21 साल हो गए फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ को रिलीज हुए। लेकिन, यूं लगता है कि जैसे कल ही की बात है। ये उन दिनों की बात है जब मैं ‘अमर उजाला’ की फिल्म पत्रिका ‘रंगायन’ का प्रभारी था और अखबार में छपने वाली मेरी फिल्म समीक्षाओं का दिल्ली-यूपी के फिल्म वितरण बाजार भगीरथ पैलेस में बेसब्री से इंतजार रहता। फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ का मुंबई में शो हो चुका था। फिल्मसिटी में ये फिल्म देखने वालों से शाहरुख खान की फिल्म ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ की उसी शाम हुई पार्टी में लोग बस एक ही सवाल पूछ रहे थे, ‘राकेश रोशन के लड़के की रिपोर्ट कैसी है?’ सब बहुत प्रेशर में थे। लेकिन, मुंबई से सैकड़ों किलोमीटर दूर नोएडा में ऐसा कोई प्रेशर नहीं था। लेकिन, प्रेशर क्या होता है, ये पता चलना अभी बाकी था।