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बूथ प्रबंधन को जीत का मंत्र बनाएगी सपा: परंपरागत वोटबैंक के साथ अति पिछड़ों एवं दलितों पर बढ़ाएगी फोकस
चंद्रभान यादव, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Sun, 19 Mar 2023 12:45 PM IST
सार
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सपा ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कोलकाता में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जातीय जनगणना, छात्रसंघ चुनाव और महंगाई को मुद्दा बनाने के साथ ही बूथ प्रबंधन पर काम करने की योजना बनाई।
सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अखिलेश यादव।
- फोटो : amar ujala
समाजवादी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बूथ प्रबंधन पर विशेष रूप से फोकस करेगी। पार्टी परंपरागत वोटबैंक के साथ अति पिछड़ों और दलितों पर फोकस करेगी। महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ाई जाएगी। पार्टी के नेता जातीय जनगणना, उत्पीड़न को मुद्दा बनाएंगे। पार्टी के फ्रंटल संगठन उच्च शिक्षा संस्थानों की फीस और भर्ती, छात्रसंघ चुनाव और स्वास्थ्य सुविधाओं की अनदेखी को मुद्दा बनाएंगे। बूथ प्रबंधन में मैनपुरी मॉडल भी अपनाया जाएगा। इसके तहत एक कमेटी अलग से संबंधित लोकसभा क्षेत्र का सियासी तापमान नापेगी। यह फैसला कोलकाता में हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया।
कार्यकारिणी की बैठक में ज्यादातर वक्ताओं ने अल्पसंख्यक वोटबैंक को सहेजे रखने पर जोर दिया। कहा कि उनमें विश्वास बनाए रखना होगा कि सपा ही उनके हितों की रक्षा कर सकती है। बैठक में प्रो रामगोपाल, शिवपाल सिंह यादव, लालजी सुमन, किरनमय नंदा सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बूथ प्रबंधन पर जोर दिया। इन नेताओं ने कहा कि बूथ की कमेटी बहुस्तरीय होनी चाहिए। इसमें संबंधित बूथ की आबादी से हिसाब से अलग- अलग जाति के कार्यकर्ताओं का चयन किया जाए। लेकिन, इस बात का ध्यान रखा जाए कि संबंधित बूथ पर किसी बिरादरी के दो चार परिवार हैं तो संबंधित बिरादरी का कार्यकर्ता भी कमेटी में होना चाहिए, ताकि वह अपनी बिरादरी के मतदाताओं को बूथ तक ला सके।
जहां हर जाति के लोग हैं, उसमें अति पिछड़ों एवं दलितों की भागीदारी बढ़ाई जाए। दलितों में यह सुनिश्चित किया जाए कि उनकी अलग-अलग जातियों के कार्यकर्ता बूथ में अनिवार्य रूप से रहें। लालजी सुमन ने इस बात पर बार-बार जोर दिया कि सिर्फ पार्टी कार्यालय का चक्कर लगाने वालों को तवज्जो न देकर बूथ पर संघर्ष करने वालों को तवज्जो देनी होगी। इस पर अन्य नेताओं ने भी सहमति जताई। जया बच्चन, लीलावती कुशवाहा सहित अन्य महिला नेताओं ने जिला से लेकर बूथ स्तर पर सभी कमेटियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया। इसका प्रो रामगोपाल ने समर्थन किया। उन्होंने एलान किया कि महिलाओं को हर हाल में सम्मान दिया जाएगा। महिला सभा की पदाधिकारियों को विभिन्न संयोजन समितियों के जरिए जोड़ा जाए। महिला सभा को पूरी तरह से सक्रिय किया जाए। वे लोगों के घरों में जाकर आधी आबादी को पार्टी से जोड़ सकती हैं।
तय होगी जवाबदेही: कार्यकारिणी में सहमति बनी कि नेताओं की जवाबदेही व्यवस्था को मुकम्मल किया जाएगा। जिन लोगों को किसी लोकसभा क्षेत्र या विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी दी जाएगी, उससे वहां की पूरी व्यवस्था की रिपोर्ट ली जाएगी। संबंधित क्षेत्र में जाने के बाद नेता ने क्या बदलाव किया और उसका क्या परिणाम रहा, इसकी समीक्षा की जाएगी। जो लोग पार्टी की उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं देते हैं, उन्हें भविष्य में ऐसी जिम्मेदारी देने से बचा जाएगा।
जातीय जनगणना होगा अहम मुद्दा
बैठक में जातीय जनगणना की सभी नेताओं ने वकालत की। अंत में तय किया गया कि इस मुद्दे को निरंतर उठाया जाएगा। पार्टी की बैठक हो या धरना-प्रदर्शन सभी में इस मुद्दे को उठाया जाएगा। लोगों को बताया जाएगा कि पार्टी जातीय जनगणना के पक्ष में है, लेकिन भाजपा सरकार इसे नहीं करना चाहती है। विभिन्न अवसर पर दिए जाने वाले ज्ञापन में भी इसका जिक्र किया जाएगा।
बेरोजगारी, छात्रसंघ को मुद्दा बनाएंगे फ्रंटल संगठन
बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने सुझाव दिया कि पार्टी के विभिन्न फ्रंटल संगठन अलग- अलग मुद्दे को अपना एजेंडा बनाएंगे। युवजन सभा, लोहिया वाहिनी यूथ ब्रिगेड बेरोजगारी पर विशेष रूप से फोकस करेगी। छात्रसभा विभिन्न संस्थानों में हो रही नियुक्ति, बेरोजगारी की बढ़ती दर, छात्रसंघ चुनाव को मुद्दा बनाकर उन्हें पार्टी से जोड़ेगी।
हर बात का ध्यान से सुन रहे अखिलेश
बताया जा रहा है कि हर किसी को अपनी बात खुल कर रखने की छूट दी गई है। पार्टी के नेताओं ने जो अनुभव किए हैं और लोगों से जो फीडबैक मिला है, उसको रखने के लिए कहा गया है। इसका मुख्य कारण यह है कि नेता अपनी बात कह नहीं पाते हैं, इसलिए लोगों की भावनाओं का पता नहीं चल पाता। आखिर क्यों हो रही है हार, आखिर लोगों को किन बातों की जानकारी नहीं पहुंच रही है। आखिर सब कुछ होते हुए भी हार क्यों हो रही है। बताया जा रहा है कि इस बार की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अखिलेश यादव एक-एक बात पर नजर रख रहे हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा, यह सोच, निश्चित ही पार्टी को फायदा पहुंचाएगी। एक-एक प्वाइंट पर नेता जी खुद ध्यान रख रहे हैं। सभी को प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। इसका नतीजा ही है कि आज पहले दिन की बैठक में बहुत कुछ निकलकर सामने आया।
मुस्लिम और यादव सपा के साथ
बैठक में पार्टी नेताओं ने विश्वास जताया कि आज भी एमवाई (मुस्लिम और यादव) सपा के साथ हैं और पार्टी ने संगठन को और मजबूत बनाने पर भी जोर दिया। इसके लिए आगामी दिनों में कई कदम उठाए जाएंगे। सपा नेताओं ने बताया कि बैठक में ज्यादा जोर अति पिछड़ों पर दिया गया। अति पिछड़े पार्टी की मजबूत जनाधार हैं। आज भी अति पिछड़ों का पार्टी पर पूरा भरोसा है। बैठक में ईडी और सीबीआई की छापेमारी और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा भी उठा। उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव कल ही सार्वजनिक रूप से निंदा कर चुके हैं।
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