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Lancet Survey: देश में 35 फीसदी लोग हाइपरटेंशन के शिकार, जानिए डायबिटीज और एनसीडी रोगों के क्या हैं आंकड़े?

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Fri, 09 Jun 2023 04:37 PM IST
latest Lancet Survey says diabetes and hypertension increase in india population know details
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लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के कारण देश में कई प्रकार की बीमारियों का जोखिम काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट भी इस बारे में सचेत करती है। राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, भारत की कुल आबादी के 11.4 प्रतिशत लोग डायबिटीज जबकि 35.5 प्रतिशत लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और अन्य संस्थानों के सहयोग से मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि भारत में मोटापे के शिकार लोगों की संख्या भी बढ़ी है, 28.6 फीसदी लोग ओविसिटी से पीड़ित हैं।

गौरतलब है कि मोटापे की समस्या को डायबिटीज और ब्लड प्रेशर दोनों के प्रमुख जोखिम कारक के तौर पर जाना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि अगर इस दिशा में सुधार नहीं किए गए तो डायबिटीज-हृदय रोगों सहित कई अन्य बीमारियों का बोझ काफी तेजी से बढ़ सकता है।
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भारत में बढ़ रहे हैं एनसीडी रोगों के मामले

साल 2008 से 2020 के बीच 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1.1 लाख से अधिक लोगों (33,537 शहरी और 79,506 ग्रामीण निवासी) पर किए गए शोध में पाया गया कि देश में नॉन-कम्युनिकेबल रोग (एनसीडी) का जोखिम बढ़ रहा है।

एनसीडी, ऐसे रोग हैं जो संक्रमण या अन्य लोगों के माध्यम से नहीं फैलते हैं जैसे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर आदि।अस्वास्थ्यकर जीवनशैली को इसका प्रमुख कारण माना जाता है। ये दुनियाभर में मृत्यु का प्रमुख कारण भी हैं। भारत में इन रोगों का जोखिम बढ़ता हुआ देखा जा रहा है।
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डिसलिपिडेमिया बढ़ा रही है खतरा

सर्वेक्षण के मुताबिक 15.3 प्रतिशत लोगों को प्री-डायबिटीज है जिसका मतलब है कि ऐसे लोगों में भविष्य में डायबिटीज का जोखिम और बढ़ सकता है। सबसे गंभीर चिंता डिसलिपिडेमिया को लेकर जताई गई है जिसका आंकड़ा 81.2 प्रतिशत है।

डिसलिपिडेमिया को मुख्यतौर पर कोलेस्ट्रॉल, लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल, (एलडीएल), ट्राइग्लिसराइड्स और हाई डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) के स्तर में असामान्यता की समस्या के तौर पर जाना जाता है। ये सभी हृदय रोगों के जोखिम को काफी हद तक बढ़ाने वाली समस्याएं हैं।
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शहरी इलाकों में रोगों का जोखिम अधिक

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली सहित कई अन्य संस्थानों द्वारा किए गए इस अध्ययन में कई चरणों में सर्वेक्षण किया गया। .अध्ययन के लेखकों  के मुताबिक भारत में मधुमेह और अन्य मेटाबॉलिक एनसीडी का प्रसार पहले की तुलना में काफी अधिक है। मधुमेह के मामले देश के अधिक विकसित राज्यों में स्थिर है, हालांकि अधिकांश राज्यों में बढ़ रही है।

प्री-डायबिटीज को छोड़कर सभी मेटाबॉलिक एनसीडी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी इलाकों में अधिक पाए गए।
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क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इन सभी रोगों के बढ़ने का एक प्रमुख कारण लाइफस्टाइल में गड़बड़ी है। यह न सिर्फ मोटापे के जोखिम को बढ़ा रही है साथ ही इससे अन्य  एनसीडी का जोखिम बढ़ रहा है। चूंकि मेटाबॉलिक रोग कई ऐसे रोगों का कारण हैं जिनसे अधिक मृत्युदर का खतरा रहता है, ऐसे में सभी लोगों को अपनी लाइफस्टाइल में विशेष सुधार की आवश्यकता है।

दैनिक व्यायाम और आहार में स्वस्थ बदलाव की मदद से जोखिमों को कम किया जा सकता है।

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स्रोत और संदर्भ
Metabolic non-communicable disease health report of India: the ICMR-INDIAB national cross-sectional study (ICMR-INDIAB-17)


अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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