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Uttarakhand government web portal 33 crore has not been started yet read more Update in hindi
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Exclusive: उत्तराखंड सरकार का 33 करोड़ का वेब पोर्टल बना सफेद हाथी, थाईलैंड की कंपनी ने किया था तैयार
विनोद मुसान , अमर उजाला, देहरादून
Published by: रेनू सकलानी
Updated Wed, 23 Nov 2022 08:39 AM IST
सार
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वर्ष 2019 में आपदा प्रबंधन विभाग ने विश्व बैंक की सहायता से यह वेब पोर्टल विकसित किया था। इस वेब पोर्टल पर हर वह जानकारी मौजूद है जो आपदा प्रबंधन के समय तुरंत कार्रवाई के लिए काम आ सकती है।पोर्टल उत्तराखंड सरकार को हैंडओवर करने के बाद कंपनी ने इसके संचालन की ट्रेनिंग नहीं दी।
उत्तराखंड सरकार का करीब 33.50 करोड़ की लागत से बना वेब पोर्टल ‘डिसीजन सपोर्ट सिस्टम’ (डीएसएस) दो साल से सफेद हाथी साबित हो रहा है। आपदा की स्थिति में यह वेब पोर्टल बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। दो साल पहले तैयार हो चुका यह पोर्टल अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते अभी तक शुरू ही नहीं हो पाया है।
इस पोर्टल के संचालन के लिए अभी तक अधिकारियों और कर्मचारियों की ट्रेनिंग ही नहीं हो पाई है। वर्ष 2019 में आपदा प्रबंधन विभाग ने विश्व बैंक की सहायता से यह वेब पोर्टल विकसित किया था। इस वेब पोर्टल पर हर वह जानकारी मौजूद है जो आपदा प्रबंधन के समय तुरंत कार्रवाई के लिए काम आ सकती है। इसका इस्तेमाल केवल आपदा प्रबंधन विभाग, जिला प्रशासन और लाइन विभागों से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी ही कर सकते हैं। यह तभी संभव है, जब इसे चलाने के लिए उन्हें ट्रेनिंग दी गई हो।
वेब पोर्टल को थाईलैंड की कंपनी एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एआईटी) ने तैयार किया था। वर्ष 2019 में वेब पोर्टल उत्तराखंड सरकार को हैंडओवर करने के बाद कंपनी ने इसके संचालन की ट्रेनिंग नहीं दी। कई बार के पत्राचार के बाद अब जाकर मार्च 2022 में ट्रेनिंग शुरू हो पाई। प्रदेश में 15 लाइन विभागों के सैकड़ों अधिकारियों व कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जानी है और इस काम में केवल सात ट्रेनरों को लगाया गया है। एक-एक ट्रेनर को दो-दो जिले बांटे गए हैं। ऐसे में ट्रेनिंग का ही काम कब तक पूरा हो पाएगा, कहना मुश्किल है।
ऐसे काम करेगा वेब पोर्टल
डीएसएस वेब पोर्टल पर आपदा प्रबंधन से संबंधित जानकारियों की भरमार है। यह पोर्टल आपदा की स्थिति में निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के साथ ही एक जगह पर बैठकर उसके प्रबंधन की सुविधा प्रदान करता है। इसमें स्कूल, कॉलेज, थाने, चौकियां, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, अस्पताल, एंबुलेंस, हेलीपैड, पब्लिक ट्रांसपोर्ट हर उस चीज की रियल टाइम जानकारी उपलब्ध रहती है जो आपदा प्रबंधन में काम आ सकती है। किसी भी जिले में बैठा अधिकारी अपने लैपटॉप की सहायता से एक जगह पर बैठकर पूरे प्रबंधन को कंट्रोल कर सकता है।
वेब पोर्टल तैयार होने के बाद ट्रेनिंग के लिए कुछ लोगों को रखा गया था। इसके बाद कोविड शुरू हो गया। तब पहली प्राथमिकता कोविड से निपटना था। तब से यह काम लगातार पिछड़ता चला गया लेकिन अब ट्रेनिंग शुरू हो गई है। बहुत जल्दी वेब पोर्टल को शुरू कर दिया जाएगा। - सविन बंसल, अपर सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग।
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