भारत में किसी जीवित या मृत व्यक्ति की जीवनी पर फिल्म बनाना आसान नहीं है। अक्सर ऐसी फिल्में शुरू होते ही दिक्कतों में इसलिए फंस जाती हैं क्योंकि परिवार को कोई न कोई सदस्य इस पर एतराज लेकर सामने आ जाता है। अब चूंकि ऐसे मामलों में कानून पेचीदे हैं लिहाजा फिल्म निर्माता ऐसी फिल्मों से दूर से ही तौबा कर लेते हैं। ऐसा ही कुछ मशहूर अभिनेत्री मधुबाला की बायोपिक के साथ हुआ तो उनकी बहन ने कानून से ही कानून के पेंच खोलने का फैसला किया है।
दिग्गज अभिनेत्री मधुबाला की बायोपिक फिल्मकार इम्तियाज अली बनाने वाले थे। मधुबाला के परिजनों में इस विरासत को लेकर विवाद हुआ तो इम्तियाज ने इससे पल्ला झाड़ लिया। लेकिन मधुबाला की सबसे छोटी बहन मधुर भूषण हिम्मत हारने को तैयार नहीं हैं। वह इस बात को लेकर दुखी हैं कि उनकी बहनें इसके लिए तैयार नहीं हो रही हैं। वह कहती हैं, " हमने मधुबाला का नमक खाया है। उसने अपनी बहनों को पाला है।" मधुर अपने आध्यात्मिक गुरु अरविंद कुमार मालवीय की सहायता से इस बायोपिक को बनाने की कोशिश करती रही हैं।
मधुर भूषण ने इस बारे में कानूनी राय मशविरे के बाद मधुबाला पर जीवनी पर पुस्तक लिखने का मन बनाया है। कानून के जानकार बताते हैं कि किसी किताब पर फिल्म बनाने से कोई दूसरा इसलिए नहीं रोक सकता क्योंकि फिल्म घोषित तौर पर किसी की जीवनी पर नहीं बल्कि एक किताब पर बनेगी। मधुर ने इस किताब का नाम 'नाइन ईयर्स ऑफ मधुबाला' रखने का फैसला किया है।
गौरतलब है कि इम्तियाज अली से पहले भी तमाम लोग मधुबाला की बायोपिक बनाने की कोशिश कर चुके हैं। इम्तियाज ने मधुबाला के परिवार में इसे लेकर आपसी रजामंदी ना बन पाने के कारण पीछे हटने का फैसला लिया। मधुर ने अपनी तरफ से काफी कोशिश की कि सभी बहन इस बायोपिक को लेकर रजामंद हो जाए लेकिन वह ऐसा करने में सफल नहीं हो सकी। उन्होंने सभी भाई-बहनों से इम्तियाज को एनओसी (गैर आपत्ति प्रमाण पत्र) दिलवाने की कोशिश की। हालांकि उनकी बहन कनीज बलसारा इससे सहमत नहीं हुई।