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बड़ा खतरा: नॉन-स्मोकर्स में बढ़े फेफड़ों के कैंसर के मामले, 20 की आयु में भी हो रहे हैं शिकार, जानिए इसका कारण

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Tue, 29 Nov 2022 03:09 PM IST
फेफड़े का कैंसर
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फेफड़ों के कैंसर का खतरा पिछले कुछ दशकों में काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या के लिए सामान्यतौर पर धूम्रपान को मुख्य कारण माना जाता रहा है, पर हालिया अध्ययनों में कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। मेदांता अस्पताल के डॉ अरविंद कुमार के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में विशेषज्ञों की टीम ने पाया कि नॉन-स्मोकर्स में भी फेफड़ों के कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इसके अलावा कम उम्र के लोगों और महिलाओं में भी इसका खतरा बढ़ रहा है। गौरतलब है कि हर साल इस कैंसर के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है, साल 2020 में लंग कैंसर ने 18 लाख से अधिक लोगों की जान ली है। 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि जिस तरह से यह जानलेवा खतरा नॉन-स्मोकर्स में बढ़ रहा है, उसको लेकर सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है। धूम्रपान न करने वालों में बढ़ते खतरे के लिए वायु प्रदूषण को प्रमुख कारण पाया गया है। प्रदूषण वाले स्थानों पर रहने वालों में जोखिम काफी तेजी से बढ़ा है, इससे बचाव के उपाय करना बहुत आवश्यक है।

आइए जानते हैं, इस अध्ययन में क्या खास बातें पता चली हैं।
फेफड़ों के कैंसर का जोखिम
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कम उम्र के लोग भी हो रहे हैं शिकार

मार्च 2012 से नवंबर 2022 के बीच इलाज कराने वाले रोगियों के विवरण का विश्लेषण करके स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस जोखिम के बारे में पता लगाया है। 304 रोगियों के डेटा के अध्ययन में पाया गया कि लंग कैंसर के 20 फीसदी से अधिक रोगियों की आयु 50 और 10 फीसदी की उम्र 40 से कम थी। 20 या उससे कम की आयु वालों में भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा है, हालांकि ऐसे रोगियों की संख्या फिलहाल 2.6 फीसदी है। डॉक्टरों का मानना है कि हवा की खराब होती गुणवत्ता लोगों की सेहत के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है, इसका खतरा उतना ही है जितना धूम्रपान करने से होता है। 
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प्रदूषण के कारण बढ़ा फेफड़ों के कैंसर का जोखिम
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, फेफड़ों के कैंसर के कारण मौत का जोखिम भी अधिक होता है, समय पर इलाज न मिल पाने या रोग की पहचान न होने के कारण इससे मृत्युदर अधिक देखी जा रही है। डॉक्टर कहते हैं, जिस तरह से युवाओं में लंग कैंसर का खतरा बढ़ रहा है, यह काफी आश्चर्य वाला है। ज्यादातर लोग शुरुआत में इसे टीबी या फिर सांस की अन्य बीमारियां मानकर इलाज कराते रहते हैं, जिससे समय रहते असल कारण पता नहीं चल पाता है और स्थित की जटिलताओं के बढ़ने का खतरा हो सकता है।
सांस की तकलीफ को न करें अनदेखा
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सांस की अन्य समस्याओं से मिलते-जुलते होते हैं लक्षण

डॉक्टर्स कहते हैं, फेफड़ों के कैंसर के लक्षण सांस की अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, इसलिए अगर आपमें भी दिक्कतें बनी हुई हैं तो किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करके स्थिति की सही निदान करा लेना जरूरी हो जाता है। बहुत अधिक खांसी आने की समस्या, जो समय के साथ बढ़ती जाती है, इसपर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। छाती में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, खांसी के साथ खून आने की दिक्कत और अक्सर थकान बने रहने की स्थिति फेफड़ों में कैंसर का संकेत हो सकती है। 
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फेफड़ों को स्वस्थ रखने के उपाय करें
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फेफड़ों के कैंसर से बचाव कैसे करें?

सांस रोग विशेषज्ञों का कहना है कि फेफड़ों के कैंसर और इससे संबंधित समस्याओं से बचाव के लिए धूम्रपान से दूरी बनाना सबसे आवश्यक माना जाता है। हालांकि जिस तरह से नॉन स्मोकर्स में इसका खतरा बढ़ता जा रहा है, ऐसे में इससे बचाव करना और भी आवश्यक हो जाता है। ऐसे में वायु प्रदूषण को कम करने और हवा की गुणवत्ता को सुधारने वाले उपाय आवश्यक हो जाते हैं। यदि आपमें सांस की दिक्कत या फेफड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं कुछ समय से बनी हुई हैं तो इस बारे में समय रहते किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें। 



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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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