फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ सिनेमा में प्रयोगों का एक नया अध्याय है। जेम्स कैमरून ने जब इस सीरीज की अपनी पहली फिल्म ‘अवतार’ बनाई थी तो तमाम लोगों ने उन्हें इसके नतीजों को लेकर सचेत किया था। लोगों को लगता था कि जेम्स अपना करियर जिस प्रयोग के चलते दांव पर लगा रहे हैं, उसमें उनके हाथ कुछ नहीं आएगा। इतिहास गवाह है कि उस फिल्म ने दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म का न सिर्फ तमगा पाया बल्कि इसकी सीक्वल का मार्ग भी प्रशस्त किया। 68 साल के हो चुके निर्माता, निर्देशक जेम्स कैमरून की नई फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ देखने के बाद समझ आता है कि इंसान जो सोच सकता है, वह हासिल भी कर सकता है। ये फिल्म न सिर्फ इंसानी कल्पनाओं की उड़ान है बल्कि विश्व सिनेमा का एक नया अध्याय, एक नया मोड़ और एक ऐसा नया उदाहरण भी है जिसमें सिनेमा का भविष्य छिपा हुआ है। फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ देखना एक अनुभूति है। सिनेमाघर में बैठे दर्शक को अपने साथ समंदरकी लहरों, इसकी गहराइयों और इसके जीव जंतुओं की दुनिया में बहा ले जाने में निर्देशक जेम्स कैमरून पूरी तरह सफल रहे हैं। फिल्म इतनी अद्भुत, अलौकिक, अकल्पनीय और अविश्वसनीय है कि फिल्म की बाकी किसी कमजोरी पर दर्शक का ध्यान ही नहीं जाता।
सिनेमा के भविष्य का अद्भुत अवतार
फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ सिनेमा की वह नई रोशनी है जिसके सहारे भारतीय सिनेमा को भी आगे बढ़ने के लिए एक नई राह मिल सकती है। गौर करने लायक यहां ये है कि जेम्स कैमरून की ‘अवतार’ सीरीज की पहली फिल्म ने दुनिया भर में रिकॉर्डतोड़ कमाई करने का जो मुकाम हासिल किया था, उसमें सिर्फ 25 फीसदी कमाई अमेरिकी दर्शकों की देन है। फिल्म की कमाई का बड़ा हिस्सा दूसरे देशों से आया है। यही सबक अब भारतीय सिनेमा को भी सीखना जरूरी है। पूरा विश्व जब एक गांव में तब्दील होता जा रहा है तो भारतीय निर्माताओं को भी अपनी कहानियां वैश्विक सोच और पसंद के हिसाब से बनानी होंगी। सिर्फ ‘बाहुबली’ और ‘आरआरआर’ के सहारे ही ये काम नहीं होगा। ये कहने का आशय क्या है, ये आपको फिल्म ‘अवतार द वे ऑफ वाटर’ देखकर ही समझ आएगा, ये फिल्म सिनेमा के इतिहास का वह जादू है जिससे बचकर निकल पाना किसी भी दर्शक के लिए मुश्किल है। पूरे परिवार के साथ इसे देखिएगा जरूर।
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