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RSS support Adani group, says attack by Hindenburg Research is a very well planned and coordinated one
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RSS: अदाणी समूह के समर्थन में उतरा आरएसएस, संघ के मुखपत्र ने कहा- भारतीयों की एक लॉबी ने बनाई नकारात्मक कहानी
एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 04 Feb 2023 06:36 AM IST
सार
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संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने लिखा कि अदाणी समूह पर यह हमला असल में हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद 25 जनवरी को शुरू नहीं हुआ बल्कि ऑस्ट्रेलिया से वर्ष 2016-17 में इसकी शुरुआत हुई। सिर्फ गौतम अदाणी को बदनाम करने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई एनजीओ ने एक वेबसाइट शुरू की।
संकट में फंसे अदाणी समूह के बचाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सामने आया। संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने एक आलेख में कहा कि यह हमला बहुत कुछ वैसा ही है जैसा भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ थाईलैंड पर किया और उन्हें बर्बाद कर दिया था। शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद भारतीयों की एक लॉबी ने अदाणी के खिलाफ एक नकारात्मक कहानी तैयार की। इस लॉबी में वाम विचारधारा से जुड़े देश के कुछ प्रसिद्ध प्रोपगंडा वेबसाइटों और एक बड़े वामपंथी नेता की पत्रकार पत्नी शामिल हैं।
ऑर्गनाइजर ने लिखा कि अदाणी समूह पर यह हमला असल में हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद 25 जनवरी को शुरू नहीं हुआ बल्कि ऑस्ट्रेलिया से वर्ष 2016-17 में इसकी शुरुआत हुई। सिर्फ गौतम अदाणी को बदनाम करने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई एनजीओ ने एक वेबसाइट शुरू की। पर्यावरण हितैषी माने जाने वाला एनजीओ बॉब ब्राउन फाउंडेशन (बीबीएफ) अदाणीवॉचडॉटओआरजी नामक वेबसाइट चलाता है। इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया में अदाणी के कोयला खदान प्रोजेक्ट के विरोध से हुई थी लेकिन यह यहीं तक नहीं सीमित रहा। अब यह वेबसाइट अदाणी से दूर-दूर तक जुड़े किसी भी काम या प्रोजेक्ट के बारे में छापती है। इस एनजीओ का एकमात्र मकसद अदाणी की ब्रांड छवि को नुकसान पहुंचाना है। इसके प्रोपेगेंडा लेख भारतीय राजनीति, अभिव्यक्ति की आजादी आदि में भी घुसपैठ करते हैं।
विपक्ष को लेकर नरम रवैया अपनाता है बीबीएफ
ऑर्गनाइजर ने हाल ही में अदाणी के एनडीटीवी की हिस्सेदारी खरीदने के बाद वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के इस न्यूज चैनल को छोड़ने का भी जिक्र किया। इसमें कहा गया है कि आखिर एक पर्यावरणवादी एनजीओ बीबीसी के वृत्तचित्र का समर्थन करते हुए क्यों ट्वीट करेगा? आखिर इसका असली मकसद क्या है? बीबीएफ विपक्ष को लेकर नरम हो जाता है। वे कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस शासित राज्यों में अदाणी के प्रोजेक्टों को निशाना नहीं बनाते। वे राहुल गांधी के विरोध के एक बयान से सहमत हो जाते हैं। कहानी यह है कि अदाणी मोदी समर्थक की छवि से निजात पाने के लिए इन राज्यों का रुख कर रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में मिले कोयला खदान का कुछ एनजीओ करते हैं विरोध
ऑर्गनाइजर ने लिखा कि अदाणी समूह को ऑस्ट्रेलिया में 2010 में कारमाइकल कोयला खदान के लिए एक प्रोजेक्ट मिला। 2017 में 350.ओआरजी एनजीओ के नेतृत्व में कुछ एनजीओ अदाणी का विरोध करना शुरू करते हैं। वे इस प्रोजेक्ट को रोकने के लिए हैशटैगस्टॉपअदाणी समूह का गठन करते हैं। एनजीओ 350.ओआरजी को टाइड्स फाउंडेशन की ओर से भारी-भरकम फंड मिलता है। इस एनजीओ ने अपने दानदाताओं का खुलासा नहीं किया। हालांकि उसने सैन फ्रांसिस्को के टाइड्स फाउंडेशन से फंड मिलने की बात स्वीकार की। जॉर्ज सोरोस और टॉम स्टेयर ने भी इस एनजीओ में भारी मात्रा में योगदान दिया है। टाइड्स फाउंडेशन को फंंड देने वालों में सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिडयार और बिल गेट्स के नाम भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश दानदाता वाम रुझान वाले गैर सरकारी संगठनों को फंड देते हैं।
भारतीय एनजीओ, वेबसाइटों को मिल रहा फंड
ऑर्गनाइजर ने लिखा, एक भारतीय एनजीओ नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (एनएफआई) को भी सोरोस, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर, ओमिडयार, बिल गेट्स और अजीम प्रेमजी से फंड मिला। अजीम प्रेमजी के नेतृत्व में एनजीओ आईपीएसएमएफ की शुरुआत हुई जो वाम विचारधारा से जुड़े भारत के कुछ प्रसिद्ध प्रोपगंडा वेबसाइटों को फंड देता है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला, हिंडनबर्ग के संस्थापक के खिलाफ कार्रवाई की मांग
सुप्रीम कोर्ट में हिंडनबर्ग के संस्थापक एंडरसन के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है। याचिका में वकील मनोहरलाल शर्मा ने एंडरसन को शॉर्ट सेलर बताते हुए उसके खिलाफ निर्दोष निवेशकों का शोषण व धोखाधड़ी के आरोपों की जांच की मांग की। शर्मा ने कृत्रिम रूप से अदाणी के शेयरों को क्रैश करवाने का आरोप भी लगाया।
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