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लोहड़ी के मौके पर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। किसानों ने कहा कि वह भारत के संविधान का सम्मान करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए तीनों कृषि कानून असंवैधानिक हैं। क्योंकि सरकार ने इसे पूंजीपतियों को खुश करने के लिये बनाया है। जो किसानों के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।
गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर शाम पांच बजे तीनों कृषि कानूनों की प्रतियों को जलाया गया, जबकि टिकरी बॉर्डर पर लगभग चार बजे लोगों ने प्रतियों को जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। वहीं हरियाणा और पंजाब के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोगों ने भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया।
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर से गाजीपुर बॉर्डर पर आए साहेब सिंह ने कहा कि हर साल बेटियों की सुरक्षा की कसमें खाते हुए लोग लोहड़ी मनाते हैं। मुगलकाम में पंजाब के पुत्र दुल्ला भट्टी ने मुगलों के चंगुल से बेटियों को छुड़ाया था और उनका धूमधाम से विवाह कराया था।
तब से लोग उस दिन को लोहड़ी के रूप में मनाते हैं। दुल्ला भट्टी को लोहड़ी पर सम्मानपूर्क याद करते हैं। इस साल लोहड़ी के मौके पर तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर किसानों को सुरक्षा देने की शपथ ली गई है।
पीलीभीत से आए परबजोत सिंह ने कहा कि यकीन है कि भविष्य में लोहड़ी को किसानों के जीत के पर्व के रूप में याद किया जाएगा। उधम सिंह नगर के सुखचैन सिंह ने कहा कि किसानों की सुरक्षा पूरे देश की सुरक्षा है। यदि किसानों के साथ अन्याय होगा तो हम चुप नहीं बैठेंगे।
बरेली से गाजीपुर बॉर्डर पर आए हरजिंदर सिंह ने कहा कि हम साल भर दिल्ली में बैठे रहेंगे। सरकार जबतक कानून वापस नहीं करेगी तबतक यहां से जाने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि किसानों ने निर्णय लिया है कि अब वह केवल अपने खाने भर का अनाज उपजाएंगे।
यदि सरकार को बाहर से अनाज मंगाना पड़े तो मंगाए। जब बाहर से अनाज मंगाने के लिए सरकारी खजाना खाली होगा तब उसे किसानों की अहमियत का अंदाजा होगा।
लोहड़ी के मौके पर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। किसानों ने कहा कि वह भारत के संविधान का सम्मान करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए तीनों कृषि कानून असंवैधानिक हैं। क्योंकि सरकार ने इसे पूंजीपतियों को खुश करने के लिये बनाया है। जो किसानों के लिए बेहद नुकसानदायक हैं।
गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर शाम पांच बजे तीनों कृषि कानूनों की प्रतियों को जलाया गया, जबकि टिकरी बॉर्डर पर लगभग चार बजे लोगों ने प्रतियों को जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। वहीं हरियाणा और पंजाब के अलावा देश के दूसरे हिस्सों में भी तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोगों ने भी इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया।
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर से गाजीपुर बॉर्डर पर आए साहेब सिंह ने कहा कि हर साल बेटियों की सुरक्षा की कसमें खाते हुए लोग लोहड़ी मनाते हैं। मुगलकाम में पंजाब के पुत्र दुल्ला भट्टी ने मुगलों के चंगुल से बेटियों को छुड़ाया था और उनका धूमधाम से विवाह कराया था।
तब से लोग उस दिन को लोहड़ी के रूप में मनाते हैं। दुल्ला भट्टी को लोहड़ी पर सम्मानपूर्क याद करते हैं। इस साल लोहड़ी के मौके पर तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर किसानों को सुरक्षा देने की शपथ ली गई है।
पीलीभीत से आए परबजोत सिंह ने कहा कि यकीन है कि भविष्य में लोहड़ी को किसानों के जीत के पर्व के रूप में याद किया जाएगा। उधम सिंह नगर के सुखचैन सिंह ने कहा कि किसानों की सुरक्षा पूरे देश की सुरक्षा है। यदि किसानों के साथ अन्याय होगा तो हम चुप नहीं बैठेंगे।
बरेली से गाजीपुर बॉर्डर पर आए हरजिंदर सिंह ने कहा कि हम साल भर दिल्ली में बैठे रहेंगे। सरकार जबतक कानून वापस नहीं करेगी तबतक यहां से जाने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि किसानों ने निर्णय लिया है कि अब वह केवल अपने खाने भर का अनाज उपजाएंगे।
यदि सरकार को बाहर से अनाज मंगाना पड़े तो मंगाए। जब बाहर से अनाज मंगाने के लिए सरकारी खजाना खाली होगा तब उसे किसानों की अहमियत का अंदाजा होगा।