बहुचर्चित रणजीत सिंह हत्याकांड में 19 साल बाद सोमवार को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सहित पांचों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ ही 31 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। डेरामुखी सीबीआई की विशेष अदालत में रोहतक की सुनारिया जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुआ। इसके अलावा दोषी कृष्ण कुमार, अवतार सिंह, जसवीर सिंह और सबदिल कोर्ट प्रत्यक्ष रूप से कोर्ट में पेश हुए।
सीबीआई की विशेष अदालत के जज डॉ. सुशील गर्ग ने सजा सुनाने से पहले अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनीं। इसमें मामले में अदालत ने पांचों को बीते 8 अक्तूबर को दोषी करार दिया था। डेरामुखी के अलावा कोर्ट ने दोषी कृष्ण कुमार पर 1.25 लाख रुपये, सबदिल पर 1.50 लाख रुपये, जसवीर पर 1.25 लाख रुपये, और अवतार सिंह पर 75000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
सीबीआई के विशेष वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि 19 साल पुराने इस मामले में 12 अगस्त को बचाव पक्ष की अंतिम बहस पूरी हो गई थी। इस मामले में फैसला 26 अगस्त के लिए सुरक्षित रखा था। रणजीत सिंह के बेटे ने जज बदलने की मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के कारण यह फैसला लंबित हो गया था। हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
आठ अक्तूबर को पांचों को दोषी करार दिया था
इसके बाद सीबीआई की अदालत ने बीते 8 अक्तूबर को डेरामुखी सहित पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया था। वहीं इस मामले में 12 अक्तूबर को डेरामुखी की तरफ से आठ पेजों की अर्जी दाखिल कर सजा में अपने सामाजिक काम के आधार पर रियायत देने की मांग की थी। कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया था।
यह था मामला
10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की उस समय गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह खानपुर कोलियां में अपने पिता को खेतों में चाय देकर लौट रहे थे। सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रणजीत सिंह पर शक था कि उन्होंने डेरे के अंदर महिला अनुयायियों (साध्वियों) के यौन शोषण करने का आरोप लगाकर गुमनाम पत्र बंटवाया है।
पंचकूला सीबीआई की विशेष अदालत में तैनात आईटीबीपी के जवान।
यह वही पत्र था, जिसे सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने समाचार पत्र में उजागर किया था। बाद में पत्रकार छत्रपति की भी हत्या कर दी गई थी। हत्या के मामले में आरोपी सबदिल और जसबीर की शिनाख्त हो गई थी। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।
10 नवंबर 2003 को हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। 31 जुलाई 2007 को साध्वी यौन शोषण, रणजीत सिंह हत्या और रामचंद्र छत्रपति हत्या केस में सीबीआई कोर्ट में चालान पेश किए गए। इसमें 251 पेशी हुई और 61 गवाहों के बयान दर्ज किए। इसके बाद बीते 8 अक्तूबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने राम रहीम सहित सभी को दोषी करार दिया था।
इन धाराओं में कोर्ट ने सुनाई सजा
डेरामुखी गुरमीत राम रहीम और कृष्ण कुमार को कोर्ट ने आईपीसी की धारा-302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र रचना) और 506 (धमकी देना) की धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं, अवतार सिंह और जसवीर सिंह पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र रचना) और 506 (धमकी देना) की धाराओं के तहत सजा सुनाई। वही दोषी सबदिल को आईपीसी की धारा-302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र रचना) और 506 (धमकी देना)और 27 आर्म्स एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई।
विस्तार
बहुचर्चित रणजीत सिंह हत्याकांड में 19 साल बाद सोमवार को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सहित पांचों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाने के साथ ही 31 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। डेरामुखी सीबीआई की विशेष अदालत में रोहतक की सुनारिया जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुआ। इसके अलावा दोषी कृष्ण कुमार, अवतार सिंह, जसवीर सिंह और सबदिल कोर्ट प्रत्यक्ष रूप से कोर्ट में पेश हुए।
सीबीआई की विशेष अदालत के जज डॉ. सुशील गर्ग ने सजा सुनाने से पहले अभियोजन और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुनीं। इसमें मामले में अदालत ने पांचों को बीते 8 अक्तूबर को दोषी करार दिया था। डेरामुखी के अलावा कोर्ट ने दोषी कृष्ण कुमार पर 1.25 लाख रुपये, सबदिल पर 1.50 लाख रुपये, जसवीर पर 1.25 लाख रुपये, और अवतार सिंह पर 75000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
सीबीआई के विशेष वकील एचपीएस वर्मा ने बताया कि 19 साल पुराने इस मामले में 12 अगस्त को बचाव पक्ष की अंतिम बहस पूरी हो गई थी। इस मामले में फैसला 26 अगस्त के लिए सुरक्षित रखा था। रणजीत सिंह के बेटे ने जज बदलने की मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के कारण यह फैसला लंबित हो गया था। हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
आठ अक्तूबर को पांचों को दोषी करार दिया था
इसके बाद सीबीआई की अदालत ने बीते 8 अक्तूबर को डेरामुखी सहित पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया था। वहीं इस मामले में 12 अक्तूबर को डेरामुखी की तरफ से आठ पेजों की अर्जी दाखिल कर सजा में अपने सामाजिक काम के आधार पर रियायत देने की मांग की थी। कोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया था।
यह था मामला
10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की उस समय गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह खानपुर कोलियां में अपने पिता को खेतों में चाय देकर लौट रहे थे। सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को रणजीत सिंह पर शक था कि उन्होंने डेरे के अंदर महिला अनुयायियों (साध्वियों) के यौन शोषण करने का आरोप लगाकर गुमनाम पत्र बंटवाया है।
पंचकूला सीबीआई की विशेष अदालत में तैनात आईटीबीपी के जवान।
यह वही पत्र था, जिसे सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने समाचार पत्र में उजागर किया था। बाद में पत्रकार छत्रपति की भी हत्या कर दी गई थी। हत्या के मामले में आरोपी सबदिल और जसबीर की शिनाख्त हो गई थी। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।
10 नवंबर 2003 को हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। 31 जुलाई 2007 को साध्वी यौन शोषण, रणजीत सिंह हत्या और रामचंद्र छत्रपति हत्या केस में सीबीआई कोर्ट में चालान पेश किए गए। इसमें 251 पेशी हुई और 61 गवाहों के बयान दर्ज किए। इसके बाद बीते 8 अक्तूबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने राम रहीम सहित सभी को दोषी करार दिया था।
इन धाराओं में कोर्ट ने सुनाई सजा
डेरामुखी गुरमीत राम रहीम और कृष्ण कुमार को कोर्ट ने आईपीसी की धारा-302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र रचना) और 506 (धमकी देना) की धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। वहीं, अवतार सिंह और जसवीर सिंह पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र रचना) और 506 (धमकी देना) की धाराओं के तहत सजा सुनाई। वही दोषी सबदिल को आईपीसी की धारा-302 (हत्या), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र रचना) और 506 (धमकी देना)और 27 आर्म्स एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई।