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Army Uniform: Ordnance Factories out of the race from tender to make 11 lakh combat digital printed uniforms
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Army Uniform: गर्माया 11 लाख कॉम्बैट डिजिटल प्रिंटेड वर्दी का मामला, इस शर्त ने रेस से बाहर किए आयुध कारखाने
Army Uniform: एआईडीईएफ महासचिव का कहना है, केंद्र सरकार आयुध कारखानों को बंद करने की साजिश रच रही है। वर्ष 2023-2024 के लिए जब टीसीएल कॉर्पोरेशन के तहत चार आयुध कारखानों के पास कोई काम नहीं होगा, तो वे बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। यह आयुध कारखानों के खिलाफ एक बड़ी साजिश है...
Indian Army Digital Combat Uniform
- फोटो : Agency (File Photo)
भारतीय सेना के लिए 11 लाख 'कॉम्बैट डिजिटल प्रिंटेड वर्दी' तैयार करने का मामला एक बार दोबारा से चर्चा में आ गया है। पिछले माह सेना मुख्यालय द्वारा जारी किए टेंडर पर अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ 'एआईडीईएफ' के महासचिव सी. श्रीकुमार ने यह कहते हुए सवाल उठाया था कि ये टीसीएल के तहत चार आयुध कारखानों को काम न देने की साजिश है। इसमें जो शर्तें रखी गई हैं, वे किसी निजी फर्म को फायदा पहुंचाने वाली हैं।
एआईडीईएफ ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराया था। बाद में ये टेंडर वापस हो गया था। अब सेना मुख्यालय द्वारा 21 नवंबर को समान प्रतिबंधात्मक शर्तों के साथ टेंडर दोबारा से जारी कर दिया गया है। श्रीकुमार का कहना है कि टीसीएल के तहत चार आयुध कारखानों में सभी प्रकार के ट्रूप कंफर्ट आइटम निर्माण की सभी आधुनिक सुविधाएं एवं उपकरण मौजूद हैं। अब एआईडीईएफ महासचिव द्वारा 23 नंवबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को एक अन्य पत्र लिखकर चार आयुध कारखानों को बंद होने से बचाने की अपील की गई है।
कारखानों को बंद करने की हो रही साजिश
एआईडीईएफ महासचिव का कहना है, केंद्र सरकार आयुध कारखानों को बंद करने की साजिश रच रही है। वर्ष 2023-2024 के लिए जब टीसीएल कॉर्पोरेशन के तहत चार आयुध कारखानों के पास कोई काम नहीं होगा, तो वे बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। यह आयुध कारखानों के खिलाफ एक बड़ी साजिश है। इन कारखानों के पास तमाम संयंत्र, मशीनरी और जनशक्ति उपलब्ध है। इसके बावजूद डीडीपी/एमओडी/सेना मुख्यालय/एमजीओ द्वारा इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जा रहा। सेना मुख्यालय ने छह अक्तूबर को 11,70,159 'कॉम्बैट यूनिफॉर्म डिजिटल प्रिंट' की खरीद के लिए जैकेट, ट्राउजर और कैप फॉर मेल (Q3) के सेट के रूप में एक प्रतिबंधात्मक टेंडर जारी किया था। उस प्रतिबंधात्मक टेंडर में ऐसी शर्तें रखी गई थी, जिसका सीधा फायदा प्राइवेट वेंडर को होना था। फेडरेशन ने सात अक्तूबर को एक पत्र के माध्यम से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से प्रतिबंधात्मक निविदा को रद्द करने की अपील की थी।
साथ ही नए डिजाइन वाली आर्मी यूनिफॉर्म का टेंडर, टीसीएल ग्रुप ऑफ फैक्ट्रीज को देने की गुहार लगाई थी। उसके बाद वह टेंडर रद्द हो गया था। टीसीएल ग्रुप ऑफ फैक्ट्रीज के लगभग 6000 कर्मचारी खुश थे और वे उम्मीद कर रहे थे कि अब 11,70,159 'कॉम्बैट यूनिफॉर्म डिजिटल प्रिंट' के तहत जैकेट, ट्राउजर और कैप फॉर मेल (Q3) का सेट तैयार करने का काम उन्हें मिल जाएगा। अब 21 नवंबर के टेंडर ने इन कर्मियों को बड़ा झटका दे दिया है।
आश्वासनों और समझौतों का उल्लंघन कर रही है सरकार
केंद्र सरकार ने रक्षा कर्मचारी संघों के साथ पिछले आश्वासनों और समझौतों का उल्लंघन किया है। पहले तो जून 2021 में आयुध निर्माणी बोर्ड के 220 साल पुराने संगठन के तहत संचालित हो रहे 41 आयुध कारखानों को सात गैर-व्यवहार्य निगमों में विभाजित करने का निर्णय लिया गया था। उस समय केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया था कि नए निगमों पर सौ फीसदी सरकार का स्वामित्व होगा। अब सरकार अपने वादे से दूर जा रही है। अब सरकार, आयुध कारखानों को काम देने से बच रही है। सेना के लिए जरूरी उपकरण तैयार करने वाले कर्मचारियों को 'वंचित और उपेक्षित' होने का अहसास कराया जा रहा है। टीसीएल के तहत आने वाली आयुध निर्माणियों में से एक 'ओसीएफ' अवादी, वास्तविक उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार लड़ाकू वर्दी तैयार करने में अग्रणी है। अभी तक लगभग एक करोड़ से अधिक वर्दी सेना को सप्लाई की गई हैं। इसके लिए सेना के सभी उच्चाधिकारियों ने कई बार आयुध निर्माणी की सराहना की है। रक्षा मंत्री को लिखे पत्र में आग्रह किया गया है कि 'कॉम्बैट यूनिफॉर्म डिजिटल प्रिंट' तैयार करने का टेंडर, आयुध निर्माणियों को दिया जाए।
आयुध निर्माणी के पास स्पेशल प्लांट व सीएएम सुविधा मौजूद
टीसीएल के अंतर्गत चार आयुध कारखानें, कॉम्बैट डिजिटल वर्दी' बनाने में सक्षम हैं। इनके पास पर्याप्त अनुभव, तकनीक व सामग्री मौजूद है। सेना की जरूरत के हिसाब से ये कारखानें, अपनी मशीनरी, स्पेशल प्लांट, सीएडी व सीएएम की मदद से हर तरह के गारमेंट्स तैयार कर सकते हैं। इतना ही नहीं, आयुध कारखानों ने सेना के हर सामान की डिलीवरी तय समय से पहले की है। इस बाबत आयुध कारखानों को सेना अध्यक्ष और एमजीओ की तरफ से कई बार प्रशंसा पत्र मिल चुका है। पिछले माह जो टेंडर जारी किया गया था, उसमें 19डी शर्त जोड़ी गई थी। उसमें लिखा था कि बोली लगाने वाली कंपनी के पास वैट प्रोसेसिंग, डाइंग, प्रिंटिंग और जर्मेनेटिंग की सुविधा हो। यह क्लॉज चार आयुध कारखानों को टेंडर से बाहर रखने के लिए जोड़ा गया है। बतौर श्रीकुमार, ये क्लॉज, कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए था। टेंडर में इस तरह की सुविधाएं होने की शर्त लगी है, जो केवल कुछ ही कंपनियों के पास है। इस तरह की शर्त में कंपोजिट मील और गारमेंट मेन्युफेक्चरिंग शामिल है। केंद्र सरकार नहीं चाहती कि सात निगमों में विभाजित किए गए 41 आयुध कारखानें, आगे बढ़ते रहें। सरकार, जल्द से जल्द इन कारखानों का निजीकरण करना चाहती है। टीसीएल के अंतर्गत 4 आयुध कारखानें, कॉम्बैट डिजिटल वर्दी' बनाने में सक्षम हैं, लेकिन इन्हें सीधा आर्डर नहीं किया गया।
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