सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की खबर ने सभी लोगों को गमहीन कर दिया है। एक 34 साल के युवा कलाकार का इस तरह आत्महत्या करना दुखद है। पूरी दुनिया के चेेहरों पर हंसी बिखेरने वाले सुशांत यूं चले जाएंगे किसी ने सोचा भी नहीं था।
सुशांत सिंह की आत्महत्या के पीछे डिप्रेशन को बड़ी वजह माना रहा है। ऐसे सामान्य सवाल उठते हैं कि डिप्रेशन की वह कौन सी स्टेज होती है जिसमें व्यक्ति अपनी जान तक ले लेता है। आपको बता दें सुशांत की पूर्व मैनेेजर ने भी कुछ दिन पहले आत्महत्या कर ली थी।
आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोका जा सकता है, अगर हमें इसके लक्षणों के बारे में पता हो। अमर उजाला ने इस संबंध में डॉक्टर से भी बातचीत की। आइए जानते हैं क्या कहते हैं डॉक्टर डिप्रेशन के बारे में और कैसे रोका जा सकता है सुसाइड के मामलों को।
अचानक नहीं करता कोई भी आत्महत्या
- कोई भी व्यक्ति अचानक आत्महत्या जैसा बड़ा कदम नहीं उठाता है। डॉक्टरों के अनुसार आत्महत्या करने वाला व्यक्ति बहुत लंबे समय से सुसाइड करने के बारे में सोच रहा होता है। इस बारे में हमने हल्द्वानी की मनोचिकित्सक डॉक्टर संगीता जोशी से फोन पर बात की।
- उन्होंने बताया कि कोई भी इतना बड़ा कदम आसानी से नहीं उठाता है। व्यक्ति बहुत समय से इन सबके बारे में सोच रहा होता है। डॉक्टर संगीता जोशी कहती हैं कि आसपास रहने वाले लोग कुछ संकेतों से आसानी से पता लगा सकते हैं कि व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है।
सबसे प्रिय व्यक्ति के निधन के कारण
- डॉक्टर संगीता जोशी ने सुशांत सिंह राजपूत का उदाहरण देकर इस बात को समझाया कि सुशांत की माता का निधन 2002 में हो गया था और हो सकता है वो तब से अकलेपन का शिकार रहे हों। कई बार व्यक्ति किसी अपने को खोने के गम को भूल नहीं पाता है और उसके दिमाग में उनकी ही यादें बसी रहती हैं। जिस वजह से दुनिया से मन भरने लगता है और व्यक्ति अकेले रहना ही पसंद करता है। धीरे- धीरे ये अकेलापन उसे आत्महत्या की ओर अग्रसर कर देता है। अगर आपके आसपास भी कोई व्यक्ति ऐसा है तो उसकी मदद के लिए आगे आएं।
दुखी रहना
- लगातार दुखी रहने से भी लोग आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाने को तैयार हो जाते हैं। डॉक्टर संगीता जोशी कहती हैं कि ऐसे व्यक्ति जो हमेशा दुखी रहते हैं उनके आत्महत्या करने की संभावना अधिक रहती है। उनकी बातों में दुख और अवसाद के लक्षण साफ दिखाई देते हैं। किसी चीज के बारे में ऐसे व्यक्ति सकारात्मक ना रहकर हमेंशा निराशाजनक सोचते हैं।
सोशल मीडिया से दूरी
- आत्महत्या करने वाला व्यक्तिअपने आसपास के माहौल से दूर होने लगता है। देखने में आया है कि ऐसे व्यक्ति सार्वजनिक रूप से भी एक दूरी बना लेते हैं। समारोह, आयोजन आदि में ये शिरकत नहीं करते हैं। सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म से इनकी दूरी देखी जा सकती है। अक्सर ऐसे लोग अपनी पुरानी पोस्टों को हटा देतेे हैं।
- डॉक्टर संगीता जोशी कहती हैं अगर व्यक्ति ऐसा कुछ कर रहा है तो हो सकता है वो आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाने जा रहा हो। हालांकि डॉक्टर जोशी ये भी कहती हैं कि हो सकता है कि व्यक्ति किसी और कारण सोशल मीडिया से दूरी बना रहा हो, लेकिन इन संकेतों से इंकार नहीं किया जा सकता।