अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अनुसार, सरकार एड-टेक कंपनियों के खिलाफ नहीं है, लेकिन उन्हें उन क्षेत्रों में जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं जैसे डिप्लोमा और डिग्री कोर्स कराना। एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे की यह टिप्पणी, तकनीकी शिक्षा नियामक (टीईआर) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को एड-टेक कंपनियों के सहयोग से दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन मोड में पाठ्यक्रम पेश करने के खिलाफ चेतावनी देने के बाद आई है।
टीईआर और यूजीसी ने बयान में कहा है कि किसी भी 'फ्रैंचाइजी' समझौते की नियमों के तहत अनुमति नहीं है। हम एड-टेक कंपनियों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें उन क्षेत्रों में दखल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है जो उनके कार्य क्षेत्र में नहीं हैं।
सहस्रबुद्धे ने एक साक्षात्कार में पीटीआई से कहा कि हमने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को डिग्री और डिप्लोमा कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए मंजूरी दे दी है, लेकिन उन्हें इसे अपने दम पर पेश करना चाहिए, न कि निजी कंपनियों को इसकी इजाजत देकर ऐसे कोर्सों को कराने की अनुमति देने या अपनी नौकरी को किसी तीसरे पक्ष से सेवाएं प्राप्त करके उन्हें दे देने की अनुमति नहीं दी है।
कंपनियां विज्ञापन के जरिए पेश कर रही हैं एमबीए-एमसीए कार्यक्रम
अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि कंपनियों को करीब से देखने पर पता चला कि वे सीधे विज्ञापन जारी कर रही थीं और एमबीए और एमसीए जैसे कार्यक्रम पेश कर रही थीं। ये प्रबंधन और कंप्यूटर अनुप्रयोगों में स्नातकोत्तर कार्यक्रम हैं जो केवल विश्वविद्यालयों और अनुमोदित कॉलेजों द्वारा पेश किए जा सकते हैं। देश के शीर्ष संस्थानों जैसे भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) को भी प्रबंधन डिग्री प्रदान करने की अनुमति नहीं है, वे प्रबंधन में डिप्लोमा प्रदान करते हैं। हम एड-टेक कंपनियों को ऐसा करने की अनुमति कैसे दे सकते हैं।
किसी भी कार्यक्रम में दाखिले से पहले करें जांच
अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि यूजीसी और एआईसीटीई ने भी छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी है कि वे किसी भी पाठ्यक्रम में दाखिला लेने से पहले अपनी वेबसाइट पर किसी भी कार्यक्रम की मान्यता स्थिति की जांच करें। सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि एड-टेक कंपनियों के महत्व को कम नहीं कर रहा हूं जो उभरी हैं, खासकर हमारे स्वीकृत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से स्टार्ट-अप। कौशल और प्रशिक्षण के मामले में उन सभी का अपना महत्व है और वे इसके लिए प्रमाण पत्र भी जारी कर सकते हैं लेकिन डिग्री और डिप्लोमा नहीं। जहां तक विश्वविद्यालयों का संबंध है, यह पूरी तरह से ठीक है अगर वे कक्षाएं या ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने के लिए एड-टेक कंपनियों के मंच का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन यह उससे आगे नहीं हो सकता है और फ्रेंचाइजी समझौता नहीं हो सकता है।
शिक्षा मंत्रालय ने भी दी थी सलाह
शिक्षा मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में माता-पिता और एड-टेक कंपनियों से निपटने वाले छात्रों के लिए एक विस्तृत सलाह जारी की थी, जिसमें उन्हें अन्य बातों के अलावा, भुगतान करते समय सावधानी बरतने के लिए कहा गया था। मंत्रालय ने कहा था कि एड-टेक कंपनियों द्वारा दी जा रही ऑनलाइन सामग्री और कोचिंग का चयन करते समय माता-पिता, छात्रों और शिक्षा के सभी हितधारकों को सावधान रहना होगा। बढ़ती चिंताओं के बीच, जो संसद में भी प्रतिध्वनित हुई, कि ऐसी कई कंपनियां उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक भ्रष्टाचार में लिप्त थीं, कंपनियों के एक समूह ने इस महीने उद्योग निकाय इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन के तत्वावधान में एक सामूहिक भारत एडटेक कंसोर्टियम का गठन किया। बायजूज, करियर 360, ग्रेट लर्निंग, हड़प्पा, टाइम्स एडुटेक एंड इवेंट्स लिमिटेड, स्केलर, सिंपललर्न, टॉपर, अनएकेडमी, अपग्रेड, वेदांतु और व्हाइटहैट जूनियर जैसी कंपनियां और स्टार्ट-अप अब तक आईईसी में शामिल हो गए हैं और इसका पालन करने का एक सामान्य आचार संहिता का संकल्प लिया है।
शिक्षण प्रणाली निभाए छात्रों को तैयार करने की भूमिका
सरकार के रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए, बोर्ड इन्फिनिटी के सह-संस्थापक और सीईओ सुमेश नायर ने कहा कि यूजीसी द्वारा 'फ्रैंचाइज़ी व्यवस्था' के खिलाफ निर्देश, दूरस्थ शिक्षा में पाठ्यक्रम पेश करने वाली सभी एड-टेक कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है। यह जो मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और संस्थानों के सहयोग से ऑनलाइन प्रणाली के अनुरूप शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। हालांकि, जेटकिंग इंफोट्रेन के सीईओ और प्रबंध निदेशक हर्ष भरवानी ने इस कदम को 'स्वागत योग्य हस्तक्षेप' करार दिया। उन्होंने कहा कि कौशल संस्थानों को अपनी ताकत पर ध्यान देना चाहिए जो उद्योग और शिक्षा के बीच की खाई को पाट रहा है। शैक्षणिक स्तर पर छात्रों को तैयार करने की अपनी भूमिका शिक्षण प्रणाली को निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आदर्श कामकाज के लिए, शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को एक-दूसरे के साथ-साथ रहने और एक-दूसरे के पूरक होने की जरूरत है, न कि संयोग। दोनों के संयोजन से एड-टेक और शैक्षणिक दोनों को नुकसान होगा।
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अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अनुसार, सरकार एड-टेक कंपनियों के खिलाफ नहीं है, लेकिन उन्हें उन क्षेत्रों में जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं जैसे डिप्लोमा और डिग्री कोर्स कराना। एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे की यह टिप्पणी, तकनीकी शिक्षा नियामक (टीईआर) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को एड-टेक कंपनियों के सहयोग से दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन मोड में पाठ्यक्रम पेश करने के खिलाफ चेतावनी देने के बाद आई है।
टीईआर और यूजीसी ने बयान में कहा है कि किसी भी 'फ्रैंचाइजी' समझौते की नियमों के तहत अनुमति नहीं है। हम एड-टेक कंपनियों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें उन क्षेत्रों में दखल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है जो उनके कार्य क्षेत्र में नहीं हैं।
सहस्रबुद्धे ने एक साक्षात्कार में पीटीआई से कहा कि हमने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को डिग्री और डिप्लोमा कार्यक्रमों की पेशकश करने के लिए मंजूरी दे दी है, लेकिन उन्हें इसे अपने दम पर पेश करना चाहिए, न कि निजी कंपनियों को इसकी इजाजत देकर ऐसे कोर्सों को कराने की अनुमति देने या अपनी नौकरी को किसी तीसरे पक्ष से सेवाएं प्राप्त करके उन्हें दे देने की अनुमति नहीं दी है।