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हापुड़ में एक बार फिर वन विभाग को मुंह की खानी पड़ी। बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर तेंदुओं को अफवाह करार देने के 48 घंटों के भीतर ही ग्रामीणों ने बाबूगढ़ में तेंदुआ मार गिराया। गलती मानने के बजाए वन विभाग के अफसर अब तेंदुए की मौत किसी वाहन की चपेट में आने से होना बता रहे हैं।
खादर समेत पूरे वेस्ट यूपी में बीते दो महीनों से तेंदुए का खौफ बरकरार है। कभी बिजनौर, कभी मेरठ, कभी बुलंदशहर तो कभी हापुड़ में तेंदुए के दिखने और ग्रामीणों समेत पालतू पशुओं पर हमले की घटनाएं होती रहीं। हर घटना पर वन विभाग को सूचना दी गई।
शुरू में अफसरों की टीम मौके पर पहुंची और लेकिन बाद में अफसरों ने मौके पर पहुंचना भी गंवारा नहीं किया। उल्टे जंगली बिलाऊ बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
बीती 21 मार्च को गढ़ में वन विभाग के अफसरों ने प्रेस कांफ्रेंस कर अब तक की घटनाओं को पूरी तरह से झुठलाते हुए इसे तेंदुआ नहीं बल्कि कोरी अफवाह करार दिया। उसके 24 घंटों के भीतर ही बहादुरगढ़ के सालारपुर इलाके में किसान पर तेंदुए ने झपट्टा मारा। रविवार तड़के बाबूगढ़ क्षेत्र में हबिसपुर बिगास के जंगल में ग्रामीणों को तेंदुआ दिखा।
शोर मचाते हुए ग्रामीण गांव की ओर भाग निकले। इधर तेंदुआ रेलवे लाइन के पास से होते हुए ईबीएस बाबूगढ़ की ओर बढ़ा लेकिन तारों की बाड़ में फंस गया। इस दौरान लाठी-डंडे लेकर ग्रामीण वहां पहुंच गए। तेंदुआ देख दहशत और फिर गुस्सा बढ़ा तो उन्होंने लाठियों-डंडों से पीट-पीट कर तेंदुए को मार डाला।
डीएफओ जीएस सक्सेना ने बताया कि तेंदुआ मादा था और उसकी उम्र करीब एक वर्ष के आसपास है। उसकी लंबाई 52 इंच, डेढ़ फुट ऊंचाई थी। शायद यह 13 फरवरी को किठौर क्षेत्र के गांव झड़ीना के जंगलों में देखा गया था। क्योंकि जिस स्थान पर उसका शव मिला है,वह काली नदी के पास का वन विभाग का क्षेत्र है।
बाबूगढ़ में ग्रामीणों ने तेंदुए को मार गिराया लेकिन कुछ ही देर बाद झड़ीना क्षेत्र में तेंदुआ दिखा। इस बार उसने बाइक से घर लौट रहे होटल मैनेजर पर झपट्टा मारा। मारे दहशत के होटल मैनेजर में बाइक की रफ्तार बढ़ाई और गांव पहुंच कर ही राहत की सांस ली।
नेशनल हाईवे पर गांव अल्लाबख्शपुर के पास स्थित शिव गंगा होटल के मैनेजर राजबीर सिंह ड्यूटी पूरी कर रविवार की सुबह 10 बजे गांव हैदरपुर की मंढैया में स्थित अपने घर को वापिस लौट रहे थे, तो मध्य गंगनहर पटरी वाले रास्ते पर झड़ीना पुल से चंद मीटर की दूरी पर तेंदुए को झपटता देख उसने अपनी बाइक की रफ्तार बढ़ा दी और तेंदुए की पहुंच से बचकर निकल गया।
होटल मैनेजर ने गांव में पहुंचकर इस विषय में जानकारी दी, तो लोगों में फिर से रोष फैल गया। काफी ग्रामीण हाथों में लाठी-डंडे और लाइसेंसी हथियार लेकर मौके पर आ गए, जिन्होंने करीब एक घंटा तक आसपास के जंगल में खड़ी फसलों में बारीकी से खोजबीन की परंतु तेंदुए का कोई पता नहीं लग पाया।
हापुड़ जिले में तेंदुआ मारने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व 12 फरवरी 2012 को गांव सेहल में भी तेंदुआ को मार गिराया गया था। इस तेंदुआ ने 15 किसान, एक दरोगा और एक सिपाही को घायल किया था।
बाबूगढ़ के एसओ संजय पांचाल का कहना है कि तेंदुआ मारे जाने की सूचना मिलने पर शव को उन्होंने कब्जे में ले लिया था। जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों को सूचना देकर शव उनके सुपुर्द कर दिया गया।
वहीं डीएफओ जीएस सक्सेना का कहना है कि प्रथम दृष्टया तेंदुए की मौत सड़क दुर्घटना प्रतीत हो रही है। क्योंकि उसके शरीर के अंगों में चोट पाई गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
24 फरवरी को गढ़मुक्तेश्वर में। 26 फरवरी को धौलाना में। 02 मार्च गढ़ के खादर में किसानों पर झपटा तेंदुआ। 03 मार्च गढ़ के खादर से कुत्ते को उठा ले गया तेंदुआ।
04 मार्च खादर में ही गन्ने के खेत में दिखाई दिया तेंदुआ। 05 मार्च खादर में ही किसान पर झपटा तेंदुआ। 09 मार्च गांव कुलपुर से कल्याणपुर वाले मार्ग पर महिलाओं पर झपटा तेंदुआ। 11 मार्च गांव हैदरपुर में बकरी फार्म में घुसा तेंदुआ।
14 मार्च गांव झड़ीना में मां-बेटे पर तेंदुआ ने किया हमला। 19 मार्च को बहादुरगढ़ के गांव लुहारी में तेंदुआ ने किसान पर किया हमला। 22 मार्च को गढ़मुक्तेश्वर के सालारपुर निवासी किसान पर झपटा तेंदुआ।
हापुड़ में एक बार फिर वन विभाग को मुंह की खानी पड़ी। बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर तेंदुओं को अफवाह करार देने के 48 घंटों के भीतर ही ग्रामीणों ने बाबूगढ़ में तेंदुआ मार गिराया। गलती मानने के बजाए वन विभाग के अफसर अब तेंदुए की मौत किसी वाहन की चपेट में आने से होना बता रहे हैं।
खादर समेत पूरे वेस्ट यूपी में बीते दो महीनों से तेंदुए का खौफ बरकरार है। कभी बिजनौर, कभी मेरठ, कभी बुलंदशहर तो कभी हापुड़ में तेंदुए के दिखने और ग्रामीणों समेत पालतू पशुओं पर हमले की घटनाएं होती रहीं। हर घटना पर वन विभाग को सूचना दी गई।
शुरू में अफसरों की टीम मौके पर पहुंची और लेकिन बाद में अफसरों ने मौके पर पहुंचना भी गंवारा नहीं किया। उल्टे जंगली बिलाऊ बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
कई दिनों से था खौफ
बीती 21 मार्च को गढ़ में वन विभाग के अफसरों ने प्रेस कांफ्रेंस कर अब तक की घटनाओं को पूरी तरह से झुठलाते हुए इसे तेंदुआ नहीं बल्कि कोरी अफवाह करार दिया। उसके 24 घंटों के भीतर ही बहादुरगढ़ के सालारपुर इलाके में किसान पर तेंदुए ने झपट्टा मारा। रविवार तड़के बाबूगढ़ क्षेत्र में हबिसपुर बिगास के जंगल में ग्रामीणों को तेंदुआ दिखा।
शोर मचाते हुए ग्रामीण गांव की ओर भाग निकले। इधर तेंदुआ रेलवे लाइन के पास से होते हुए ईबीएस बाबूगढ़ की ओर बढ़ा लेकिन तारों की बाड़ में फंस गया। इस दौरान लाठी-डंडे लेकर ग्रामीण वहां पहुंच गए। तेंदुआ देख दहशत और फिर गुस्सा बढ़ा तो उन्होंने लाठियों-डंडों से पीट-पीट कर तेंदुए को मार डाला।
डीएफओ जीएस सक्सेना ने बताया कि तेंदुआ मादा था और उसकी उम्र करीब एक वर्ष के आसपास है। उसकी लंबाई 52 इंच, डेढ़ फुट ऊंचाई थी। शायद यह 13 फरवरी को किठौर क्षेत्र के गांव झड़ीना के जंगलों में देखा गया था। क्योंकि जिस स्थान पर उसका शव मिला है,वह काली नदी के पास का वन विभाग का क्षेत्र है।
अभी घूम रहा है एक और तेंदुआ
बाबूगढ़ में ग्रामीणों ने तेंदुए को मार गिराया लेकिन कुछ ही देर बाद झड़ीना क्षेत्र में तेंदुआ दिखा। इस बार उसने बाइक से घर लौट रहे होटल मैनेजर पर झपट्टा मारा। मारे दहशत के होटल मैनेजर में बाइक की रफ्तार बढ़ाई और गांव पहुंच कर ही राहत की सांस ली।
नेशनल हाईवे पर गांव अल्लाबख्शपुर के पास स्थित शिव गंगा होटल के मैनेजर राजबीर सिंह ड्यूटी पूरी कर रविवार की सुबह 10 बजे गांव हैदरपुर की मंढैया में स्थित अपने घर को वापिस लौट रहे थे, तो मध्य गंगनहर पटरी वाले रास्ते पर झड़ीना पुल से चंद मीटर की दूरी पर तेंदुए को झपटता देख उसने अपनी बाइक की रफ्तार बढ़ा दी और तेंदुए की पहुंच से बचकर निकल गया।
होटल मैनेजर ने गांव में पहुंचकर इस विषय में जानकारी दी, तो लोगों में फिर से रोष फैल गया। काफी ग्रामीण हाथों में लाठी-डंडे और लाइसेंसी हथियार लेकर मौके पर आ गए, जिन्होंने करीब एक घंटा तक आसपास के जंगल में खड़ी फसलों में बारीकी से खोजबीन की परंतु तेंदुए का कोई पता नहीं लग पाया।
पहले भी मारे जाने का हो चुका है दावा
हापुड़ जिले में तेंदुआ मारने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व 12 फरवरी 2012 को गांव सेहल में भी तेंदुआ को मार गिराया गया था। इस तेंदुआ ने 15 किसान, एक दरोगा और एक सिपाही को घायल किया था।
बाबूगढ़ के एसओ संजय पांचाल का कहना है कि तेंदुआ मारे जाने की सूचना मिलने पर शव को उन्होंने कब्जे में ले लिया था। जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों को सूचना देकर शव उनके सुपुर्द कर दिया गया।
वहीं डीएफओ जीएस सक्सेना का कहना है कि प्रथम दृष्टया तेंदुए की मौत सड़क दुर्घटना प्रतीत हो रही है। क्योंकि उसके शरीर के अंगों में चोट पाई गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
जानिए कब-कब और कहां-कहां दिखा तेंदुआ?
24 फरवरी को गढ़मुक्तेश्वर में। 26 फरवरी को धौलाना में। 02 मार्च गढ़ के खादर में किसानों पर झपटा तेंदुआ। 03 मार्च गढ़ के खादर से कुत्ते को उठा ले गया तेंदुआ।
04 मार्च खादर में ही गन्ने के खेत में दिखाई दिया तेंदुआ। 05 मार्च खादर में ही किसान पर झपटा तेंदुआ। 09 मार्च गांव कुलपुर से कल्याणपुर वाले मार्ग पर महिलाओं पर झपटा तेंदुआ। 11 मार्च गांव हैदरपुर में बकरी फार्म में घुसा तेंदुआ।
14 मार्च गांव झड़ीना में मां-बेटे पर तेंदुआ ने किया हमला। 19 मार्च को बहादुरगढ़ के गांव लुहारी में तेंदुआ ने किसान पर किया हमला। 22 मार्च को गढ़मुक्तेश्वर के सालारपुर निवासी किसान पर झपटा तेंदुआ।