एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी से लेकर समाजवादी पार्टी और भाजपा तक में ये होड़ मची हुई है कि सूरमाओं के खिलाफ कौन खड़ा होगा।
लेकिन, मायावती इस कतार से एकदम दूर हैं। जिन प्रत्याशियों को उन्होंने राजनीति के धुरंधरों के सामने खड़ा किया है, वे पार्टी के ऐसे लोग हैं जिनके नाम भी आपने देश के फलक पर शायद ही देखे होंगे।
मोदी के खिलाफ वाराणसी से माया ने पुराने वफादार विजय प्रकाश जायसवाल को खड़ा किया है, तो मुलायम के खिलाफ मैनपुरी से स्वामी प्रसाद मौर्या की बेटी संघमित्रा मौर्या और आजमगढ़ से शाह आलम को मैदान में उतारा है।
इसी तरह, लखनऊ से राजनाथ के खिलाफ यूपी के पूर्व मंत्री नकुल दुबे लड़ेंगे। अमेठी और रायबरेली की सीटों पर भले ही कोई लड़ाई न हो, पर पार्टी ने यहां भी कोई शोशेबाजी नहीं की है। अमेठी से धर्मेंद्र प्रताप सिंह मैदान में हैं तो रायबरेली से प्रवेश सिंह।
मायावती ने जिन 80 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है, उसमें कुछ दागी भी शामिल हैं। हालांकि, जानकारी के मुताबिक इनकी संख्या बाकी दलों की अपेक्षाकृत कम नजर आ रही है।
जानकारों का कहना है कि बसपा ने जिन लोगों को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है, उनमें सिर्फ तीन विख्यात दागी चेहरे हैं। सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रहे पवन पांडेय, फैजाबाद से लड़ रहे जीतेंद्र सिंह और मुजफ्फरनगर दंगों में नामजद हुए कादिर राणा का नाम दागियों की फेहरिस्त में लिया जा सकता है।
इसकी एक वजह मानी जा रही है कि कम से कम मायावती ने नए माफियाओं को टिकट न देते हुए कुछ पुरानों पर ही भरोसा दिखाया है।
मायावती ने दलबदलुओं को टिकट देने से खासा परहेज किया है। लिस्ट में ऐसा कोई भी बड़ा नाम नहीं शामिल है, जिसने हाल ही में बसपा से जुड़कर टिकट हासिल कर लिया हो।
हालांकि, इस मामले में भाजपा में जबरदस्त अंदुरूनी कलह मची हुई है। जगदंबिका पाल कांग्रेस से आए और उन्हें डुमरियागंज से टिकट मिल गया। सपा के कीर्तिवर्धन सिंह को भी भाजपा ने गोंडा से टिकट दे दिया।
इसी तरह सपा में भी बसपा से गए बर्क को लोकसभा टिकट दिया गया है। हालांकि, इसका सपा के मंत्री ही विरोध करते रहे।
सोशल इंजीनिरिंग के फॉर्मूले में एक बार फिर मायावती सधी हुई नजर आ रही हैं। माया ने लिस्ट का एलान करने से पहले ही बता दिया कि उन्होंने इस चुनाव में हर वर्ग के लोगों को बराबर मौका देने की कोशिश की है।
उन्होंने 21 ब्राह्मणों को टिकट देकर पंडितों के वोटबैंक पर तो हाथ साफ करने की योजना बनाई है, लेकिन यूपी की सिर्फ 17 सीटों पर ही अनुसूचित जाति के प्रत्याशी खड़े किए हैं।
गौरतलब है कि यूपी में ये सभी सीटें अनुसूचित जाति के लिए ही आरक्षित थीं। इस लिहाज से मायावती ने एससी वोटबैंक को बढ़ाने की कोशिश नहीं की है।
हालांकि, माया ने ओबीसी और मुस्लिम मिलाकर 34 सीटों पर दांव खेला है। इसका खासा फायदा भी पार्टी को मिल सकता है। पूरी लिस्ट में 7 महिलाएं भी शामिल हैं और 8 क्षत्रियों को भी टिकट दिया गया है।
मायावती ने इस लिस्ट के साथ यह भी जाहिर कर दिया है कि उनकी पार्टी में संगठन को खासी तरदीह दी जाती है। मायावती ने सिर्फ 10 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं, और उनकी जगह पार्टी के काडर को ही जगह दी है।
इसके अलावा, उन्नाव से प्रत्याशी ब्रजेश पाठक और जालौन से प्रत्याशी ब्रजलाल खाबरी को राज्यसभा से लोकसभा में भेजने का भी मन बनाया है। इसीलिए उन्होंने दोनों राज्यसभा सांसदों को चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतार दिया है।
बसपा के सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान ने यह लिस्ट काफी मंथन करने के बाद बनाई है ताकि बाकी पार्टियों की तरह कलह सतह पर न आने पाए और प्रचार अभियान पर दाग न लगें।
अंबेडकरनगर-राकेश पांडेय, सुल्तानपुर-पवन पांडेय, फैजाबाद-जीतेंद्र सिंह उर्फबबलू, बाराबंकी(सु.)-कमला प्रसाद रावत, कैसरगंज-कृष्ण कुमार ओझा, बहराइच(सु.)-डा. विजय कुमार, गोंडा-अकबर अहमद डंपी, श्रावस्ती-लाल जी वर्मा, मोहनलालगंज (सु.)-आरके चौधरी
लखनऊ-नकुल दुबे, रायबरेली-प्रवेश सिंह, देवरिया-नियाज खां, बस्ती-राम प्रसाद चौधरी, संतकबीरनगर-भीष्म शंकर उर्फकुशल तिवारी
डुमरियागंज-मो. मुकीम, गोरखपुर-राम भुआल निषाद, बासगांव (सु.)-सदल प्रसाद, आजमगढ़-शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली
चंदौली-अनिल कुमार मौर्य, इलाहाबाद-केशरी देवी पटेल, घोसी-दारा सिंह चौहान, लालगंज (सु.)-डा. बलिराम, फूलपुर-कपिल मुनि करवरिया, कौशांबी (सु.)-सुरेश पासी, वाराणसी-विजय प्रकाश जायसवाल, भदोही- राकेश धर त्रिपाठी, राबर्ट्सगंज (सु.)-शारदा प्रसाद
गाजीपुर-कैलाश नाथ सिंह यादव,बलिया-वीरेंद्र कुमार पाठक, नगीना(सु.)-गिरीश चंद्र जाटव, बिजनौर-मलूक नागर, फतेहपुर-अफजल सिद्दीकी, बागपत-प्रशांत चौधरी, झांसी-अनुराधा शर्मा, फतेहपुर सीकरी-सीमा उपाध्याय, अलीगढ़-ठाकुर अरविंद कुमार सिंह
हाथरस(सु.)-मनोज कुमार सोनी, गाजियाबाद-मुकुल उपाध्याय, गौतमबुद्धनगर-सतीश अवाना, जौनपुर-सुभाष पांडेय
मछलीशहर(सु.)-वीपी सरोज, मैनपुरी-डा. संघमित्रा मौर्या, फर्रुखाबाद-जयवीर सिंह, इटावा(सु.)-अजय पाल सिंह जाटव, कन्नौज-निर्मल तिवारी, हमीरपुर-राकेश गोस्वामी, बांदा-आरके सिंह पटेल, मेरठ-हाजी शाहिद इकलाक, आगरा(सु.)-श्री नारायण सिंह
फिरोजाबाद-ठाकुर विश्व दीप सिंह, मथुरा-पंडित योगेश कुमार द्विवेदी, एटा-इंजीनियर नूर मोहम्मद, प्रतापगढ़-आशिफ निजामुद्दीन सिद्दीकी, कानपुर नगर-सलीम अहमद, अकबरपुर-अनिल शुक्ला वारसी, महराजगंज-काशीनाथ शुक्ल, कुशीनगर-डा. संगम मिश्र
उन्नाव-बृजेश पाठक, जालौन(सु.)-बृजलाल खाबड़ी, अमेठी-डा. धर्मेंद्र प्रताप सिंह, बरेली-उमेश गौतम, आंवला-सुनीता शाक्य
पीलीभीत-अनीस अहमद उर्फ फूलबाबू, बदायूं-अकमल खां उर्फ चमन, शाहजहांपुर (सु.)-उम्मेद सिंह कश्यप, मिश्रिख (सु.)-अशोक रावत
हरदोई (सु.)-शिव प्रसाद वर्मा, लखीमपुर खीरी-अरविंद गिरि, धौरहरा-दाउद अहमद, सीतापुर-कैसरजहां, सहारनपुर-जगदीश सिंह राणा
कैराना-कंवर हसन, मुजफ्फरनगर-कादिर राणा (सिटिंग सांसद), मुरादाबाद-हाजी याकूब कुरैशी
संभल-अकीर्लुरहमान खां, रामपुर-हाजी अकबर हुसैन, अमरोहा-हाजी फरहत हसन उर्फ हाजी शब्बन, बुलंदशहर(सु.)-प्रदीप जाटव, मिर्जापुर-समुद्रा बिन्द, सलेमपुर-रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू
एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी से लेकर समाजवादी पार्टी और भाजपा तक में ये होड़ मची हुई है कि सूरमाओं के खिलाफ कौन खड़ा होगा।
लेकिन, मायावती इस कतार से एकदम दूर हैं। जिन प्रत्याशियों को उन्होंने राजनीति के धुरंधरों के सामने खड़ा किया है, वे पार्टी के ऐसे लोग हैं जिनके नाम भी आपने देश के फलक पर शायद ही देखे होंगे।
मोदी के खिलाफ वाराणसी से माया ने पुराने वफादार विजय प्रकाश जायसवाल को खड़ा किया है, तो मुलायम के खिलाफ मैनपुरी से स्वामी प्रसाद मौर्या की बेटी संघमित्रा मौर्या और आजमगढ़ से शाह आलम को मैदान में उतारा है।
इसी तरह, लखनऊ से राजनाथ के खिलाफ यूपी के पूर्व मंत्री नकुल दुबे लड़ेंगे। अमेठी और रायबरेली की सीटों पर भले ही कोई लड़ाई न हो, पर पार्टी ने यहां भी कोई शोशेबाजी नहीं की है। अमेठी से धर्मेंद्र प्रताप सिंह मैदान में हैं तो रायबरेली से प्रवेश सिंह।
दागियों से इन्हें भी नहीं परहेज
मायावती ने जिन 80 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है, उसमें कुछ दागी भी शामिल हैं। हालांकि, जानकारी के मुताबिक इनकी संख्या बाकी दलों की अपेक्षाकृत कम नजर आ रही है।
जानकारों का कहना है कि बसपा ने जिन लोगों को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है, उनमें सिर्फ तीन विख्यात दागी चेहरे हैं। सुल्तानपुर से चुनाव लड़ रहे पवन पांडेय, फैजाबाद से लड़ रहे जीतेंद्र सिंह और मुजफ्फरनगर दंगों में नामजद हुए कादिर राणा का नाम दागियों की फेहरिस्त में लिया जा सकता है।
इसकी एक वजह मानी जा रही है कि कम से कम मायावती ने नए माफियाओं को टिकट न देते हुए कुछ पुरानों पर ही भरोसा दिखाया है।
दलबदलुओं को नहीं मिली 'माया'
मायावती ने दलबदलुओं को टिकट देने से खासा परहेज किया है। लिस्ट में ऐसा कोई भी बड़ा नाम नहीं शामिल है, जिसने हाल ही में बसपा से जुड़कर टिकट हासिल कर लिया हो।
हालांकि, इस मामले में भाजपा में जबरदस्त अंदुरूनी कलह मची हुई है। जगदंबिका पाल कांग्रेस से आए और उन्हें डुमरियागंज से टिकट मिल गया। सपा के कीर्तिवर्धन सिंह को भी भाजपा ने गोंडा से टिकट दे दिया।
इसी तरह सपा में भी बसपा से गए बर्क को लोकसभा टिकट दिया गया है। हालांकि, इसका सपा के मंत्री ही विरोध करते रहे।
सोशल इंजीनियरिंग पर फिर फिट
सोशल इंजीनिरिंग के फॉर्मूले में एक बार फिर मायावती सधी हुई नजर आ रही हैं। माया ने लिस्ट का एलान करने से पहले ही बता दिया कि उन्होंने इस चुनाव में हर वर्ग के लोगों को बराबर मौका देने की कोशिश की है।
उन्होंने 21 ब्राह्मणों को टिकट देकर पंडितों के वोटबैंक पर तो हाथ साफ करने की योजना बनाई है, लेकिन यूपी की सिर्फ 17 सीटों पर ही अनुसूचित जाति के प्रत्याशी खड़े किए हैं।
गौरतलब है कि यूपी में ये सभी सीटें अनुसूचित जाति के लिए ही आरक्षित थीं। इस लिहाज से मायावती ने एससी वोटबैंक को बढ़ाने की कोशिश नहीं की है।
हालांकि, माया ने ओबीसी और मुस्लिम मिलाकर 34 सीटों पर दांव खेला है। इसका खासा फायदा भी पार्टी को मिल सकता है। पूरी लिस्ट में 7 महिलाएं भी शामिल हैं और 8 क्षत्रियों को भी टिकट दिया गया है।
संगठन के लोगों पर भरोसा कायम
मायावती ने इस लिस्ट के साथ यह भी जाहिर कर दिया है कि उनकी पार्टी में संगठन को खासी तरदीह दी जाती है। मायावती ने सिर्फ 10 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे हैं, और उनकी जगह पार्टी के काडर को ही जगह दी है।
इसके अलावा, उन्नाव से प्रत्याशी ब्रजेश पाठक और जालौन से प्रत्याशी ब्रजलाल खाबरी को राज्यसभा से लोकसभा में भेजने का भी मन बनाया है। इसीलिए उन्होंने दोनों राज्यसभा सांसदों को चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतार दिया है।
बसपा के सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान ने यह लिस्ट काफी मंथन करने के बाद बनाई है ताकि बाकी पार्टियों की तरह कलह सतह पर न आने पाए और प्रचार अभियान पर दाग न लगें।
ये हैं माया के पहले 40 योद्धा
अंबेडकरनगर-राकेश पांडेय, सुल्तानपुर-पवन पांडेय, फैजाबाद-जीतेंद्र सिंह उर्फबबलू, बाराबंकी(सु.)-कमला प्रसाद रावत, कैसरगंज-कृष्ण कुमार ओझा, बहराइच(सु.)-डा. विजय कुमार, गोंडा-अकबर अहमद डंपी, श्रावस्ती-लाल जी वर्मा, मोहनलालगंज (सु.)-आरके चौधरी
लखनऊ-नकुल दुबे, रायबरेली-प्रवेश सिंह, देवरिया-नियाज खां, बस्ती-राम प्रसाद चौधरी, संतकबीरनगर-भीष्म शंकर उर्फकुशल तिवारी
डुमरियागंज-मो. मुकीम, गोरखपुर-राम भुआल निषाद, बासगांव (सु.)-सदल प्रसाद, आजमगढ़-शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली
चंदौली-अनिल कुमार मौर्य, इलाहाबाद-केशरी देवी पटेल, घोसी-दारा सिंह चौहान, लालगंज (सु.)-डा. बलिराम, फूलपुर-कपिल मुनि करवरिया, कौशांबी (सु.)-सुरेश पासी, वाराणसी-विजय प्रकाश जायसवाल, भदोही- राकेश धर त्रिपाठी, राबर्ट्सगंज (सु.)-शारदा प्रसाद
गाजीपुर-कैलाश नाथ सिंह यादव,बलिया-वीरेंद्र कुमार पाठक, नगीना(सु.)-गिरीश चंद्र जाटव, बिजनौर-मलूक नागर, फतेहपुर-अफजल सिद्दीकी, बागपत-प्रशांत चौधरी, झांसी-अनुराधा शर्मा, फतेहपुर सीकरी-सीमा उपाध्याय, अलीगढ़-ठाकुर अरविंद कुमार सिंह
हाथरस(सु.)-मनोज कुमार सोनी, गाजियाबाद-मुकुल उपाध्याय, गौतमबुद्धनगर-सतीश अवाना, जौनपुर-सुभाष पांडेय
ये हैं बसपा के अगले 40 योद्धा
मछलीशहर(सु.)-वीपी सरोज, मैनपुरी-डा. संघमित्रा मौर्या, फर्रुखाबाद-जयवीर सिंह, इटावा(सु.)-अजय पाल सिंह जाटव, कन्नौज-निर्मल तिवारी, हमीरपुर-राकेश गोस्वामी, बांदा-आरके सिंह पटेल, मेरठ-हाजी शाहिद इकलाक, आगरा(सु.)-श्री नारायण सिंह
फिरोजाबाद-ठाकुर विश्व दीप सिंह, मथुरा-पंडित योगेश कुमार द्विवेदी, एटा-इंजीनियर नूर मोहम्मद, प्रतापगढ़-आशिफ निजामुद्दीन सिद्दीकी, कानपुर नगर-सलीम अहमद, अकबरपुर-अनिल शुक्ला वारसी, महराजगंज-काशीनाथ शुक्ल, कुशीनगर-डा. संगम मिश्र
उन्नाव-बृजेश पाठक, जालौन(सु.)-बृजलाल खाबड़ी, अमेठी-डा. धर्मेंद्र प्रताप सिंह, बरेली-उमेश गौतम, आंवला-सुनीता शाक्य
पीलीभीत-अनीस अहमद उर्फ फूलबाबू, बदायूं-अकमल खां उर्फ चमन, शाहजहांपुर (सु.)-उम्मेद सिंह कश्यप, मिश्रिख (सु.)-अशोक रावत
हरदोई (सु.)-शिव प्रसाद वर्मा, लखीमपुर खीरी-अरविंद गिरि, धौरहरा-दाउद अहमद, सीतापुर-कैसरजहां, सहारनपुर-जगदीश सिंह राणा
कैराना-कंवर हसन, मुजफ्फरनगर-कादिर राणा (सिटिंग सांसद), मुरादाबाद-हाजी याकूब कुरैशी
संभल-अकीर्लुरहमान खां, रामपुर-हाजी अकबर हुसैन, अमरोहा-हाजी फरहत हसन उर्फ हाजी शब्बन, बुलंदशहर(सु.)-प्रदीप जाटव, मिर्जापुर-समुद्रा बिन्द, सलेमपुर-रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू