जद (यू) में घमासान चरम पर है। पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा ने पूछा है कि बिहार के मुख्यमंत्री और जद(यू) प्रमुख नीतीश कुमार बताएं, हमारी विचारधारा क्या है? पवन वर्मा ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि पार्टी एडहॉक पर नहीं विचारधारा पर चलती है। हम महात्मा गांधी, जेपी, लोहिया को प्रेरणास्रोत मानने वाले लोग हैं? इसलिए असमंजस में या फिर विचारधारा की खिचड़ी बनाकर नहीं रह सकते। नीतीश कुमार को बताना पड़ेगा कि भाजपा के साथ कहां तक, किन परिस्थिति और किस लक्ष्मण रेखा तक, कैसे चलना है? वर्मा का कहना है कि नीतीश कुमार को पत्र लिखकर हमने यही पूछा है।
क्यों पूछ रहे हैं?
-पवन वर्मा का कहना है कि अकाली दल भाजपा की हमसे पुरानी सहयोगी है, लेकिन उसने दिल्ली में भाजपा का साथ छोड़ दिया? जद(यू) भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है? क्या औचित्य है?
-जद(यू) भाजपा के भगवा, देश को तोड़ने, अराजकता फैलाने वाले मुद्दे पर उसके साथ क्यों है?
-भाजपा सीएएए लाकर एनपीआर के रास्ते पर चल पड़ी है। एनआरसी तक जाएगी। यह असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक, देश के सामाजिक तानेबाने को तोड़ने वाला है। असम के उहारण से साफ है कि एनआरसी देश का बंटवारा कराने वाला, डिस्क्रीमिनेटरी, गरीबों पर दबाव बनाने वाला, शोषण करने वाला कदम है। गृहमंत्री अमित शाह खुद संसद में कह चुके हैं कि सीएए के बाद एनआरसी पूरे देश में लागू होगा।
सरकार संसद में कह चुकी है कि सीएए और एनआरसी को अलग-अलग नहीं देख सकते। पवन वर्मा का कहना है कि वह देश की जनगणना के पक्ष में हैं, लेकिन जिस तरह से एनपीआर में नई जानकारियां मांगी जा रही है, वह अनुचित है। इसलिए हम नीतीश कुमार से भाजपा के साथ तालमेल पर स्पष्टीकरण चाहते हैं?
नीतीश जब मोदी और शाह की भाजपा के साथ आए तो क्यों नहीं पूछा सवाल?
पवन वर्मा से जब पूछा गया कि जिन मुद्दों पर विरोध के चलते नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ा था उन्हें नजर अंदाज करके कुमार जब प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के दौर वाली भाजपा में लौटे तो उन्होंने सवाल क्यों नहीं पूछा?
पवन वर्मा का कहना है कि तब नीतीश कुमार ने एक परिस्थिति बताई थी। उस पर पार्टी का वफादार होने के कारण हमने भरोसा किया था। नीतीश कुमार ने परिस्थितियों का हवाला देकर बताया था कि लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के साथ अधिक दिनों तक नहीं रहा जा सकता।
नीतीश ने कहा पार्टी छोड़ने वालों का स्वागत... हम भी सम्मान करते हैं
नीतीश कुमार के पार्टी छोड़ने वालों का स्वागत वाले वक्तव्य पर पवन वर्मा ने कहा कि उन्होंने इसे यू-ट्यूब और मीडिया में देखा है। नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए यह कहा है। मेरे (पवन) पत्र लिखने पर उन्होंने कहा है कि वह मेरा सम्मान करते हैं। सलाह दी कि हम जो सवाल उठा रहे हैं, उसे पार्टी के फोरम पर उचित जगह उठाना चाहिए।
पवन वर्मा ने कहा कि वह नीतीश कुमार से कहना चाहते हैं कि यह कोई निजी रिश्ते का मामला नहीं है। यह देश हित, समाज हित, राष्ट्र की पहचान, स्वाभिमान से जुड़ा मुद्दा है। निजी तौर पर वह भी (पवन वर्मा) नीतीश कुमार का सम्मान करते हैं। उनसे स्नेह करते हैं। रहा सवाल पार्टी फोरम पर बात रखने की तो मैंने (वर्मा) यही किया है। नीतीश कुमार को पत्र लिखा है।
क्या करेंगे अब पवन वर्मा?
पार्टी छोड़ने के नीतीश कुमार के सुझाव पर पवन वर्मा का कहना है कि यह तो कोई, कभी भी कर सकता है। यह व्यक्ति की इच्छा पर है। जहां तक प्रश्न अगले कदम का है तो वह अपने पत्र के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। नीतीश कुमार का जवाब आने के बाद सोच, समझकर आगे का निर्णय लेंगे। यह तो साफ है कि हम भाजपा के इस तरह के कदमों का समर्थन नहीं कर सकते। पवन वर्मा ने निजी राय में बताया कि वह कई बार कह चुके हैं और दोहरा रहे हैं कि गांधी, जेपी, लोहिया का अनुयायी होने के कारण सीएए, एनपीआर, एनआरसी जैसे कदमों का विरोध करते हैं।
विस्तार
जद (यू) में घमासान चरम पर है। पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा ने पूछा है कि बिहार के मुख्यमंत्री और जद(यू) प्रमुख नीतीश कुमार बताएं, हमारी विचारधारा क्या है? पवन वर्मा ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि पार्टी एडहॉक पर नहीं विचारधारा पर चलती है। हम महात्मा गांधी, जेपी, लोहिया को प्रेरणास्रोत मानने वाले लोग हैं? इसलिए असमंजस में या फिर विचारधारा की खिचड़ी बनाकर नहीं रह सकते। नीतीश कुमार को बताना पड़ेगा कि भाजपा के साथ कहां तक, किन परिस्थिति और किस लक्ष्मण रेखा तक, कैसे चलना है? वर्मा का कहना है कि नीतीश कुमार को पत्र लिखकर हमने यही पूछा है।
क्यों पूछ रहे हैं?
-पवन वर्मा का कहना है कि अकाली दल भाजपा की हमसे पुरानी सहयोगी है, लेकिन उसने दिल्ली में भाजपा का साथ छोड़ दिया? जद(यू) भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है? क्या औचित्य है?
-जद(यू) भाजपा के भगवा, देश को तोड़ने, अराजकता फैलाने वाले मुद्दे पर उसके साथ क्यों है?
-भाजपा सीएएए लाकर एनपीआर के रास्ते पर चल पड़ी है। एनआरसी तक जाएगी। यह असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक, देश के सामाजिक तानेबाने को तोड़ने वाला है। असम के उहारण से साफ है कि एनआरसी देश का बंटवारा कराने वाला, डिस्क्रीमिनेटरी, गरीबों पर दबाव बनाने वाला, शोषण करने वाला कदम है। गृहमंत्री अमित शाह खुद संसद में कह चुके हैं कि सीएए के बाद एनआरसी पूरे देश में लागू होगा।
सरकार संसद में कह चुकी है कि सीएए और एनआरसी को अलग-अलग नहीं देख सकते। पवन वर्मा का कहना है कि वह देश की जनगणना के पक्ष में हैं, लेकिन जिस तरह से एनपीआर में नई जानकारियां मांगी जा रही है, वह अनुचित है। इसलिए हम नीतीश कुमार से भाजपा के साथ तालमेल पर स्पष्टीकरण चाहते हैं?
नीतीश जब मोदी और शाह की भाजपा के साथ आए तो क्यों नहीं पूछा सवाल?
पवन वर्मा से जब पूछा गया कि जिन मुद्दों पर विरोध के चलते नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ा था उन्हें नजर अंदाज करके कुमार जब प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के दौर वाली भाजपा में लौटे तो उन्होंने सवाल क्यों नहीं पूछा?
पवन वर्मा का कहना है कि तब नीतीश कुमार ने एक परिस्थिति बताई थी। उस पर पार्टी का वफादार होने के कारण हमने भरोसा किया था। नीतीश कुमार ने परिस्थितियों का हवाला देकर बताया था कि लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के साथ अधिक दिनों तक नहीं रहा जा सकता।
नीतीश ने कहा पार्टी छोड़ने वालों का स्वागत... हम भी सम्मान करते हैं
नीतीश कुमार के पार्टी छोड़ने वालों का स्वागत वाले वक्तव्य पर पवन वर्मा ने कहा कि उन्होंने इसे यू-ट्यूब और मीडिया में देखा है। नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए यह कहा है। मेरे (पवन) पत्र लिखने पर उन्होंने कहा है कि वह मेरा सम्मान करते हैं। सलाह दी कि हम जो सवाल उठा रहे हैं, उसे पार्टी के फोरम पर उचित जगह उठाना चाहिए।
पवन वर्मा ने कहा कि वह नीतीश कुमार से कहना चाहते हैं कि यह कोई निजी रिश्ते का मामला नहीं है। यह देश हित, समाज हित, राष्ट्र की पहचान, स्वाभिमान से जुड़ा मुद्दा है। निजी तौर पर वह भी (पवन वर्मा) नीतीश कुमार का सम्मान करते हैं। उनसे स्नेह करते हैं। रहा सवाल पार्टी फोरम पर बात रखने की तो मैंने (वर्मा) यही किया है। नीतीश कुमार को पत्र लिखा है।
क्या करेंगे अब पवन वर्मा?
पार्टी छोड़ने के नीतीश कुमार के सुझाव पर पवन वर्मा का कहना है कि यह तो कोई, कभी भी कर सकता है। यह व्यक्ति की इच्छा पर है। जहां तक प्रश्न अगले कदम का है तो वह अपने पत्र के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। नीतीश कुमार का जवाब आने के बाद सोच, समझकर आगे का निर्णय लेंगे। यह तो साफ है कि हम भाजपा के इस तरह के कदमों का समर्थन नहीं कर सकते। पवन वर्मा ने निजी राय में बताया कि वह कई बार कह चुके हैं और दोहरा रहे हैं कि गांधी, जेपी, लोहिया का अनुयायी होने के कारण सीएए, एनपीआर, एनआरसी जैसे कदमों का विरोध करते हैं।