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Joshimath: जोशीमठ की बसागत के साक्षी कल्पवृृक्ष पर मंडराने लगा खतरा, आदिगुरु शंकराचार्य से जुड़ा है खास नाता

विनय बहुगुणा, संवाद न्यूज एजेंसी,रुद्रप्रयाग Published by: रेनू सकलानी Updated Sun, 29 Jan 2023 05:05 PM IST
Joshimath is Sinking Eighth century old Kalpavriksha in danger Adiguru Shankaracharya did penance under tree
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जोशीमठ की बसागत के साक्षी कल्पवृक्ष पर ही खतरा मंडराने लगा है। आठवीं सदी से यह वृक्ष यहां के लोगों के सुख-दुख को गवाह बना हुआ है। अब, इस प्राचीन धरोहर की कई शाखाएं सूखने लगी हैं लेकिन इसके संरक्षण के लिए ठोस इंतजाम नहीं हो रहे हैं।

नगर क्षेत्र के ऊपरी तरफ ज्योतिर्मठ है जहां पर प्राचीन कल्पवृक्ष है। मान्यता है कि आठवीं सदी में केरल के कालसी में 11 वर्ष की उम्र में शंकराचार्य यहां पहुंचे थे। उन्होंने इस वृक्ष के नीचे गुफा में बैठकर पांच वर्ष तक तपस्या की। इसी स्थान पर उन्हें ज्योति के दर्शन हुए जिससे यहां का नाम ज्योतिर्मठ पड़ा।

बाद में ज्योतिर्मठ का अपभ्रंश होकर यह क्षेत्र जोशीमठ कहा जाने लगा। करीब 21 मीटर व्यास वाले इस वृक्ष की कई शाखाएं सूखने लगी है। साथ ही बीच का कुछ हिस्सा खोखला होता जा रहा है।
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भले ही स्थानीय निवासी रामेश्वर प्रसाद उनियाल व मंदिर के पुुजारी महिमानंद उनियाल का कहना है कि कल्पवृक्ष पूरी तरह से सुरक्षित है।
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इस प्राचीन वृक्ष की एक शाखा सूखती है तो दो-तीन नई शाखाएं निकल आती हैं।
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युवा विनीत उनियाल का कहना है कि आदिगुरु शंकराचार्य की बसाए ज्योतिर्मठ में पड़ रही दरारों से कई प्राचीन धार्मिक धरोहर भी खतरे की जद में आ रही हैं। 
 

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Joshimath is Sinking Eighth century old Kalpavriksha in danger Adiguru Shankaracharya did penance under tree
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कल्पवृक्ष के साथ ही यहां की अन्य धार्मिक व सामाजिक धरोहरों के संरक्षण के साथ ही संपूर्ण जोशीमठ की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम जरूरी है। लंबे समय से सरकार को जोशीमठ के हालातों के बारे में अवगत कराया जाता रहा है। बावजूद, किसी ने सुध नहीं ली है। - चंडी प्रसाद भट्ट, गांधी पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणविद्
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