यूनिसेफ इंडिया और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 'कोविड-19 न्यू मैसेजिंग एंड इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई 4.0)' विषय पर मीडिया ओरिएंटेशन वर्कशॉप का आयोजन किया। इस मीडिया सहभागिता सत्र में हर साल 24-30 अप्रैल के बीच मनाए जाने वाले 'विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह' को भी शामिल किया गया। इस मीडिया कार्यशाला में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की एडिशनल कमिश्नर वीना धवन, एडवोकेसी एंड पार्टनरशिप यूनिसेफ इंडिया की संचार प्रमुख जाफरीन चौधरी और यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक वीरेंद्र सिंह शामिल हुए। कार्यक्रम में सघन इंद्रधनुष मिशन 4.0 और इम्यूनाइजेशन विषय पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत में जाफरीन चौधरी ने देश में चल रहे वैक्सीनेशन के महत्व को बताया।
अपने वक्तव्य की शुरुआत करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की एडिशनल कमिश्नर वीना धवन ने बताया कि वैक्सीनेशन को लेकर लोगों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। कोविड ने हमें प्रतिकूल परिस्थितियों का किस तरह से मुकाबला करना है, इस बारे में समझा दिया है।
बता दें कि अबतक देशभर में 187 करोड़ डोज लोगों को लग चुकी है। इसके पीछे पब्लिक हेल्थ सिस्टम ने एक बड़ी भूमिका निभाई है। वीना ने बताया कि वैक्सीनेशन के चलते शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है।
यूनिसेफ के कार्यक्रम में उन्होंने अपनी बात करते हुए कहा-
साल 2017 में हमने इसे इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष कर दिया। वहीं कोरोना वायरस और और कोविड वैक्सीनेशन के चलते इस मिशन में जो अंतराल आया है। उसे भरे जाने की जरूरत है, ताकि देश के सभी बच्चे सुरक्षित रह सकें। हमने हाल में मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत फरवरी, मार्च और अप्रैल में 3 राउंड चलाए।
इन तीनों राउंड के दौरान हमने करीब 4.7 लाख सेशन को आयोजित किया। तब से लेकर अब तक हम 43 लाख बच्चों और 11 लाख प्रेग्नेंट महिलाओं को वैक्सीनेट कर चुके हैं। वीना धवन ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोविड काल के दौरान मीडिया ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा उन्होंने रूटीन इम्यूनाइजेशन के महत्व पर भी जोर दिया।
अमर उजाला के सवाल-
''वैक्सीनेशन को लेकर मिस इंफॉर्मेशन और अफवाहों के बीच जो लोग वैक्सीन लगवाने से डर रहे हैं। उनके बीच व्याप्त इस संदेह को कैसे खत्म किया जा सकता है?''
इस सवाल के जवाब में वीना धवन ने बताया कि लोगों के बीच विश्वसनीय स्रोत से सही सूचना पहुंचाने की जरूरत है। इसके अलावा हम लोग धार्मिक नेता, क्षेत्रीय नेता, ग्राम पंचायत लोगों को अपने साथ शामिल करते हैं। उसके बाद उन लोगों के साथ मिलकर स्थानीय लोगों के बीच व्याप्त अफवाहों और मिस इंफॉर्मेशन को सही जानकारी की मदद से खत्म करने का काम करते हैं।
इसके बाद यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक वीरेंद्र सिंह ने अपनी बात रखते हुए वैक्सीनेशन के महत्व को बताया।
उन्होंने आगे बताया कि जो बच्चा पूरी तरह इम्यूनाइज्ड होता है। वह जीवन में ज्यादा स्वस्थ और उत्पादक होता है, बजाए उसके जो बच्चा इम्यूनाइज्ड नहीं हुआ है। वर्तमान में यूनिसेफ ने वैक्सीन को काफी कॉस्ट इफेक्टिव बना दिया है। यूनिसेफ कई गरीब देशों में वैक्सीनेशन की सुविधा पहुंचा रहा है। इसके अलावा यूनिसेफ भारत सरकार के साथ मिलकर वैक्सीनेशन ड्राइव को सुव्यवस्थित ढंग से मैनेज करने का भी काम कर रहा है। उन्होंने वैक्सीनेशन सप्लाई चैन और यूनिसेफ की भूमिका के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें कहीं।
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यूनिसेफ इंडिया और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 'कोविड-19 न्यू मैसेजिंग एंड इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई 4.0)' विषय पर मीडिया ओरिएंटेशन वर्कशॉप का आयोजन किया। इस मीडिया सहभागिता सत्र में हर साल 24-30 अप्रैल के बीच मनाए जाने वाले 'विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह' को भी शामिल किया गया। इस मीडिया कार्यशाला में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की एडिशनल कमिश्नर वीना धवन, एडवोकेसी एंड पार्टनरशिप यूनिसेफ इंडिया की संचार प्रमुख जाफरीन चौधरी और यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर विवेक वीरेंद्र सिंह शामिल हुए। कार्यक्रम में सघन इंद्रधनुष मिशन 4.0 और इम्यूनाइजेशन विषय पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत में जाफरीन चौधरी ने देश में चल रहे वैक्सीनेशन के महत्व को बताया।
उन्होंने कहा- वैक्सीन निर्माता, वितरक, आशा वर्कर से लेकर जो लोग इस वैक्सीनेशन ड्राइव को सफल करने की कोशिश में लगे हुए हैं, उनका शुक्रिया अदा किया।