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budget drought on earth of the games in the year of olympics
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बजट 2020: ओलंपिक का साल और खेलों की धरती हरियाणा की झोली फिर खाली, खिलाड़ी निराश
अंकित चौहान, अमर उजाला, सोनीपत
Published by: रोहतक ब्यूरो
Updated Mon, 03 Feb 2020 11:05 AM IST
हरियाणा के खिलाड़ी
- फोटो : फाइल फोटो
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खेलों में देश का हर जगह नाम रोशन करने वाले हरियाणा के खिलाड़ियों को बजट से हर बार मायूसी मिल रही है। इस बार भी केंद्र सरकार का बजट खिलाड़ियों व कोच के लिए ऐसा ही रहा, जिससे वह मायूस दिख रहे हैं। जबकि इस बार ओलंपिक के साल में खेलों के लिए बजट से कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगाई जा रही थी जो बजट से पूरी तरह से टूट गई।
ऐसे में खिलाड़ियों को ओलंपिक के साल में कुछ विशेष नहीं दिया जाएगा और उनको पुरानी सुविधाओं के बीच ही ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए तैयारी करनी होगी। वहीं पहले बजट की घोषणा राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड से कुछ फायदा नहीं होता दिख रहा है तो ग्रास रूट लेवल कमेटी तक बनाने की घोषणाएं आज तक सिरे नहीं चढ़ सकी हैं।
खेलों में हर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हरियाणा के खिलाड़ियों के सहारे ही भारत अपना परचम लहराता है। ओलंपिक से लेकर पैरा ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स सभी जगह देश के लिए सबसे ज्यादा मेडल हरियाणा के खिलाड़ी जीत रहे हैं। ओलंपिक में विजेंद्र सिंह, योगेश्वर दत्त, साक्षी मलिक तो पैरा ओलंपिक में दीपा मलिक ने देश को तमगे दिलवाए थे।
इनके अलावा भी खिलाड़ियों की लंबी फेहरिस्त है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। जिनमें बजरंग पूनिया, विनेश फौगाट, नीरज चोपड़ा, अमित पंघाल, पूजा ढांडा, दीपक पूनिया, रवि दहिया, मौसम खत्री, अंकुर मित्तल, सीमा आंतिल, मनोज कुमार, विकास कृष्ण, सुमित के अलावा भारतीय महिला हॉकी की पूरी टीम शामिल है।
खेलों में हरियाणा अब इस स्तर पर पहुंच चुका है, जहां किसी भी चैंपियनशिप के लिए कुश्ती, बॉक्सिंग, कबड्डी, शूटिंग, एथलेटिक्स, हॉकी के लिए खिलाड़ी चुने जाते हैं तो उसमें सबसे ज्यादा हरियाणा के खिलाड़ी रहते हैं। इस तरह की उपलब्धियों के बाद भी सरकार के बजट से खिलाड़ियों को मायूसी मिल रही है, क्योंकि बजट में खेलों को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कुछ नहीं दिया गया जिससे खिलाड़ियों को ज्यादा अच्छा करने में सरकार की ओर से सहारा मिल सके। जबकि ओलंपिक व पैरालंपिक का साल होने के कारण इस बार खिलाड़ियों को बजट से कुछ ज्यादा उम्मीद थी।
बजट में खिलाड़ियों के लिए विशेष दिया जाता तो उससे ओलंपिक की तैयारियां बेहतर तरीके से हो सकती थी। ओलंपिक का साल होने के बावजूद इस साल बजट में ऐसा कुछ विशेष नहीं दिया गया और बजट ने खिलाड़ियों व कोच सभी को मायूस किया है। वहीं पहले की गई घोषणाओं का कुछ फायदा नहीं हो रहा है, जिनमें राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड बनाने के साथ ही ग्रास रूट लेवल कमेटी बनाने की बात सरकार कर चुकी है। इनको लेकर भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है और यह भी केवल बजट की घोषणाएं बनकर रह गई है।
इस साल ओलंपिक होना है और इसलिए खिलाड़ियों के लिए बजट में कुछ विशेष होना चाहिए था। जिससे खिलाड़ियों को अतिरिक्त सुविधाएं मिल सकें और उनकी बेहतर तरीके से प्रैक्टिस हो सके। खिलाड़ियों की जिस तरह से प्रैक्टिस होगी, उनसे उतनी ही ज्यादा ओलंपिक में पदक की उम्मीद बढ़ जाती है। ओलंपिक को देखते हुए सरकार को खिलाड़ियों के लिए कुछ विशेष करना चाहिए। - राजीव तोमर, अर्जुन अवार्डी व अंतर्राष्ट्रीय कोच
केंद्र सरकार के बजट में ऐसा कुछ विशेष नहीं है, जिससे खेलों के लिए सुविधाएं बेहतर की जा सके। सरकार को बजट में खिलाड़ियों के लिए कुछ बेहतर करना चाहिए था, लेकिन इस बजट से मायूसी हुई है। इस साल पैरालंपिक भी होना है, जिस कारण बजट से खिलाड़ियों की उम्मीद कुछ ज्यादा थी। - अमित सरोहा, अर्जुन अवार्डी पैरा ओलंपियन
खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और हर जगह मेडल भी बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन बजट में जिस तरह से खेल व खिलाड़ियों की अनदेखी की गई है, वह किसी भी तरह से सही नहीं है। जबकि इस साल ओलंपिक भी होना है तो खिलाड़ियों को ज्यादा सुविधाएं देने के लिए काफी घोषणाएं होनी चाहिए थी जो नहीं की गई हैं। इसपर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए खिलाड़ी ज्यादा मेहनत कर सके। - कुलदीप मलिक, चीफ कोच भारतीय महिला कुश्ती
खेलों में देश का हर जगह नाम रोशन करने वाले हरियाणा के खिलाड़ियों को बजट से हर बार मायूसी मिल रही है। इस बार भी केंद्र सरकार का बजट खिलाड़ियों व कोच के लिए ऐसा ही रहा, जिससे वह मायूस दिख रहे हैं। जबकि इस बार ओलंपिक के साल में खेलों के लिए बजट से कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगाई जा रही थी जो बजट से पूरी तरह से टूट गई।
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ऐसे में खिलाड़ियों को ओलंपिक के साल में कुछ विशेष नहीं दिया जाएगा और उनको पुरानी सुविधाओं के बीच ही ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए तैयारी करनी होगी। वहीं पहले बजट की घोषणा राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड से कुछ फायदा नहीं होता दिख रहा है तो ग्रास रूट लेवल कमेटी तक बनाने की घोषणाएं आज तक सिरे नहीं चढ़ सकी हैं।
खेलों में हर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हरियाणा के खिलाड़ियों के सहारे ही भारत अपना परचम लहराता है। ओलंपिक से लेकर पैरा ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स सभी जगह देश के लिए सबसे ज्यादा मेडल हरियाणा के खिलाड़ी जीत रहे हैं। ओलंपिक में विजेंद्र सिंह, योगेश्वर दत्त, साक्षी मलिक तो पैरा ओलंपिक में दीपा मलिक ने देश को तमगे दिलवाए थे।
इनके अलावा भी खिलाड़ियों की लंबी फेहरिस्त है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। जिनमें बजरंग पूनिया, विनेश फौगाट, नीरज चोपड़ा, अमित पंघाल, पूजा ढांडा, दीपक पूनिया, रवि दहिया, मौसम खत्री, अंकुर मित्तल, सीमा आंतिल, मनोज कुमार, विकास कृष्ण, सुमित के अलावा भारतीय महिला हॉकी की पूरी टीम शामिल है।
खेलों में हरियाणा अब इस स्तर पर पहुंच चुका है, जहां किसी भी चैंपियनशिप के लिए कुश्ती, बॉक्सिंग, कबड्डी, शूटिंग, एथलेटिक्स, हॉकी के लिए खिलाड़ी चुने जाते हैं तो उसमें सबसे ज्यादा हरियाणा के खिलाड़ी रहते हैं। इस तरह की उपलब्धियों के बाद भी सरकार के बजट से खिलाड़ियों को मायूसी मिल रही है, क्योंकि बजट में खेलों को बढ़ावा देने के लिए ऐसा कुछ नहीं दिया गया जिससे खिलाड़ियों को ज्यादा अच्छा करने में सरकार की ओर से सहारा मिल सके। जबकि ओलंपिक व पैरालंपिक का साल होने के कारण इस बार खिलाड़ियों को बजट से कुछ ज्यादा उम्मीद थी।
बजट में खिलाड़ियों के लिए विशेष दिया जाता तो उससे ओलंपिक की तैयारियां बेहतर तरीके से हो सकती थी। ओलंपिक का साल होने के बावजूद इस साल बजट में ऐसा कुछ विशेष नहीं दिया गया और बजट ने खिलाड़ियों व कोच सभी को मायूस किया है। वहीं पहले की गई घोषणाओं का कुछ फायदा नहीं हो रहा है, जिनमें राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड बनाने के साथ ही ग्रास रूट लेवल कमेटी बनाने की बात सरकार कर चुकी है। इनको लेकर भी अभी तक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है और यह भी केवल बजट की घोषणाएं बनकर रह गई है।
इस साल ओलंपिक होना है और इसलिए खिलाड़ियों के लिए बजट में कुछ विशेष होना चाहिए था। जिससे खिलाड़ियों को अतिरिक्त सुविधाएं मिल सकें और उनकी बेहतर तरीके से प्रैक्टिस हो सके। खिलाड़ियों की जिस तरह से प्रैक्टिस होगी, उनसे उतनी ही ज्यादा ओलंपिक में पदक की उम्मीद बढ़ जाती है। ओलंपिक को देखते हुए सरकार को खिलाड़ियों के लिए कुछ विशेष करना चाहिए। - राजीव तोमर, अर्जुन अवार्डी व अंतर्राष्ट्रीय कोच
केंद्र सरकार के बजट में ऐसा कुछ विशेष नहीं है, जिससे खेलों के लिए सुविधाएं बेहतर की जा सके। सरकार को बजट में खिलाड़ियों के लिए कुछ बेहतर करना चाहिए था, लेकिन इस बजट से मायूसी हुई है। इस साल पैरालंपिक भी होना है, जिस कारण बजट से खिलाड़ियों की उम्मीद कुछ ज्यादा थी। - अमित सरोहा, अर्जुन अवार्डी पैरा ओलंपियन
खिलाड़ी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और हर जगह मेडल भी बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन बजट में जिस तरह से खेल व खिलाड़ियों की अनदेखी की गई है, वह किसी भी तरह से सही नहीं है। जबकि इस साल ओलंपिक भी होना है तो खिलाड़ियों को ज्यादा सुविधाएं देने के लिए काफी घोषणाएं होनी चाहिए थी जो नहीं की गई हैं। इसपर ध्यान देने की जरूरत है, जिससे ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए खिलाड़ी ज्यादा मेहनत कर सके। - कुलदीप मलिक, चीफ कोच भारतीय महिला कुश्ती
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