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अलर्ट: फंगल संक्रमणों के बारे में फैली हैं कई अफवाहें, एक को तो आप भी मान रहे होंगे सही

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Abhilash Srivastava Updated Sun, 30 May 2021 01:44 PM IST
कोविड के बाद फंगल संक्रमणों का बढ़ा खतरा
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Medically Reviewed by 
प्रो. बृजपाल सिंह त्यागी
ईएनटी डिपार्टमेंट हेड
कोलंबिया एशिया अस्पताल, गाजियाबाद

डॉ सौरभ चौधरी
छाती रोग विशेषज्ञ
विनायक हॉस्पिटल, नोएडा


देश में कोरोना संक्रमण के मामले अब धीरे-धीरे कम होने शुरू हो गए हैं। हालांकि कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में फंगल संक्रमण के बढ़ते मामले लगातार चिंता का विषय बने हुए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से फंगल संक्रमण के अब तक 12 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, इसके चलते लोगों में दहशत का माहौल है। फंगल संक्रमण के बढ़ने के साथ इसको लेकर लोगों के बीच में तरह-तरह की भ्रांतियां भी पैदा हो गई हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जिस समय लोगों को बीमारियों के बारे में और अधिक जागरूक होना चाहिए ऐसे में इस तरह की सूचनाएं न सिर्फ भ्रमित कर सकती हैं, साथ ही यह संक्रमण को रोकने में बाधा भी उत्पन्न कर सकती हैं। आइए लोगों के बीच संक्रमण को लेकर फैली ऐसे ही कुछ मिथकों के बारे में जानते हैं।
ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस, सभी हैं खतरनाक
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ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस
कोरोना की दूसरी लहर में इन तीनों तरह के संक्रमण के मामले सुर्खियों में रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि इन संक्रमणों को फैलाने वाले फंगस पहले से ही  वातावरण में मौजूद होते हैं, स्वस्थ व्यक्तियों को इनसे कोई खतरा नहीं होता है। हालांकि जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से कमजोर हो या फिर जिन्हें किसी तरह की गंभीर बीमारी होती है, उनमें इस तरह के संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। कोविड के दौर में इलाज के दौरान बहुत ज्यादा स्टेरॉयड दवाओं के कारण लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित हो रही है, जिसके कारण इन संक्रमणों का खतरा बढ़ गया है। लोगों के लिए इन संक्रमणों के बारे में सही जानकारी रखना आवश्यक है, इसी आधार पर संक्रमण का शीघ्रता से पता लगाया जा सकता है।
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ब्लैक फंगस के मामले बढ़े
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मिथ: व्हाइट फंगल इंफेक्शन, ब्लैक फंगल इन्फेक्शन से ज्यादा खतरनाक है।
ईएनटी रोग विशेषज्ञ प्रो. बृजपाल सिंह त्यागी बताते हैं कि व्हाइट फंगल इंफेक्शन और ब्लैक फंगल इन्फेक्शन दोनों ही  खतरनाक होते हैं।  व्हाइट फंगल इंफेक्शन को कैंडिडिआसिस के रूप में जाना जाता है। कुछ स्थितियों में ब्लैक फंगल इन्फेक्शन को इसलिए ज्यादा खतरनाक माना जा सकता है क्योंकि इससे साइनस, आंखों, मस्तिष्क को गंभीर नुकसान हो सकता है।
 
संक्रामक नहीं होते हैं ज्यादातर फंगस
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मिथ: संक्रमित व्यक्ति के पास जाने से हो सकता है खतरा
छाती रोगों के विशेषज्ञ डॉ सौरभ चौधरी बताते हैं कि फंगल संक्रमण आमतौर पर संक्रामक नहीं होते हैं, जिसका अर्थ है कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से इसके अन्य लोगों तक पहुंचने का खतरा नहीं होता है। यह केवल स्टेरॉयड के अत्यधिक उपयोग, कमजोर इम्यूनिटी और अनियंत्रित मधुमेह वाले रोगियों में संक्रमण का कारण बन सकता है।
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कमजोर इम्यूनिटी वाले किसी भी व्यक्ति को हो सकता है संक्रमण
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मिथ: फंगल संक्रमण सिर्फ उन्हीं लोगों को हो सकता है जिन्हें कोविड रहा हो।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों बताते हैं- ऐसा जरूरी नहीं है कि जिन्हें कोविड-19 रह चुका हो उन सभी लोगों को फंगल संक्रमण हो। फंगल संक्रमण, विशेषकर ब्लैक फंगस के मामले पहले भी देखे जाते रहे हैं। यह फंगस हमारे चारों ओर विशेष रूप से मिट्टी और सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थों में मौजूद हो सकते हैं। कमजोर इम्यूनिटी वाले किसी भी व्यक्ति को यह संक्रमण हो सकता है। मधुमेह और एचआईवी से पीड़ित लोगों में इसका खतरा ज्यादा माना जाता है।

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नोट: यह लेख गाजियाबाद के कोलंबिया एशिया अस्पताल में ईएनटी डिपार्टमेंट के हेड प्रो. बृजपाल सिंह त्यागी और विनायक हॉस्पिटल में छाती रोग विशेषज्ञ डॉ सौरभ चौधरी से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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