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जिला कुल्लू में वीरवार रात को हुई भारी ओलावृष्टि से सेब, नाशपाती, पलम, गोभी, मटर की फसल को तबाह कर दिया। ओलावृष्टि ने किसान-बागवानों के अरमानों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है। जिला कुल्लू में पहले ही सेब फसल कम है। वहीं, अब ओलावृष्टि ने सब कुछ तबाह कर दिया है। अब जिला के किसान-बागवान चिंता में पड़ गए हैं। मणिकर्ण घाटी के पीणी-तलपीणी पंचायत में वीरवार को जमकर ओलावृष्टि हुई है। जिसमें सेब, नाशपाती के साथ-साथ गोभी की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई है। पीणी, तलपीणी, बनाशा, कझीयारी, सलादी, शाहिटा, शोरज, मोरज, ढनाली, कोलीबेहड़ में करीब 10 मिनट हुई ओलावृष्टि ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है।
इन दोनों पंचायतों के ग्रामीणों की गुजर-बसर गोभी और सेब की फसल से चलती है। वहीं रैला पंचायत के शारण, कमटन, भूपन, घाटसेरी, पाशी, मझारना, कुंडर, मझाण और शरण आदि गांवों में रात करीब नौ बजे हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। घाटी में सेब, मटर, धनिया, लहसुन, प्याज सहित अनेकों फसलों को जोरदार ओलावृष्टि ने तबाह कर दिया। ग्रामीण इंद्र चंद, पूर्ण चंद, टेक राम, केहर सिंह, टेक चंद और झाबेराम ने ओलावृष्टि से फसलों को बहुत नुकसान हुआ है। रैला पंचायत की प्रधान खीमदासी और उपप्रधान बालमुकुंद ठाकुर ने बताया कि रैला पंचायत के आधा दर्जन गांवों में भारी तबाही हुई है।
जिसकी सूचना नायब तहसीलदार कार्यालय में भेजी जा रही है। वहीं, बीडीसी सदस्य किरणा शर्मा ने बताया कि गड़सा घाटी के खणी, कोता पाथर, आईशा, ओखचीन, सीस, नजां, पिगारंग और कोशुधार में बीती रात को ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ है। जिसके चलते यहां के किसानों की टमाटर, सेब, मटर और गेहूं की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई है। इस संबंध मेें किसान लोमश देव, पूर्ण चंद, दिने राम, मेहर चंद, जीवन सिंह, ओम चंद, सुभाष चंद, महेंद्र सिंह, अमर चंद, गुलाब चंद, प्रकाश चंद और बुद्धि सिंह ने कहा कि ओलावृष्टि ने पिछले तीन-चार महीने चल रही मेहनत पर पानी फेर दिया है। किसान-बागवानों ने सरकार और प्रशासन से ओलावृष्टि से प्रभावित हुई फसलों का मुआवजा देने की मांग की है।
जिला कुल्लू में वीरवार रात को हुई भारी ओलावृष्टि से सेब, नाशपाती, पलम, गोभी, मटर की फसल को तबाह कर दिया। ओलावृष्टि ने किसान-बागवानों के अरमानों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है। जिला कुल्लू में पहले ही सेब फसल कम है। वहीं, अब ओलावृष्टि ने सब कुछ तबाह कर दिया है। अब जिला के किसान-बागवान चिंता में पड़ गए हैं। मणिकर्ण घाटी के पीणी-तलपीणी पंचायत में वीरवार को जमकर ओलावृष्टि हुई है। जिसमें सेब, नाशपाती के साथ-साथ गोभी की फसल पूरी तरह से तबाह हो गई है। पीणी, तलपीणी, बनाशा, कझीयारी, सलादी, शाहिटा, शोरज, मोरज, ढनाली, कोलीबेहड़ में करीब 10 मिनट हुई ओलावृष्टि ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है।
इन दोनों पंचायतों के ग्रामीणों की गुजर-बसर गोभी और सेब की फसल से चलती है। वहीं रैला पंचायत के शारण, कमटन, भूपन, घाटसेरी, पाशी, मझारना, कुंडर, मझाण और शरण आदि गांवों में रात करीब नौ बजे हुई तेज बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। घाटी में सेब, मटर, धनिया, लहसुन, प्याज सहित अनेकों फसलों को जोरदार ओलावृष्टि ने तबाह कर दिया। ग्रामीण इंद्र चंद, पूर्ण चंद, टेक राम, केहर सिंह, टेक चंद और झाबेराम ने ओलावृष्टि से फसलों को बहुत नुकसान हुआ है। रैला पंचायत की प्रधान खीमदासी और उपप्रधान बालमुकुंद ठाकुर ने बताया कि रैला पंचायत के आधा दर्जन गांवों में भारी तबाही हुई है।
जिसकी सूचना नायब तहसीलदार कार्यालय में भेजी जा रही है। वहीं, बीडीसी सदस्य किरणा शर्मा ने बताया कि गड़सा घाटी के खणी, कोता पाथर, आईशा, ओखचीन, सीस, नजां, पिगारंग और कोशुधार में बीती रात को ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ है। जिसके चलते यहां के किसानों की टमाटर, सेब, मटर और गेहूं की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई है। इस संबंध मेें किसान लोमश देव, पूर्ण चंद, दिने राम, मेहर चंद, जीवन सिंह, ओम चंद, सुभाष चंद, महेंद्र सिंह, अमर चंद, गुलाब चंद, प्रकाश चंद और बुद्धि सिंह ने कहा कि ओलावृष्टि ने पिछले तीन-चार महीने चल रही मेहनत पर पानी फेर दिया है। किसान-बागवानों ने सरकार और प्रशासन से ओलावृष्टि से प्रभावित हुई फसलों का मुआवजा देने की मांग की है।