फिल्म निर्देशक और निर्माता हंसल मेहता ने स्कूल के एक पीटी अध्यापक पर आधारित फिल्म 'छलांग' बनाई है। लेकिन, कमाल की बात है कि हंसल कभी खुद पीटी की कक्षा में शामिल नहीं हुए। उन्होंने खुद बताया है कि एक फर्जी चिट्ठी के दम पर वह कभी खेलों में शामिल नहीं हुआ करते थे। हालांकि, आज उन्हें अपनी इस हरकत पर पछतावा होता है। वह सोचते हैं कि अगर उन्होंने अपने स्कूल के वक्त में कुछ खेल खेले होते तो शायद आप वह पूरी तरह फिट होते।
अपनी यादें ताजा करते हुए हंसल ने कहा, 'मेरे पीटी अध्यापक का नाम लेनी गोंजाल्विस था। उन्होंने मुझे भी पढ़ाया और मेरे बच्चों को भी। हालांकि, कुछ साल पहले ही उनकी मृत्यु हो गई है। मुझे याद है कि लेनी अपने पास एक पटरी (स्केल) रखते थे जिससे वह बच्चों को पीटते थे। मैंने कभी पीटी की कक्षाओं को गंभीरता से नहीं लिया। इन सब से बचने के लिए मैं एक डॉक्टर की लिखी हुई पर्ची अपने अध्यापक को दिखा देता था जिसमें लिखा था कि मुझे अपेंडिसाइटिस है। मैं चिकित्सकों के परिवार से था इसलिए फर्जी चिट्ठी का इंतजाम आराम से हो जाता था। वे दिन तो आराम से कट गए लेकिन अब सोचता हूं कि अगर उन कक्षाओं को मैं गंभीरता से लेता तो आज थोड़ा और फिट होता।'
हंसल मेहता की फिल्म 'छलांग' में राजकुमार राव और नुसरत भरूचा ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। नुसरत आजकल सोशल मीडिया पर फिटनेस के मामले में बहुत ज्ञान देती हैं। अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए नुसरत ने कहा, 'खेल से जुड़ी हर प्रक्रिया से मैं हमेशा दूर रहती थी। मैं ढोंग करती थी कि मेरी तबीयत खराब है। हमारे अध्यापक हमें तेज गर्मी में बाहर खेलने के लिए कहते थे। मुझे वह बिल्कुल पसंद नहीं था। एक बार अध्यापकों ने हमें खेल के बदले मैकडॉनल्ड में ट्रीट देने का वादा किया। वह एक सुई धागा दौड़ थी। मुझे एक छोर से भागना था और दूसरे छोर पर सुई में धागा पिरोकर वापस आना था। इस दौड़ में मुझे द्वितीय स्थान मिला। इसके अलावा मैंने कभी किसी खेल में भाग नहीं लिया।'
हालांकि, फिल्म 'छलांग' के मुख्य अभिनेता राजकुमार राव जरूर खेलों के शौकीन रहे। उन्होंने खेल का कोई मौका नहीं गंवाया। राजकुमार बताते हैं, 'मेरे पीटी अध्यापकों के साथ मेरे बहुत घनिष्ठ संबंध थे क्योंकि मैं खेलों में बहुत अच्छा था। मैं हमेशा अलग-अलग खेलों में भाग लेता था। मेरे अध्यापक भी हमेशा मेरा ख्याल रखते थे। उन्होंने मुझे हमेशा मेहनत करने और आगे बढ़ने के लिए ही प्रेरित किया। उन्हीं की प्रेरणाओं की वजह से मैं आज अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हूं।'
बता दें कि फिल्म 'छलांग' एक पीटी अध्यापक की ही कहानी है जो पहले सिर्फ अपनी नौकरी ही करता है। लेकिन, बाद में कुछ पाने के लिए वह कठिन परिश्रम करने के लिए मजबूर होता है।