क्रूज ड्रग्स मामले में शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान जेल में बंद है। 26 अक्तूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में आर्यन की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है। अब तक आर्यन की जमानत याचिका स्पेशल एनडीपीएस कोर्ट और सेशन कोर्ट से खारिज हो चुकी है। शाहरुख खान और आर्यन के वकील लगातार कोशिश में है कि आर्यन को जल्द से जल्द जमानत मिल जाए लेकिन ये इतना आसान नहीं है। अगर चार दिनों में यानि 29 अक्तूबर तक कोर्ट जमानत पर कोई फैसला नहीं देता है तो आर्यन को करीब 15 नंवबर तक जेल में ही रहना पड़ सकता है।
ऐसा हुआ तो 15 नवंबर तक जेल में रहेगा आर्यन
ऐसे में वह दीवाली में अपने घर नहीं जा पाएगा। 20 अक्तूबर को एनडीपीएस कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद इसी दिन हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। ऐसे में अगर 29 अक्तूबर तक कोर्ट आर्यन को जमानत नहीं देता है तो उसे 15 नंवबर तक जेल में ही रहना होगा।
दरअसल कोर्ट शुक्रवार 29 अक्तूबर तक खुला है। इसके बाद 30, 31 को शनिवार और रविवार की बंदी है। वहीं 1 नवंबर से 15 नवंबर तक दीवाली की छुट्टियों के चलते जज मौजूद नहीं रहेंगे। ऐसे में अगर पहले फैसला नहीं आता है तो आर्यन को इस बार घर नहीं बल्कि जेल में ही दीवाली मनानी होगी।
शनिवार को कोर्ट में केस की फाइलिंग होती है और सुनवाई के आसार कम ही रहते हैं। हालांकि जज अगर अंतिम मिनट में फैसला लें तो स्पेशल कोर्ट सुनवाई कर सकता है। अब अगर इसमें आर्यन की जमानत याचिका खारिज होती है तो उसे अब सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल करनी पड़ेगी।
एक संभावना ये भी जताई जा रही है कि एनडीपीएस कोर्ट की तरह हाईकोर्ट 15 नवंबर तक जमानत पर फैसला सुरक्षित रखे। हालांकि ऐसा होने की उम्मीद कम है। दरअसल दीवाली के बाद जजों के रोस्टर चेंज होंगे और फिर कोई नए जज बेंच पर आए तो उनके सामने फिर से सारी दलीलें रखी जाएं ऐसा संभव नहीं है। या तो हाईकोर्ट जमानत को मंजूरी दे सकता है या फिर इसे खारिज कर सकता है इसकी ही उम्मीद ज्यादा है।
धारा 21 के तहत नियम है कि जमानत के फैसलों को बहुत दिन तक नहीं रोका जा सकता है। इसमें कोर्ट को जल्दी फैसला सुनाना बहोता है। अगर हाईकोर्ट से आर्यन को राहत नहीं मिलती है तो ये मामला फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेगा। कोर्ट की 1 नवंबर से 7 नंवबर तक छुट्टी है। ऐसे में छुट्टियों में भी आर्यन की जमानत याचिका की सुनवाई के मौके दिख रहे हैं। हाईकोर्ट से जमानत खारिज होते ही ऑर्डर की कॉपी लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगानी होगी। अगर सुप्रीम कोर्ट को ये मामला महत्वपूर्ण लगता है तो स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हो सकती है।