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African Swine Fever: पंजाब से राजस्थान पहुंचा अफ्रीकन स्वाइन फीवर, हजारों सुअरों की मौत के बाद अलर्ट जारी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुर Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 06 Feb 2023 06:21 PM IST
सार

पंजाब के बाद पड़ोसी राज्य राजस्थान भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर की चपेट में आ गया है। प्रदेश में हजारों सुअरों की मौत इस फ्लू के कारण हो गई है। राज्य सरकार ने सुअर के मांस और उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी है।
 

African swine fever reached Rajasthan from Punjab alert issued after death of thousands of pigs
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

राजस्थान के पशुपालन विभाग ने सुअरों में तेजी से फैल रहे अफ्रीकन स्वाइन फीवर और इससे मौत के बड़े आंकड़ों को देखते हुए पूरे राज्य में अलर्ट घोषित कर दिया है। प्रत्येक जिले में सुअरों की मौत का डेटा जुटाया जा रहा है। जयपुर के जोबनेर, रेनवाल, भरतपुर, सवाई माधोपुर, कोटा और करौली में इस रोग की पुष्टि हो चुकी है। स्थानीय अधिकारियों का कहना है, यह वायरस तेजी से सुअरों को संक्रमित कर रहा है।



बता दें कि सवाई माधोपुर जिले के अलनपुर क्षेत्र में दो हजार 966 सुअर वायरस से संक्रमित होकर मर चुके हैं। कोटा के सांगोद क्षेत्र में 680 सुअरों में यह बीमारी फैली और 444 से ज्यादा सुअर मर गए। जयपुर के जोबनेर में 66 संक्रमित सुअरों में से 60 तड़पकर दम तोड़ चुके हैं। भरतपुर के कामां, नगर, बयाना, भुसावर, उज्जैन और सेवर में भी यह रोग तेजी से वायरस फैला है। भरतपुर जिले में 177 संक्रमित सुअरों में से 70 की मौत हो चुकी है। करौली जिले में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से पॉजिटिव मिले 50 पशुओं में से 10, अलवर जिले में 82 संक्रमित पशुओं में से 60 सुअर वंश के पशुओं की मौत हो चुकी है।


राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल भिजवाए जा रहे जांच सैंपल...
अफ्रीकन स्वाइन फीवर के मामलों को गंभीरता से लेते हुए पशुपालन विभाग ने प्रदेश के प्रत्येक जिले में ब्लॉक स्तरीय दलों का गठन किया है। अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की चपेट में  बड़े स्तर पर ये पशु न आएं, इसके लिए सरकार ने सुअर के मांस और अन्य उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। राजस्थान के अधिकांश जिलों में सुअरों की बिक्री के लिए उनकी आवाजाही पर भी रोग लगा दी गई है। पूरे राज्य में अलर्ट घोषित कर दिया गया है।



संक्रमित क्षेत्र (इंफेक्टड जोन), निगरानी क्षेत्र (सर्विलेंस जोन) और मुक्त क्षेत्र (फ्री जोन) के आधार पर गठित इन दलों की ओर से संक्रमित और सुअर वंश के पशुओं के घूमने वाली जगहों पर पहुंचकर सर्वे कर रोग की रोकथाम और डायग्नोसिस के लिए हर संभव कार्रवाई की जा रही है। गठित टीमें संक्रमित और मरे हुए सुअरों के सैंपल इकट्ठा कर अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग की पुष्टि के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, निषाद भोपाल भिजवा रही है।

हर जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर कंट्रोलिंग के लिए एरिया वाइज टीमें तैनात...
रोग की आक्रामकता और सुअर पालने वाले पशुपालकों के हितों को ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने रोग की रोकथाम के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए हैं। डॉ. राठौड़ ने बताया कि रोग की संवेदनशीलता को देखते हुए विभागीय अधिकारियों को अलर्ट जारी कर सुअर वंश के पशुओं को इस रोग से बचाने और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए प्रत्येक जिले के प्रभावित क्षेत्रों में बीमारी के सर्वे, डायग्नोसिस कर एरिया वाइज एक्शन लेने को कहा है।

संक्रमित सुअरों के संपर्क में आए अन्य सुअरों का साइंटिफिक मेथड से यूथेनाइज, एरिया डिसइन्फेक्टेशन करने, वेक्टर कण्ट्रोल, बायो वेस्ट, पशु आहार और अन्य कचरे का निस्तारण किया जाएगा, ताकि रोग पर नियंत्रण किया जा सके। वहीं, जंगली सुअरों में रोग प्रकोप नियंत्रण के लिए वन विभाग और अन्य संबंधित विभागों के साथ कोआर्डिनेशन कर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि सुअरों की असामान्य मौत और अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि के संबंध में प्रभावित क्षेत्र के जिला प्रशासन, संबंधित ब्लॉक स्तरीय नोडल अधिकारी, स्थानीय निकाय, पंचायतों को जानकारी देकर ज़रूरी मदद ली जा रही है।

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