मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा ली गई चुनाव समिति की परीक्षा में 58 प्रतिशत कार्यरत अधिकारी असफल रहे हैं। प्रत्याशी अपनी सुरक्षा जमा राशि का अधिकार कब खो देता है? यदि निचली अदालत से किसी व्यक्ति को तीन साल की सजा होती है और हाईकोर्ट में उस व्यक्ति को बरी कर दिया जाये तो क्या वो व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब मध्यप्रदेश सरकार में कार्यरत एडीएम, एसडीएम, राजस्व अधिकारी तक नहीं दे सके।
मध्यप्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीएल कांथा राओ ने कहा, 'चुनाव ड्यूटी पर कार्यरत प्रत्येक अधिकारी को नियमों की जानकारी होनी चाहिए ताकि चुनाव में किसी प्रकार की गलतियों की गुंजाइश न रहे और कोई भी चुनावों के नतीजों पर उंगली न उठा सके।''
राओ के अनुसार, जिला अधिकारी के नीचे इकाइयों पर नियुक्त अधिकारियों की दक्षता परखने के लिए इस परीक्षा का आयोजन किया गया था। कुल 561 अधिकारियों ने इस भोपाल में ट्रेनिंग लेने के बाद परीक्षा में हिस्सा लिया था, जिनमें केवल 238 अधिकारी ही इस परीक्षा में सफल रहे हैं।
राओ ने बताया की परीक्षा में सफल होने के लिए 70 प्रतिशत अंकों की आवश्यकता होती है। यदि कोई अधिकारी 70 प्रतिशत अंक लाने में असफल रहता है तो उसे 'नॉट अप टू दी मार्क' करार दिया जाता है।
लेकिन इन अधिकारियों को दूसरी बार परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाता है, यदि वह दूसरी बार भी परीक्षा में भी असफल रहते हैं तो उन्हें एक साल किसी भी चुनावी ड्यूटी में जाने का अधिकार नहीं रहता है।
वहीं दूसरी ओर एक राजस्व अधिकारी का कहना था कि 'राजस्व और कानून संबंधी कार्य को लेकर हमारे ऊपर काफी बोझ है, ऐसे में परीक्षा लेने के जगह उन्हें हमें यूजर गाइड देनी चाहिये इससे चुनाव में किसी प्रकार की गलती नहीं होगी।'
मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा ली गई चुनाव समिति की परीक्षा में 58 प्रतिशत कार्यरत अधिकारी असफल रहे हैं। प्रत्याशी अपनी सुरक्षा जमा राशि का अधिकार कब खो देता है? यदि निचली अदालत से किसी व्यक्ति को तीन साल की सजा होती है और हाईकोर्ट में उस व्यक्ति को बरी कर दिया जाये तो क्या वो व्यक्ति चुनाव लड़ने के योग्य है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब मध्यप्रदेश सरकार में कार्यरत एडीएम, एसडीएम, राजस्व अधिकारी तक नहीं दे सके।
मध्यप्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीएल कांथा राओ ने कहा, 'चुनाव ड्यूटी पर कार्यरत प्रत्येक अधिकारी को नियमों की जानकारी होनी चाहिए ताकि चुनाव में किसी प्रकार की गलतियों की गुंजाइश न रहे और कोई भी चुनावों के नतीजों पर उंगली न उठा सके।''
राओ के अनुसार, जिला अधिकारी के नीचे इकाइयों पर नियुक्त अधिकारियों की दक्षता परखने के लिए इस परीक्षा का आयोजन किया गया था। कुल 561 अधिकारियों ने इस भोपाल में ट्रेनिंग लेने के बाद परीक्षा में हिस्सा लिया था, जिनमें केवल 238 अधिकारी ही इस परीक्षा में सफल रहे हैं।
राओ ने बताया की परीक्षा में सफल होने के लिए 70 प्रतिशत अंकों की आवश्यकता होती है। यदि कोई अधिकारी 70 प्रतिशत अंक लाने में असफल रहता है तो उसे 'नॉट अप टू दी मार्क' करार दिया जाता है।
लेकिन इन अधिकारियों को दूसरी बार परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाता है, यदि वह दूसरी बार भी परीक्षा में भी असफल रहते हैं तो उन्हें एक साल किसी भी चुनावी ड्यूटी में जाने का अधिकार नहीं रहता है।
वहीं दूसरी ओर एक राजस्व अधिकारी का कहना था कि 'राजस्व और कानून संबंधी कार्य को लेकर हमारे ऊपर काफी बोझ है, ऐसे में परीक्षा लेने के जगह उन्हें हमें यूजर गाइड देनी चाहिये इससे चुनाव में किसी प्रकार की गलती नहीं होगी।'