योगासनों को संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर रखने वाले अभ्यास के तौर पर जाना जाता है, जिससे मन शांत रखने के साथ कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं के जोखिम को कम करने तक के लाभ हैं। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार शरीर में बीमारियों के लिए तीन दोष प्रमुख कारक हैं- वात, पित्त और कफ। इनमें होने वाले असंतुलन की स्थिति, दोष के आधार पर शरीर की सेहत को प्रभावित कर सकती है।
आयुर्वेदिक दिनचर्या में योगासनों को शामिल करने को विशेष लाभकारी बताया गया है, इससे इन तीनों को संतुलित रखने में भी मदद मिल सकती है। इस लेख में हम पित्त दोष के कारण होने वाली समस्या और इसमें सुधार करने वाले योगासनों के बारे में जानेंगे।
जिन लोगों को पित्त दोष की समस्या होती है उनको शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा होने, एसिड, गैस, अपच जैसी समस्याओं का जोखिम अधिक होता है। इस तरह की दिक्कतों पर ध्यान न देने की स्थिति में आगे चलकर गंभीर रोग विकसित होने का भी खतरा हो सकता है। शरीर को स्वस्थ रखने और पित्त से संबंधित विकारों के जोखिम को कम करने के लिए दिनचर्या में योगासनों को शामिल करना बेहतर विकल्प हो सकता है, आइए इस बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।
आयुर्वेदिक दिनचर्या में योगासनों को शामिल करने को विशेष लाभकारी बताया गया है, इससे इन तीनों को संतुलित रखने में भी मदद मिल सकती है। इस लेख में हम पित्त दोष के कारण होने वाली समस्या और इसमें सुधार करने वाले योगासनों के बारे में जानेंगे।
जिन लोगों को पित्त दोष की समस्या होती है उनको शरीर में अत्यधिक गर्मी पैदा होने, एसिड, गैस, अपच जैसी समस्याओं का जोखिम अधिक होता है। इस तरह की दिक्कतों पर ध्यान न देने की स्थिति में आगे चलकर गंभीर रोग विकसित होने का भी खतरा हो सकता है। शरीर को स्वस्थ रखने और पित्त से संबंधित विकारों के जोखिम को कम करने के लिए दिनचर्या में योगासनों को शामिल करना बेहतर विकल्प हो सकता है, आइए इस बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।