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Werewolf By Night Review in Hindi by Pankaj Shukla Marvel Michael Giacchino Gael García Bernal Laura Donnelly
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Werewolf By Night Review: एमसीयू की कहानियों में हॉरर का नया हंगामा, ‘भेड़िया’ से पहले छाया मार्वल का वेरवुल्फ
रॉय थॉमस
,
जीन थॉमस
,
गेरी कॉनवे
,
माइक प्लूग
,
हीथर क्विन
और
पीटर कैमरॉन
निर्देशक
माइकल जियाचिनो
निर्माता
मार्वल स्टूडियोज
ओटीटी:
डिज्नी+ हॉटस्टार
रेटिंग
4/5
हिंदू मान्यताओं में जो श्रद्धा श्राद्ध के दिनों में पूर्वजों के लिए प्रकट की जाती है, वैसा ही कुछ कुछ पश्चिमी देशों में हालोईन (हैलवीन) की रात को होता है। हालो का अर्थ होता है संत और ईन का मतलब है ईव यानी पूर्वसंध्या। ऑल सेंट्स डे की इस पूर्वसंध्या को लोग तरह तरह के डरावने रूप धरते हैं और दिवंगत आत्माओं को याद करते हैं। इस साल हालोईन की रात (31 अक्तूबर) से पहले मार्वल स्टूडियोज ने भी एक नया स्वांग धरा है। अपनी परंपराओं से बिल्कुल अलग जाकर। सुपरहीरोज की कृत्रिम से हो चली अपनी दुनिया यानी मार्वल सिनेमैटिक यूनीवर्स (एमसीयू) में एक वेरवुल्फ यानी नरभेड़िया का स्वागत करके। ‘हल्क’, ‘वांडा विजन’ और ‘डॉक्टर स्ट्रेंज 2’ जैसी कहानियों से ये संकेत तो हो चला था कि एमसीयू में अब सब कुछ सुंदर, सुघड़ और सलोना नहीं रहने वाला। ‘वेनम 2’ में स्पाइडरमैन की अगली कहानी में उसका आना तय हो चुका है। लेकिन, इस बार मार्वल लेकर आया है एक 52 मिनट की हॉरर फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’, जो एमसीयू में भयानक शैतानों का एक नया पोर्टल खोलने वाली है।
वेरवुल्फ बाई नाइट
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
संगीत से आरोह, अवरोह वाला हॉरर
‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ का परिचय एनाहाइम, अमेरिका में हुए डी 23 फैन इवेंट में हालोईन सरप्राइज के तौर पर कराया गया था। वहीं इसका पोस्टर भी रिलीज किया गया और तब से ही एमसीयू के प्रशंसक इसके इंतजार में थे। पता नहीं था कि ये फिल्म होगी या सीरीज। और फिल्म होगी तो इतनी छोटी होगी, इसका भी अंदाजा मार्वल के प्रशंसकों को शायद ही रहा होगा। फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ सिनेमा का नया प्रयोग है। एक तरह से मार्वल की कंप्यूटर ग्राफिक्स से लैस रहने वाली फिल्मों का शुद्धिकरण। यहां स्पेशल इफेक्ट्स नाम मात्र के हैं। कहानी कहने का तरीका बीती सदी के चौथे, पांचवें दशक की फिल्मों जैसा है, सब कुछ श्वेत श्याम है, बस आखिर का एक दृश्य छोड़कर। कहानी का निर्देशन उन माइकल जियाचिनो को सौंपा गया है जिनकी शोहरत एक काबिल संगीतकार की ज्यादा रही है। और, एक संगीतकार जब वाकई सिनेमा कहने का बीड़ा उठाए तो उसे कैसा सिनेमा बनाना चाहिए, ये फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ से सीखा जा सकता है।
वेरवुल्फ बाई नाइट
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
ये कहानी है दीये की और शैतान की
फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ एक रात की कहानी है। ये वही रात है जब इंसान के शरीर में छिपा भेड़िया बाहर आता है। रक्तिम चांद (ब्लड मून) वाली रात को एक पुरानी हवेली में कुछ शिकारी इकट्ठा हुए हैं। ये आए हैं सबसे बड़े शिकारी यूलिसिस ब्लडस्टोन की मैयत पर मातमपुर्सी करने। ब्लडस्टोन के पास इसी नाम का एक चमत्कारी पत्थर रहा है। और, उसकी मंशा के मुताबिक इस ब्लडस्टोन की विरासत उसके बाद बचे सबसे काबिल शिकारी को सौंपी जाएगी। अरसे से अपनी खोज खबर न लेने वाली अपनी बेटी को ये विरासत वह नहीं सौंपता है। हां, उसकी इच्छा के मुताबिक उसे इस ब्लडस्टोन को पाने के लिए हो रही प्रतियोगिता में शामिल होने का मौका जरूर मिलता है। बेटी शातिर है। शिकारियों को एक भीमकाय डरावने प्राणी (मॉन्स्टर) का शिकार करना है। और, इन शिकारियों में सबसे काबिल जैक की मंशा पूरा खेल बदल देती है। ब्लडस्टोन की बेटी और उसमें दोस्ती होती है। दोनों मिलकर इस भीमकाय प्राणी को भागने में मदद करते हैं और इसके बाद जो होता है, वह एमसीयू की आने वाली फिल्मों के लिए एक नया शिगूफा छोड़ देता है।
वेरवुल्फ बाई नाइट
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
एमसीयू की कहानियों का नया पोर्टल
मार्वल सिनेमैटिक यूनीवर्स में हॉरर यानी भय नाम का नाट्य रस हाल की फिल्मों में ही शामिल होना शुरू हुआ है। फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ की हवेली में दीवारों पर तमाम दानवों के सिर टंगे दिखते हैं। ये एमसीयू की अलग अलग कहानियों में झलकते रहे हैं। लेकिन, इनमें सबसे बड़ा दानव है वह नरभेड़िया (वेरवुल्फ) जो इस कहानी के अंत में प्रकट होता है। ये कहानी एमसीयू के उस दौर में सामने आई है जहां इस फिल्म का अर्थ ही आगे आने वाली कहानियों में कई नए किरदार जोड़ना है। सिर्फ 52 मिनट की ये फिल्म एक तरह से मार्वल कॉमिक्स के उन किरदारों का पुनर्जीवन करने जा रही है, जो अब तक एमसीयू में शामिल होने से वंचित रहे। मार्वल कॉमिक्स जब एटलस कॉमिक्स के नाम से बिका करते थे, तो उनमें हॉरर कॉमिक्स की भी मजबूत श्रृंखला हुआ करती थी, एमसीयू में अब उस मोड़ पर ये कहानियां प्रवेश कर रही हैं, जहां तकरीबन हर दूसरी एमसीयू फिल्म पहले जैसी लगने लगी है। धर्मा प्रोडक्शंस के दफ्तर में कुछ दिन पहले करण जौहर की केबिन के बाहर एक उक्ति लिखी दिखी जिसका मतलब है, ‘कला वही जो विचलित को शांत कर दे और शांत को विचलित कर दे।’ फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ में केविन फाइगी ने यही किया है।
वेरवुल्फ बाई नाइट
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
माइकल जियाचिनो का कविताई निर्देशन
मार्वल स्टूडियोज की कतई मार्वल स्टूडियोज फिल्म जैसी नहीं दिखती फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ परदे पर कहानियों को कहने का एक ऐसा प्रयोग है जिसकी खूबसूरती सिर्फ इसे देखकर ही समझी जा सकती है। एक डरावनी कहानी को जिस कविताई अंदाज में माइकल जियाचिनो ने रचा है, वह काबिले तारीफ है। उनका निर्देशन और संगीत संयोजन फिल्म की आत्मा है। सिनेमैटोग्राफी और संपादन भी कमाल का है। फिल्म की कहानी पर पूरा फोकस रखते हुए शुरुआती दिनों की फिल्ममेकिंग को 21वीं सदी में दोहराना हिम्मत का काम है लेकिन, फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ की कहानी जिस ‘टाइमलाइन’ में घटित हो रही है, उसमें ऐसा ही सिनेमा सबसे प्रभावी हो सकता था और जियाचिनो इस कसौटी पर सौ फीसदी खरे उतरे हैं।
वेरवुल्फ बाई नाइट
- फोटो : अमर उजाला, मुंबई
ब्यूटी एंड द बीस्ट का नया रूपक
और, तारीफ के काबिल हैं फिल्म ‘वेरवुल्फ बाई नाइट’ में जैक बने गेयल गार्सिया बर्नल और ब्लडस्टोन की बेटी एलिसा बनीं लॉरा डॉनेली। जैक और एलिसा का रिश्ता कहानी के आखिर में ब्यूटी एंड द बीस्ट वाला बनता दिखता है। गेयल गार्सिया बर्नल के अभिनय में ताजगी है। उनका किरदार शुरू से डरा डरा दिखता है लेकिन ये भय उसे अपने आप से है या बाहरी दुनिया से ये फिल्म के आखिर में ही पता चलता है। अभिनय का इतना वैविध्य एक ही किरदार में कम ही कलाकारों को नसीब होता है। गेयल गार्सिया बर्नल ने इस मौके को दोनों हाथों से लपका है। और, एमसीयू की महिला सुपरहीरो मंडली में एक और नाम शामिल होता दिखता है एलिसा ब्लडस्टोन का। कहानी के आखिर में जो रंग लॉरा डॉनेली ने जमाया है, उसका असर आने वाली सीरीज और फिल्मों में असर जरूर दिखाएगा। हां, इसका असर वरुण धवन की ‘भेड़िया’ पर क्या होगा? ये प्रश्न वेधा को विक्रम से जरूर पूछना चाहिए।
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