की टिकट काटकर मालविका सूद को दिया गया तो विधायक कमल ने भाजपा में शामिल होकर आईना दिखा दिया कि अगर किसी विधायक की टिकट कटी तो निश्चित तौर पर सभी को लेने के लिए भाजपा व कैप्टन तैयार हैं। लिहाजा पार्टी ने अधिकतर पुराने चेहरों के नाम पर मोहर लगा दी है।
कैप्टन व भाजपा ने नहीं थी उम्मीदवारों की घोषणा
भाजपा में बेशक कई दिग्गज शामिल हो रहे थे लेकिन पार्टी किसी भी चेहरे को टिकट देने की घोषणा नहीं कर रही थी। सबकी पीठ पर हाथ फेरा जा रहा था। मिशन साफ था कि कांग्रेस में टिकटों को लेकर घमासान मचे तो भाजपा उन तमाम नाराज नेताओं को अपने साथ मिला ले, जिनका टिकट कट गया है। लेकिन कांग्रेस ने अधिकतर पुराने चेहरों पर दांव खेलकर कैप्टन भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
आप के टिकट आंबटन से मिला सबक
कांग्रेस ने आप के टिकट आवंटन से सबक लिया है। कैंपेन कमेटी के चेयरमैन सुनील जाखड़ ने दिल्ली में जाकर आप की स्टोरी बताई कि कैसे टिकटों का गलत आवंटन करके पार्टी के भीतर विद्रोह हो गया है और ग्राफ गिरने लगा है। अगर किसी की टिकट कटती है या किसी के खेमे के नेता को मिलती है तो कांग्रेस को पंजाब में रोष समेटना बड़ी चुनौती बन सकता है। कांग्रेस में आगे ही पहली कतार की लीडरशिप एक दूसरे को कटघरे में खड़ा कर रही है।