उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन की खबर दूसरे दिन गुरुवार को भी पिता मोहन चंद्र पंत और मां कमला पंत को कोई नहीं सुना सका। माता-पिता को हादसे का पता न चलने देने के लिए पंत के आवास का लैंडलाइन फोन बुधवार को ही काट दिया गया था। बृहस्पतिवार को टीवी केबल भी हटा दिया गया और घर में अखबार भी नहीं पहुंचने दिया गया। प्रकाश पंत के बड़े भाई कैलाश पंत पिता से मिले पर वे भी उन्हें प्रकाश पंत के निधन की जानकारी देने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
गुरुवार को प्रकाश पंत के बड़े भाई कैलाश पंत और परिवारजन पिथौरागढ़ पहुंचे। कयास लगाए जा रहे थे कि कैलाश पंत अपने पिता को इस मनहूस खबर की जानकारी देंगे लेकिन वह वृद्ध माता, पिता को यह दुखद सूचना देने की हिम्मत नहीं कर पाए। कैलाश पंत दोपहर 1.45 बजे प्रकाश पंत के आवास खड़कोट पहुंचे। 1.50 बजे वह पिता के कक्ष में गए लेकिन भाई की मौत की खबर नहीं दी।
हां इतना जरूर बताया कि प्रकाश की तबियत ज्यादा खराब है। कैलाश पंत का कहना था कि पार्थिव शरीर शनिवार को पिथौरागढ़ पहुंचने की संभावना है। ये दो दिन माता, पिता कैसे झेल पाएंगे। इसी डर से उन्हें सूचना नहीं दी गई है। ऐहतियात के तौर पर पंत के आवास में जिला अस्पताल के डॉक्टर तैनात थे। डॉक्टरों ने प्रकाश पंत के पिता का बीपी वगैरह चेक किया।
कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के पिता मोहन चंद्र पंत (88) अक्सर सुबह 4 बजे उठ जाते हैं। दो दिन पूर्व बीपी बढ़ने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। तब से मोहन चंद्र पंत कुछ देरी से उठ रहे हैं। बृहस्पतिवार को वह सुबह करीब साढ़े सात बजे अपने कक्ष से बाहर आकर कुछ देर टहले। प्रकाश पंत के पुत्र सौरभ, भाई भूपेश पंत के पुत्र गौरव, पुत्री स्वाति देहरादून से पिथौरागढ़ पहुंचे। मंत्री के कैंप कार्यालय के पास कार्यकर्ता भी जमा थे। मंत्री के पिता ने पोता, पोती के घर आने, कार्यकर्ताओं के जमा होने का कारण पूछा। परिवारजनों ने बताया कि बच्चों की छुट्टियां हो रही हैं, इस वजह से घर आए हैं। कार्यकर्ताओं के विषय में बताया कि पार्टी की मीटिंग चल रही है।
पंत के खड़कोट स्थित आवास में कैंप कार्यालय भी है। जिला आगमन पर जिस कुर्सी पर मंत्री विराजमान रहते थे, आज वह सूनी पड़ी थी। खाली कुर्सी लोगों को अपने नेता की याद दिला रही थी। इसी को याद करते हुए कार्यकर्ताओं की आंखें छलक रही थी।