बॉलीवुड में कई सितारे आते हैं और चले जाते हैं। कुछ नाम कमा कर जाते हैं तो कुछ बस कोशिश में ही लगे रह जाते हैं। ऐक्टिंग न सही तो निर्देशन, प्रोडक्शन में ही हाथ आजमाते हैं। ऐसे ही कुछ सितारें ये भी हैं, जिन्होंने शुरुआत तो ऐक्टिंग से की लेकिन जब करियर नीचे जाने लगा तो नइया बचाने के लिए निर्देशन के समंदर में उतर गए।
ऐक्टर से डायरेक्टर-प्रोड्यूसर बने सितारे
इसमें सबसे ताजा उदाहरण हैं दिव्या खोसला। इन्होंने 2004 में फिल्म 'अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों' से बतौर हीरोइन डेब्यू किया। लेकिन वो उनकी इकलौती फिल्म थी। ऐक्टिंग में वो सफल नहीं हो पाईं तो वो निर्देशन की तरफ बढ़ गईं। 2014 में आई 'यारियां' उनकी पहली निर्देशित फिल्म थी। फिर 2016 में आई 'सनम रे'। हालांकि इस क्षेत्र में भी वो कमाल नहीं दिखा पाई हैं। वे फिल्म 'रॉय' की निर्माता भी थीं।
ऐक्टर से डायरेक्टर-प्रोड्यूसर बने सितारे
आशुतोष गोवारिकर भी एक जमाने में ऐक्टर हुआ करते थे। शाहरुख खान की फिल्म 'कभी हां कभी न' में उनका रोल आपको जरूर याद होगा। लेकिन आशुतोष ऐक्टर के बजाए बतौर निर्देशक ज्यादा सफल रहे। उन्होंने 'लगान', 'स्वदेस', 'जोधा अकबर' जैसी हिट फिल्में बनाईं और इन्हें प्रोड्यूस भी किया। अब वे जल्द ही 'मोहनजो दारो' लेकर आ रहे हैं।
ऐक्टर से डायरेक्टर-प्रोड्यूसर बने सितारे
पूजा भट्ट बतौर हीरोइन कुछ समय तक चलीं लेकिन फिर उनका ऐक्टिंग करियर गिरने लगा। उन्होंने निर्माता-निर्देशक बन कर वापसी की। 'दुश्मन', 'जख्म', 'सुर', 'जिस्म', 'पाप', 'रोग', 'हॉलीडे' जैसी फिल्मों की वे निर्माता हैं और इन्हीं में से कुछ फिल्मों की निर्देशक भी।
ऐक्टर से डायरेक्टर-प्रोड्यूसर बने सितारे
अगर आपको याद हो तो दीपक तिजोरी वहीं हैं जिन्होंने 'आशिकी', 'दिल है कि मानता नहीं', 'खिलाड़ी', 'बेटा', 'जो जीता वही सिकंदर' जैसी कई सफल फिल्मों में काम किया। अफसोस कि बतौर लीड हीरो वो महीं चल सके। आखिरकार वे एक्टिंग छोड़ निर्देशक बन गए। उन्होंने 'ऊप्स', 'फरेब', 'टॉम डिक हैरी' जैसी फ्लॉप फिल्में बनाईं।