केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'आईपीएस' अफसरों को सीख, चेतावनी और सलाह, सब एक साथ दे दी है। उन्होंने अपने अंदाज में आईपीएस अफसरों को समझा दिया है। शाह ने पुलिस अफसरों को हाथ खोलकर 'कार्रवाई' करने की सलाह दी, तो साथ ही चेतावनी भी दे दी कि अब 'मेरा क्या, मुझे क्या' जैसी सोच से काम नहीं चलेगा। उन्हें इससे ऊपर उठकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना पड़ेगा।
केंद्रीय जांच एजेंसियों के अफसरों को आए दिन राज्य सरकारों, खास तौर पर विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसी को जांच के लिए राज्य सहमति नहीं दे रहे हैं। मामला, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने आईपीएस अफसरों से कहा है, वे कार्रवाई से पीछे न हटें, हर सूरत में उन्हें अपराध रोकना होगा। इस मामले में केवल इतना ध्यान रखें कि राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन न हो। राज्यों का जो संवैधानिक दायरा है, वह बना रहे। उसी दायरे में रह कर उन्हें संविधान के मुताबिक काम करना है।
'मेरा क्या, मुझे क्या' की सोच से ऊपर उठ जाएं
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने शुक्रवार को भारतीय पुलिस सेवा के 2020 बैच के 122 परिवीक्षाधीन अधिकारियों से मुलाकात के दौरान उन्हें कई सलाह दे डाली। शाह ने कहा, भारत सरकार सीआरपीसी और आईपीसी में बदलाव करने की दिशा में काम कर रही है। इसमें कोई शक नहीं है कि भविष्य की पुलिसिंग में 'सीआरपीसी और आईपीसी' के नए बदलावों का असर देखने को मिलेगा। देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़, जैसे नारकोटिक्स, जाली करंसी, हथियारों की तस्करी, साइबर क्राइम और कई दूसरे अपराधों को जघन्य अपराधों की श्रेणी में शामिल करेंगे। इनसे निपटने के लिए कड़े प्रावधान किए जाएंगे।
शाह ने कहा, आईपीएस अफसर अब 'मेरा क्या, मुझे क्या' की सोच से ऊपर उठ जाएं। उनका इशारा उन आईपीएस अफसरों की तरफ था, जिन्हें सेवा का लंबा अनुभव है, मगर वे उसके अनुरूप काम नहीं कर रहे। भले ही उनके पास आइडिया है, लेकिन वे एक निर्धारित रेखा से आगे नहीं बढ़ना चाहते। अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो स्थिति को सहजता के साथ संभालने में सक्षम नहीं होंगे। अगर कोई आईपीएस जिले में तैनात है, ट्रेनिंग में है या किसी दूसरी कम महत्व वाली पोस्टिंग पर है तो भी उसे समग्रता के साथ देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विषयों पर ध्यान देना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए समग्रता से काम करना होगा।
'आईपीएस' को अच्छा टीम लीडर बनने के लिए दिया सुझाव
अमित शाह ने आईपीएस को अच्छा टीम लीडर बनने का सुझाव दे दिया। उन्होंने कहा, इसके लिए आईपीएस अधिकारी को अपने अलॉट कैडर वाले राज्य के साथ जमीनी स्तर पर जुड़ना होगा। वहां की भाषा, इतिहास और सामाजिक संरचना को अच्छी तरह समझना पड़ेगा। इसके बाद ही वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन अच्छे से कर पाएगा। उन्हें एक अच्छा अधिकारी बनने के लिए अपने स्टाफ के हितों का ध्यान रखना होगा। आईपीएस जब ऐसा करेंगे तो ही वे अच्छे टीम लीडर बन सकते हैं। इससे पुलिस की छवि में बदलाव लाना संभव होगा। देश के संविधान ने आप पर 30-35 साल तक देश की सेवा करने का भरोसा किया है। आपको निर्भय होकर संविधान की आत्मा को जमीन पर उतारने का प्रयास करना चाहिए। शाह ने कहा, जो लोग स्टैंड लेते हैं वही समाज में परिवर्तन के वाहक बनते हैं। महिला पुलिस अधिकारियों को स्कूलों में जाकर बालिकाओं के साथ नियमित संवाद करना चाहिए, जिससे वे भी देश की सेवा में आगे आने के लिए प्रेरित हों।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'आईपीएस' अफसरों को सीख, चेतावनी और सलाह, सब एक साथ दे दी है। उन्होंने अपने अंदाज में आईपीएस अफसरों को समझा दिया है। शाह ने पुलिस अफसरों को हाथ खोलकर 'कार्रवाई' करने की सलाह दी, तो साथ ही चेतावनी भी दे दी कि अब 'मेरा क्या, मुझे क्या' जैसी सोच से काम नहीं चलेगा। उन्हें इससे ऊपर उठकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना पड़ेगा।
केंद्रीय जांच एजेंसियों के अफसरों को आए दिन राज्य सरकारों, खास तौर पर विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसी को जांच के लिए राज्य सहमति नहीं दे रहे हैं। मामला, सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने आईपीएस अफसरों से कहा है, वे कार्रवाई से पीछे न हटें, हर सूरत में उन्हें अपराध रोकना होगा। इस मामले में केवल इतना ध्यान रखें कि राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन न हो। राज्यों का जो संवैधानिक दायरा है, वह बना रहे। उसी दायरे में रह कर उन्हें संविधान के मुताबिक काम करना है।
'मेरा क्या, मुझे क्या' की सोच से ऊपर उठ जाएं
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने शुक्रवार को भारतीय पुलिस सेवा के 2020 बैच के 122 परिवीक्षाधीन अधिकारियों से मुलाकात के दौरान उन्हें कई सलाह दे डाली। शाह ने कहा, भारत सरकार सीआरपीसी और आईपीसी में बदलाव करने की दिशा में काम कर रही है। इसमें कोई शक नहीं है कि भविष्य की पुलिसिंग में 'सीआरपीसी और आईपीसी' के नए बदलावों का असर देखने को मिलेगा। देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़, जैसे नारकोटिक्स, जाली करंसी, हथियारों की तस्करी, साइबर क्राइम और कई दूसरे अपराधों को जघन्य अपराधों की श्रेणी में शामिल करेंगे। इनसे निपटने के लिए कड़े प्रावधान किए जाएंगे।
शाह ने कहा, आईपीएस अफसर अब 'मेरा क्या, मुझे क्या' की सोच से ऊपर उठ जाएं। उनका इशारा उन आईपीएस अफसरों की तरफ था, जिन्हें सेवा का लंबा अनुभव है, मगर वे उसके अनुरूप काम नहीं कर रहे। भले ही उनके पास आइडिया है, लेकिन वे एक निर्धारित रेखा से आगे नहीं बढ़ना चाहते। अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो स्थिति को सहजता के साथ संभालने में सक्षम नहीं होंगे। अगर कोई आईपीएस जिले में तैनात है, ट्रेनिंग में है या किसी दूसरी कम महत्व वाली पोस्टिंग पर है तो भी उसे समग्रता के साथ देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विषयों पर ध्यान देना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए समग्रता से काम करना होगा।
'आईपीएस' को अच्छा टीम लीडर बनने के लिए दिया सुझाव
अमित शाह ने आईपीएस को अच्छा टीम लीडर बनने का सुझाव दे दिया। उन्होंने कहा, इसके लिए आईपीएस अधिकारी को अपने अलॉट कैडर वाले राज्य के साथ जमीनी स्तर पर जुड़ना होगा। वहां की भाषा, इतिहास और सामाजिक संरचना को अच्छी तरह समझना पड़ेगा। इसके बाद ही वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन अच्छे से कर पाएगा। उन्हें एक अच्छा अधिकारी बनने के लिए अपने स्टाफ के हितों का ध्यान रखना होगा। आईपीएस जब ऐसा करेंगे तो ही वे अच्छे टीम लीडर बन सकते हैं। इससे पुलिस की छवि में बदलाव लाना संभव होगा। देश के संविधान ने आप पर 30-35 साल तक देश की सेवा करने का भरोसा किया है। आपको निर्भय होकर संविधान की आत्मा को जमीन पर उतारने का प्रयास करना चाहिए। शाह ने कहा, जो लोग स्टैंड लेते हैं वही समाज में परिवर्तन के वाहक बनते हैं। महिला पुलिस अधिकारियों को स्कूलों में जाकर बालिकाओं के साथ नियमित संवाद करना चाहिए, जिससे वे भी देश की सेवा में आगे आने के लिए प्रेरित हों।