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Uttarakhand Assembly Session: सात दिन का प्रस्तावित सत्र दूसरे दिन ही स्थगित, 14 बिल बिना चर्चा के पास

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Wed, 30 Nov 2022 10:47 PM IST
सार

Uttarakhand Assembly session News:  संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने एक-एक कर विधेयकों को पारित कराने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें सदन ने ध्वनिमत से पारित किया।

Uttarakhand Assembly Session 2022 adjourned on second day and 14 bills passed without discussion
विधानसभा सत्र - फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो

विस्तार

उत्तराखंड में विधायी कार्य निपटने के साथ ही सात दिन का शीतकालीन सत्र सिर्फ दो दिन में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। सदन पांच दिसंबर तक प्रस्तावित था। देर शाम विस के प्रभारी सचिव हेम पंत ने सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने की अधिसूचना भी जारी कर दी।



Uttarakhand Assembly Session: गैरसैंण में सत्र नहीं कराने पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा, दिलाई घोषणा की याद


संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने एक-एक कर विधेयकों को पारित कराने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें सदन ने ध्वनिमत से पारित किया। । महिलाओं को राजकीय सेवा में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण और राज्य में जबरन धर्मांतरण पर सख्ती से अंकुश लगाने के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक समेत कुल 14 बिल बिना किसी चर्चा के करीब सवा घंटे में पास हो गए। जबकि दो विधेयक वापस लौट गए। महिला क्षैतिज आरक्षण वाले विधेयक पर विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने समर्थन किया। समूचे सदन ने सर्वसम्मति से विधेयक को मंजूरी दी। 

स्पीकर ने दिखाए तेवर
विधानसभा में सदन की कार्यवाही के दौरान विधायकों के मोबाइल पर बात करने और दीर्घा से इशारे करने पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने नाराजगी जताते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी। स्पीकर ने पीठ से निर्देश दिए कि कोई भी सदस्य सदन की मर्यादा तोड़ता है तो मुझे कार्रवाई करनी पड़ेगी।

गैरसैंण पर गरमाया सदन
ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में सत्र नहीं करवाने के मुद्दे पर सदन खूब गरमाया। विपक्ष ने अवमानना नोटिस देकर सरकार को घेरने की कोशिश की। आरोप लगाया कि सरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर भूल गई। विपक्ष ने कहा कि सरकार को गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करना चाहिए।

भर्ती घोटाले पर विपक्ष का सांकेतिक वॉकआउट
विपक्ष ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की भर्तियों में घोटाले के मुद्दे पर सदन में हंगामा किया। मामले की सीबीआई जांच की मांग उठाई। सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया तो नाराज विपक्षी सदस्यों ने सदन से सांकेतिक तौर पर वॉकआउट कर दिया।

ये विधेयक हुए पारित
- उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिक आरक्षण) विधेयक।
- उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक।
- उत्तराखंड विनियोग (2022-23 का अनुपूरक) विधेयक।
- बंगाल, आगरा और आसाम सिविल न्यायालय (उत्तराखंड संशोधन और अनुपूरक अनुबंध) विधेयक।
- उत्तराखंड दुकान और स्थापन (रोजगार विनियमन और सेवा शर्त) संशोधन विधेयक।
- पेट्रोलियम एवं ऊर्जा अध्ययन विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक।
- भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक।
- उत्तराखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक।
- उत्तराखंड कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध संशोधन विधेयक।
- उत्तराखंड जिला योजना समिति संशोधन विधेयक।
- पंचायती राज संशोधन विधेयक।
- हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक।
- उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन व विकास संशोधन विधेयक।
- उत्तराखंड विशेष क्षेत्र (पर्यटन का नियोजित विकास और उन्नयन) संशोधन विधेयक।

ये विधेयक हुए वापस
- उत्तराखंड पंचायतीराज द्वितीय संशोधन विधेयक।
- कारखाना उत्तराखंड संशोधन विधेयक।

उत्तराखंड देवभूमि है यहां पर धर्मांतरण जैसी चीजें हमारे लिए बहुत घातक हैं। इसलिए सरकार ने यह निर्णय लिया कि प्रदेश में धर्मांतरण पर रोक के लिए कठोर से कठोर कानून बने। राज्य सरकार का प्रयास है कि इस कानून को जल्द से जल्द प्रदेश में लागू किया जाए। उत्तराखंड निर्माण में मातृशक्ति का बहुत बड़ा योगदान है और सरकार ने यह पहले ही तय किया था कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस प्रदेश में मातृशक्ति का सम्मान करते हुए उन्हें क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिले।
- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

सात दिन का सत्र दो दिन में समाप्त होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। बहुत से अनसुलझे सवाल रह गए। सत्र पूरे समय चलता तो सार्थक चर्चा होती। सरकार मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती थी। ये सरकार की नाकामयाबी है।
- यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष

सदन टैक्स देने वालों के पैसे से चलता है। जब मेरे पास कोई भी बिजनेस नहीं होगा तो मेरे लिए सत्र चलाना बेमानी होगा। जो काम मेरे पास आया, उसे दो दिन पूरा कर दिया गया। किसी का राजनीतिक एजेंडा हो सकता है। केवल उसके लिए सत्र चलाऊं, यह उचित नहीं है। पैसा मुश्किल से कमाया जाता है।
-ऋतु खंडूड़ी भूषण, विधानसभा अध्यक्ष
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