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भागवत ने उठाया बंटवारे का मुद्दा: बोले- यह कभी न मिटने वाली वेदना, यह तभी मिटेगी, जब विभाजन निरस्त होगा

अमर उजाला नेटवर्क, नोएडा Published by: शाहरुख खान Updated Thu, 25 Nov 2021 08:17 PM IST
सार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहनराव भागवत ने कहा कि देश का विभाजन न मिटने वाली वेदना है। यह तभी मिटेगी, जब विभाजन निरस्त होगा। भारत एक जमीन का टुकड़ा नहीं हमारी मातृभूमि है। संपूर्ण दुनिया को कुछ देने लायक हम तब होंगे जब विभाजन हटेगा। 

Mohan Bhagwat says that the painful history of Partition will not be allowed to be repeated
मोहन भागवत (फाइल फोटो) - फोटो : Facebook

विस्तार

हमारी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए लाखों देशभक्तों ने बलिदान दिया। वहीं स्वतंत्रता के बाद विभाजन का दर्द झेला है। हमें खंडित भारत मिला है। अब खंडित भारत को अखंडित बनाना होगा। यह हमारा राष्ट्रीय एवं धार्मिक कर्तव्य है। हम इस कर्तव्य पथ पर चलेंगे तो विजय हमारी होगी। ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहनराव भागवत ने कहीं। 


वह सेक्टर-12 स्थित भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। विद्यालय में आयोजित लोकार्पण समारोह में उन्होंने लेखक कृष्णानंद सागर द्वारा लिखित एवं जागृति प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘विभाजनकालीन भारत के साक्षी’ का विमोचन किया। 


इस दौरान उन्होंने कहा कि देश का विभाजन न मिटने वाली वेदना है। यह तभी मिटेगी, जब विभाजन निरस्त होगा। भारत एक जमीन का टुकड़ा नहीं हमारी मातृभूमि है। संपूर्ण दुनिया को कुछ देने लायक हम तब होंगे जब विभाजन हटेगा। 

यह राजनीति नहीं हमारे अस्तित्व का विषय है। इससे किसी को सुख नहीं मिला। भारत की प्रवृत्ति विशिष्टता को अपनाने की है। अलगाव की प्रवृत्ति वाले तत्वों के कारण देश का विभाजन हुआ। हम विभाजन के दर्दनाक इतिहास का दोहराव नहीं होने देंगे। 

इतिहास से सीखकर आगे बढ़ें  

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कैसे देश टूटा, उस इतिहास को पढ़कर आगे बढ़ना होगा। विभाजन के बाद भी दंगे होते हैं। दूसरों के लिए भी वही आवश्यक मानना जो खुद को सही लगे, यह गलत मानसिकता है। अपने प्रभुत्व का सपना देखना गलत है। राजा सबका होता है। सबकी उन्नति उसका धर्म है।
 
हिंदू समाज को संगठित होने की जरूरत है। हमारी संस्कृति विविधता में एकता की है, इसलिए हिंदू यह नहीं कह सकता कि मुसलमान नहीं रहेंगे। अनुशासन का पालन सबको करना होगा। अशफाक उल्ला खान जैसे क्रांतिकारी जन्नत की जगह भारत में दोबारा जन्म की चाह रखते थे। अत्याचार को रोकने के लिए बल के साथ सत्य आवश्यक है। 

पाकिस्तान पर होना चाहिए मुकदमा 
लेखक कृष्णानंद सागर ने कहा कि उनकी पुस्तक विभाजन के दौर में हुए षड्यंत्रों पर आधारित है। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शंभू नाथ श्रीवास्तव ने कहा कि इतिहास को बदलकर प्रस्तुत किया गया है। विभाजन के दौर में भारी नरसंहार हुआ। इसके लिए पाकिस्तान पर मुकदमा होना चाहिए। यह पुस्तक इतिहास के कई पक्षों को उजागर करेगी।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि विभाजन इस्लामिक और अंग्रेजों के आक्रमण का नतीजा है। विभाजन एक सोचे समझे षडयंत्र का परिणाम है। भारत को तोड़ने का प्रयास सफल नहीं होने देंगे। कार्यक्रम के दौरान विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री श्रीराम आरावकर, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव कुमार रत्नम, भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर के अध्यक्ष सुशील कुमार जैन, रमन चावला, जागृति प्रकाशन के समन्वयक योगेश शर्मा सहित कई लोग उपस्थित रहे।
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