किरन जुनेजा ने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की थी। उन्होंने कई धारावाहिकों और फिल्मों में काम किया,लेकिन आज भी लोग उन्हें 'महाभारत' की गंगा के रूप में ज्यादा जानते हैं। महाभारत में किरन जुनेजा को पहले गांधारी का रोल ऑफर कर दिया था, लेकिन उन्होंने यह रोल करने से मना कर दिया था, उसके बाद उन्हें गंगा की भूमिका निभाने का मौका मिला। अपने जन्मदिन की पूर्व संध्या पर किरन जुनेजा ने अमर उजाला से खास बातचीत की
अभिनय में आप की शुरुआत इंडो इटैलियन फिल्म 'शाहीन' से हुई थी?
शुरुआत तो मेरी मॉडलिंग से हुई थी, उसके बाद 'शाहीन' का ऑफर आया था, उस फिल्म में काम करने का बहुत अच्छा अनुभव रहा है। हालांकि वह फिल्म इंडिया में रिलीज नहीं हुई थी। फिल्म का विषय भी भारत और पाकिस्तान की जड़ों से जुड़ी हुई थी। उस फिल्म के ज्यादातर एक्टर इटेलियन थे और निर्देशक खालिद अल सिद्दीकी कुबैत के थे। एक तरह देखा जाए तो फिल्म की पूरी टीम ही इंटरनेशनल थी। विदेशो में इस फिल्म को काफी सराहा गया था।
उसके बाद फिर राजश्री प्रोडक्शन के साथ आप का जुड़ना हुआ?
जी हां, राजश्री प्रोडक्शन के धारावाहिक 'पेइंग गेस्ट' से मेरी टीवी पर शुरुआत हुई थी। इस सीरियल के हर एपिसोड की अलग अलग कहानी थी, उसमे से एक एपिसोड में मैंने काम किया था। उस समय सीरियल की शुरुआत ही हो रही थी। बचपन से मैं स्कूल और कॉलेज में एक्टिंग करती रहती थी, मैंने ;आषाढ़ का एक दिन; जैसे कई नाटक किए। कहीं ना कहीं एक्टिंग का शौक तो था ही। जब एक्टिंग का ऑफर आया तो अच्छा लगा, क्योंकि मॉडलिंग में मेरी शुरुआत तो हो ही गई थी। उस समय के जितने भी बड़े बड़े ब्रांड थे सब कर लिया था, तो कहीं ना कहीं एक बोरियत सी आ गई थी कि अब कुछ नया करना चाहिए। हालांकि थिएटर करने का मुझे बहुत शौक रहा,लेकिन मुंबई में कभी थिएटर नहीं कर पाई। क्योंकि मॉडलिंग की वजह से ट्रैवलिंग बहुत होती थी। थिएटर के लिए तो समय देना पड़ता है। हालांकि की मुंबई मैं एक्टिंग करने की सोच कर नहीं आई थी।
जब आप एक्टिंग करने की सोच कर नहीं आई तो फिर एक्टिंग का सिलसिला कैसे बना?
इसे आप मेरी किस्मत कह सकते हैं। दिल्ली में मॉडलिंग की शुरुआत कॉलेज के दिनों में ही हो गई थी। वहां भी ऐसे ही था कि एक एजेंसी ने अप्रोच किया फिर मॉडलिंग का सिलसिला शुरू हुआ। दिल्ली में मॉडलिंग करते करते फैशन शो के लिए मुंबई आ गई। दिल्ली में मॉडलिंग के दौरान ही मुंबई के कुछ मॉडलिंग एजेंसी से संपर्क बन गया था तो मॉडलिंग का सिलसिला यहां भी शुरू हो गया। जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि मॉडलिंग करते करते बोर होने लगी थी, फिर जैसा ही एक्टिंग का मौका मिला तो सोचा कि इसमें भी एक बार कोशिश करनी चाहिए।
आप के पिताजी डॉक्टर थे, उन्होंने यह नहीं कहा कि कहां जा रही हो डॉक्टरी करो?
नहीं, डैड ने ऐसा कुछ नहीं कहा, वह थोड़े से आधुनिक सोच के इंसान था। लेकिन हां, उस जमाने में लड़कियों का ग्लैमर के क्षेत्र में आना थोड़ा सा गलत माना जाता था। मेरी जिंदगी में जो भी हुआ वह बहुत धीरे धीरे हुआ। डैड का यह जरूर कहना था कि पहले पढ़ाई पूरी कर लो। पढ़ाई के दौरान ही मॉडलिंग में शुरुआत हो गई थी तो वह कहने लगे कि अगर यह सब पढ़ाई के बाद करो तो बेहतर होगा। उस समय एक्टिंग के बारे में कुछ सोचा ही नहीं था और ना ही उनको कभी एक्टिंग के बारे में कहा ही था, उनको भी नहीं लग रहा था कि मैं कभी एक्टिंग के फील्ड में भी आ सकती हूं।