जलवायु परिवर्तन पर लड़कियों, युवतियों और महिलाओं की राय जानने के लिए यूनिसेफ के मोबाइल एप बेस्ड फ्लैगशिप डिजिटल प्लेटफॉर्म U-Report ने एक सर्वे किया है। इसमें 90 देशों की 33,523 महिलाओं ने हिस्सा लिया। महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 18 अलग-अलग भाषाओं में सवाल पूछे गए। सर्वे में हिस्सा लेने वाली 80 फीसदी महिलाओं ने बताया कि वे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कोई ना कोई योगदान जरूर देती हैं।
जलवायु परिवर्तन के बारे में कितना जानती हैं महिलाएं?
सर्वे में हिस्सा लेने वाली 44 फीसदी महिलाओं ने बताया कि वे जलवायु परिवर्तन के बारे में जानकारी रखती हैं। वहीं, 19 फीसदी ने कहा कि वह इस पर करीब घंटों तक बात कर सकती हैं। सिर्फ नौ फीसदी ने कहा कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में कभी नहीं सुना।
जब महिलाओं से पूछा गया कि क्या आप मानती हैं कि कोरोना की तरह जलवायु परिवर्तन को भी गंभीरता से लिया जाता है? इस सवाल के जवाब में आधे से अधिक यानी 57 फीसदी लड़कियों और युवतियों ने माना कि जलवायु परिवर्तन को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता, जैसे कोरोना को लिया जाता है। हालांकि, सर्वे में हिस्सा लेने वाली 34 फीसदी लड़कियों-महिलाओं ने माना कि जलवायु परिवर्तन को भी कोरोना की तरह गंभीरता से लिया जाता है।
जलवायु परिवर्तन के बारे में कौन ज्यादा प्रयास करता है, महिलाएं या पुरुष? इस सवाल के जवाब में 52 फीसदी उत्तरदाताओं ने माना कि दोनों ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रयास करते हैं। वहीं, 24 फीसदी ने कहा की पर्यावरण के संरक्षण में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा होती है।
80 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्हें ने कभी न कभी पर्यावरण संरक्षण से जुड़े किसी कैंपेन में हिस्सा लिया है या पर्यावरण के बारे में कभी किसी दोस्त या परिवार के किसी सदस्य को जागरुक किया है। सिर्फ 16 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अब तक पर्यावरण से जुड़े किसी कार्यक्रम में कोई हिस्सेदारी नहीं ली है।
सर्वे में शामिल 56 फीसदी लड़कियों और युवा महिलाओं ने कहा कि उन्हें यह नहीं पता है कि जलवायु परिवर्तन का लड़कियों और युवा महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। जब इन लोगों से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि लड़कियां और युवा महिलाएं जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को कम करने की शक्ति रखती हैं तो 79 फीसदी ने इसका जवाब हां में दिया।
सर्वे में किसने हिस्सा लिया?
सर्वे में हिस्सा लेने वाली 90 देशों की 33,523 लड़कियों और युवा महिलाओं ने इस सर्वे में हिस्सा लिया। सर्वे में हिस्सा लेने वाली 46 फीसदी लड़कियां 10 से 17 साल की थीं। वहीं, 54 फीसदी युवतियों की उम्र 18 से 25 साल के बीच थी। सर्वे में 92 फीसदी ने ऑनलाइन तो आठ फीसदी ने ऑफलाइन हिस्सा लिया। सर्वे में हिस्सा लेने वाली लड़कियों और युवा महिलाओं में 43 फीसदी गर्ल गाइड्स एंड स्काउट थीं। वहीं, 57 फीसदी आम लड़कियां और युवतियां थीं। सर्वे में सबसे ज्यादा 43.8 फीसदी लड़कियां और युवा महिलाएं दक्षिण एशिया की थीं।
कुछ तथ्य
- जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित हुए पांच लोगों में से चार महिलाएं होती हैं।
- जलवायु परिवर्तन से उपजी चुनौतियों के चलते लड़कियों को अपनी पढ़ाई पहले छोड़कर घर के कामकाज और परिवार की देखभाल में लगना पड़ता है।
- पर्यावरण से उपजे संकट के बाद लड़कों के मुकाबले लड़कियों के दोबारा स्कूल में दाखिल लेने की संभावना कम होती है।
- जल संकट की स्थिति में लड़कियों और महिलाओं को पानी लाने के लिए कई बार असुरक्षित माहौल के बीच लंबा रास्ता तय करना होता है। इससे उनके साथ हिंसा होने का जोखिम बढ़ जाता है।
- 2025 तक जलवायु परिवर्तन की वजह से 1.2 करोड़ लड़कियों को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ सकती है।
विस्तार
जलवायु परिवर्तन पर लड़कियों, युवतियों और महिलाओं की राय जानने के लिए यूनिसेफ के मोबाइल एप बेस्ड फ्लैगशिप डिजिटल प्लेटफॉर्म U-Report ने एक सर्वे किया है। इसमें 90 देशों की 33,523 महिलाओं ने हिस्सा लिया। महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 18 अलग-अलग भाषाओं में सवाल पूछे गए। सर्वे में हिस्सा लेने वाली 80 फीसदी महिलाओं ने बताया कि वे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए कोई ना कोई योगदान जरूर देती हैं।
जलवायु परिवर्तन के बारे में कितना जानती हैं महिलाएं?
सर्वे में हिस्सा लेने वाली 44 फीसदी महिलाओं ने बताया कि वे जलवायु परिवर्तन के बारे में जानकारी रखती हैं। वहीं, 19 फीसदी ने कहा कि वह इस पर करीब घंटों तक बात कर सकती हैं। सिर्फ नौ फीसदी ने कहा कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में कभी नहीं सुना।
जब महिलाओं से पूछा गया कि क्या आप मानती हैं कि कोरोना की तरह जलवायु परिवर्तन को भी गंभीरता से लिया जाता है? इस सवाल के जवाब में आधे से अधिक यानी 57 फीसदी लड़कियों और युवतियों ने माना कि जलवायु परिवर्तन को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता, जैसे कोरोना को लिया जाता है। हालांकि, सर्वे में हिस्सा लेने वाली 34 फीसदी लड़कियों-महिलाओं ने माना कि जलवायु परिवर्तन को भी कोरोना की तरह गंभीरता से लिया जाता है।
जलवायु परिवर्तन के बारे में कौन ज्यादा प्रयास करता है, महिलाएं या पुरुष? इस सवाल के जवाब में 52 फीसदी उत्तरदाताओं ने माना कि दोनों ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रयास करते हैं। वहीं, 24 फीसदी ने कहा की पर्यावरण के संरक्षण में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा होती है।
80 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्हें ने कभी न कभी पर्यावरण संरक्षण से जुड़े किसी कैंपेन में हिस्सा लिया है या पर्यावरण के बारे में कभी किसी दोस्त या परिवार के किसी सदस्य को जागरुक किया है। सिर्फ 16 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अब तक पर्यावरण से जुड़े किसी कार्यक्रम में कोई हिस्सेदारी नहीं ली है।
सर्वे में शामिल 56 फीसदी लड़कियों और युवा महिलाओं ने कहा कि उन्हें यह नहीं पता है कि जलवायु परिवर्तन का लड़कियों और युवा महिलाओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। जब इन लोगों से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि लड़कियां और युवा महिलाएं जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को कम करने की शक्ति रखती हैं तो 79 फीसदी ने इसका जवाब हां में दिया।
सर्वे में किसने हिस्सा लिया?
सर्वे में हिस्सा लेने वाली 90 देशों की 33,523 लड़कियों और युवा महिलाओं ने इस सर्वे में हिस्सा लिया। सर्वे में हिस्सा लेने वाली 46 फीसदी लड़कियां 10 से 17 साल की थीं। वहीं, 54 फीसदी युवतियों की उम्र 18 से 25 साल के बीच थी। सर्वे में 92 फीसदी ने ऑनलाइन तो आठ फीसदी ने ऑफलाइन हिस्सा लिया। सर्वे में हिस्सा लेने वाली लड़कियों और युवा महिलाओं में 43 फीसदी गर्ल गाइड्स एंड स्काउट थीं। वहीं, 57 फीसदी आम लड़कियां और युवतियां थीं। सर्वे में सबसे ज्यादा 43.8 फीसदी लड़कियां और युवा महिलाएं दक्षिण एशिया की थीं।
कुछ तथ्य
- जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित हुए पांच लोगों में से चार महिलाएं होती हैं।
- जलवायु परिवर्तन से उपजी चुनौतियों के चलते लड़कियों को अपनी पढ़ाई पहले छोड़कर घर के कामकाज और परिवार की देखभाल में लगना पड़ता है।
- पर्यावरण से उपजे संकट के बाद लड़कों के मुकाबले लड़कियों के दोबारा स्कूल में दाखिल लेने की संभावना कम होती है।
- जल संकट की स्थिति में लड़कियों और महिलाओं को पानी लाने के लिए कई बार असुरक्षित माहौल के बीच लंबा रास्ता तय करना होता है। इससे उनके साथ हिंसा होने का जोखिम बढ़ जाता है।
- 2025 तक जलवायु परिवर्तन की वजह से 1.2 करोड़ लड़कियों को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ सकती है।