भारतीय सिनेमा में अपना अहम योगदान देने वाले भगवान दादा का नाम जब भी लिया जाता है, उनका कॉमेडी और डांस स्टाइल जहन में उभर आता है। वहीं, भगवान दादा को हिंदी सिनेमा के पहले एक्शन और डांसिंग स्टार के रूप में भी जाना जाता है। 1 अगस्त 1913 को जन्मे भगवान दादा ने आज ही के दिन 2002 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। तो आइए इस मौके पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें...
मजदूरी कर चलाते थे घर
भगवान दादा के पिता एक टेक्सटाइल मिल में काम करते थे और उनके घर के हालात भी ठीक नहीं थे। ऐसे में बचपन से ही अभिनय के शौकीन भगवान दादा ने शुरुआती दिनों में घर में आर्थिक मदद के लिए मजदूरी का काम करना शुरू कर दिया था। हालांकि वह सिनेमा के प्रति अपने प्यार को नहीं भूला पाए और फिर मूक सिनेमा के दौर में ‘क्रिमिनल’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की। उनकी पहली बोलती फिल्म ‘हिम्मत-ए-मर्दा’ थी, जो 1934 में रिलीज हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे वह अपने शानदार अभिनय के चलते लोगों के बीच मशहूर होने लगे।
Rashmika Mandanna: विजय देवरकोंडा छोड़ इस शख्स पर आया रश्मिका का दिल, सरेआम कर दिया प्रपोज
हफ्ते में हर दिन अलग कार का करते थे इस्तेमाल
भगवान दादा ने फिल्मों में एक्टिंग के साथ ही उन्हें प्रोड्यूस करना भी शुरू कर दिया था। साल 1951 में उन्होंने ‘अलबेला’ का निर्माण किया, जिसका गाना ‘शोला जो भड़के’ आज भी काफी फेमस है। यही नहीं गाने में डांसर्स की कमी होने के बाद उन्होंने इसमें फाइटर्स का इस्तेमाल किया था। अभिनेता शेवरले कारों के इतने शौकीन थे कि उन्होंने ‘शेवरले’ नाम की फिल्म में ही काम कर लिया था। ऐसे में कभी मजदूरी कर अपना गुजारा चलाने वाले भगवान दादा खूब कमाई करने लगे थे। उस दौर में उनके पास सात कार थीं, जिन्हें वो हफ्ते में एक-एक दिन सेट पर लेकर जाते थे।
Aashiqui 3: आशिकी 3 में कार्तिक संग रोमांस करने को तैयार सारा अली, पंकज त्रिपाठी भी आएंगे नजर?
चॉल में बिता आखिरी समय
भगवान दादा की संपत्ति बढ़ती जा रही थी और उनके फिल्में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। एक फिल्म में तो नोटों की बारिश कराने के लिए भगवान दादा ने असली नोटों का इस्तेमाल किया था, जिसके प्रोड्यूसर वह खुद थे। हालांकि समय ने करवट ली और भगवान दादा की फिल्में असफल होने लगीं। इसका असर यह हुआ कि उन्हें अपना जुहू स्थित बंगला और कार बेचनी पड़ीं। धीरे-धीरे भगवान दादा की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उन्हें अपना आखिरी समय चॉल में बिताना पड़ा। इसके बाद 4 फरवरी 2002 को दिल का दौरा पड़ने के बाद भगवान दादा का निधन हो गया।
Siddharth Kiara Wedding: ओटीटी पर स्ट्रीम होगी सिद्धार्थ-कियारा की शादी? इस प्लेटफॉर्म ने दिया हिंट