अभिनेता राहुल बोस का जीवन किसी फिल्मी कहानी जैसा ही है। रगबी और क्रिकेट वह बेहतरीन खेलते हैं। अभिनय उनका लाजवाब होता है और निर्देशन करते समय वह जिंदगी के अनुभवों के रेशे समेट उनकी कूंची से एक नई कहानी कैनवस पर खींच देते हैं। राहुल बोस के फिल्म बुलबुल में निभाए गए दोहरे किरदारों की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। उनसे ये खास मुलाकात की पंकज शुक्ल ने।
दुनिया एक अलग ही तरह के समय से गुजर रही है और लोगों के मन में इन दिनों तरह तरह की चिंताएं, अवसाद और परेशानियां हैं, कैसे इन से लोग बच सकते हैं? आपकी एक फिल्म लॉकडाउन में बहुत याद आती रही, एवरीबडी सेज आई एम फाइन।
मैंने बहुत सोच विचार कर इस फिल्म के लिए कुछ वाक्य लिखे थे। अंग्रेजी में ही कहता हूं, एवरीबडी सेज आई एम फाइन बट नोबडी इस फाइन। द ओनली वे यू कैन भी फाइन इज टू एडमिट दैट यू ऑर नॉट। मतलब आप किसी से भी पूछिए कि आप कैसे हैं, तो जवाब यही मिलेगा, ठीक हूं। जबकि हर कोई ठीक नहीं है। हम ठीक तब हो सकते हैं जब पहले हम मानें कि हम ठीक नहीं हैं। यही हमारे आसपास हो रहा है।
दुनिया एक अलग ही तरह के समय से गुजर रही है और लोगों के मन में इन दिनों तरह तरह की चिंताएं, अवसाद और परेशानियां हैं, कैसे इन से लोग बच सकते हैं? आपकी एक फिल्म लॉकडाउन में बहुत याद आती रही, एवरीबडी सेज आई एम फाइन।
मैंने बहुत सोच विचार कर इस फिल्म के लिए कुछ वाक्य लिखे थे। अंग्रेजी में ही कहता हूं, एवरीबडी सेज आई एम फाइन बट नोबडी इस फाइन। द ओनली वे यू कैन भी फाइन इज टू एडमिट दैट यू ऑर नॉट। मतलब आप किसी से भी पूछिए कि आप कैसे हैं, तो जवाब यही मिलेगा, ठीक हूं। जबकि हर कोई ठीक नहीं है। हम ठीक तब हो सकते हैं जब पहले हम मानें कि हम ठीक नहीं हैं। यही हमारे आसपास हो रहा है।