महाशिवरात्रि पर्व एवं महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर जनसैलाब उमड़ा। सात संन्यासी अखाड़ों के संग किन्नर अखाड़ा के संतों ने शाही अंदाज में विधि-विधान से हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड पर स्नान किया। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हरकी पैड़ी पहुंचकर संतों को शाही स्नान की शुभकामनाएं देकर आशीर्वाद लिया। अखाड़ों के संतों का स्नान शुरू होने से पहले सुबह आठ बजे तक हरकी पैड़ी क्षेत्र में श्रद्धालुओं का रैला उमड़ा।
शाम छह बजे तक गंगा किनारे सभी घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भरे रहे। डीजीपी अशोक कुमार ने हरकी पैड़ी क्षेत्र का जायजा लिया। मेला प्रशासन के दावे के मुताबिक महाशिवरात्रि स्नान के लिए 32 लाख 87 हजार लोगों ने मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। पूजा अर्चना के बाद पहले श्री निरंजनी के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय और श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े के इष्टदेव सूर्यदेव का शाही स्नान कराया गया। इसके बाद श्री निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि और फिर तपोनिधि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि ने गंगा स्नान किया।
उनके गंगा भी डुबकी लगाने के बाद दोनों अखाड़ों के संत और नागा साधु गंगा स्नान के लिए उतर गए। शाम को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और सहयोग अखाड़े श्री शंभू पंच अटल अखाड़े के सन्यासियों ने शाही स्नान किया। स्नान के दौरान पहले दोनों अखाड़ों के मुकाबले महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के सन्यासियों की संख्या कम रही।
महाशिवरात्रि पर पहले शाही स्नान को लेकर श्रद्धालुओं में जबर्दस्त उत्साह रहा। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे। बुधवार देर रात तक साढ़े तीन लाख श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच चुके थे। गुरुवार तड़के तीन बजे से हरकी पैड़ी क्षेत्र के घाटों पर स्नान शुरू हो गया। सुबह पांच बजे से साढ़े सात बजे तक हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। ब्रह्मकंड पर स्नान करने की श्रद्धालुओं में होड़ रही। सात संन्यासी अखाड़ों और किन्नर अखाड़ा के संतों का सुबह 11 बजे से क्रमवार स्नान पूर्व निर्धारित था। लिहाजा, मेला पुलिस-प्रशासन ने सुबह आठ बजे से पैरामिल्ट्री की मदद से हरकी पैड़ी क्षेत्र को श्रद्धालुओं से खाली करवा कर सील कर लिया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी क्षेत्र को छोड़कर दूसरे घाटों पर स्नान किया।
हरिद्वार: महाशिवरात्रि से पहले कुंभनगरी में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, पहले शाही स्नान के लिए ऐसे सजी हरकी पैड़ी, तस्वीरें...
दशनाम श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के नेतृत्व में श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आह्वान और किन्नर अखाड़ा के संत-महंत और नागा संन्यासी निर्धारित समय से पहले ही सुबह 9.47 बजे हरकी पैड़ी पहुंच गए। दोपहर एक बजे श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी और श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा के संत और नागा संन्यासियों ने ब्रह्मकुंड पर डुबकी लगाई।
अपराह्न चार बजे श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंच अटल अखाड़ों के संतों ने ब्रह्मकुंड पर हर-हर महादेव के जयघोष के साथ स्नान किया। अखाड़ों के साधु-संत-महंत क्रमवार अपने-अपने आचार्य महामंडलेश्वरों के नेतृत्व में रथों पर सवार होकर छावनियों से हरकी पैड़ी क्षेत्र पहुंचे। विधि विधान से स्नान करने के बाद क्रमवार ही अपनी छावनियों पर लौटे।
हरकी पैड़ी पर नौ घंटे तक संतों का राज
महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर हरकी पैड़ी पर नौ घंटे तक साधु-संतों का राज रहा। हर तरफ साधु-संत ही नजर आए। संतों का स्नान पूरा होते ही शाम छह बजे बाद श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैड़ी के गंगा घाट खुल गए। श्रद्धालुओं ने स्नान किया और मां गंगा की आरती में शामिल हुए। अखाड़ों के संतों का पहला जुलूस लाव लश्कर के साथ सुबह 9.47 बजे हरकी पैड़ी क्षेत्र पहुंचा। शाम साढ़े चार बजे तक संतों का स्नान हुआ। पांच बजे हरकी पैड़ी के घाटों को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया।
हरकी पैड़ी पर शाही स्नान करने आने वाले संतों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। सीएम तीरथ सिंह रावत ने बुधवार को शपथ लेने के बाद ही पहला आदेश संतों पर पुष्पवर्षा करने के दिए थे। साधु-संतों का जुलूस जब हरकी पैड़ी की ओर निकला तो हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा हुई।
नहीं चली शटल सेवा, 30 से 40 किमी पैदल चले श्रद्धालु
महाशिवरात्रि के दिन पहले शाही स्नान पर ही मेला प्रशासन के शटल सेवा के दावे हवाई साबित हो गए। मेला क्षेत्र में चलाई जाने वाली 100 बसें सिर्फ कागजों में ही दौड़ती नजर आईं। बसें नहीं चलने से लाखों श्रद्धालुओं को 30 से 40 किमी तक पैदल चलना पड़ा।
महाकुंभ के तहत महाशिवरात्रि के स्नान पर्व पर गुरुवार को पार्किंग से आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा घाटों पर पहुंचने में परेशानी न हो, इसके लिए मेला प्रशासन ने परिवहन निगम की 100 बसों को शटल सेवा के रूप में चलाने का दावा किया था।
धीरवाली, बैरागी कैंप, ऋषिकुल पार्किंग, चमगादड़ टापू, लालजीवाला पार्किंग में निजी बसों, वाहनों को पार्क करने के बाद वहां से श्रद्धालुओं को शटल बस सेवा के माध्यम से हरकी पैड़ी के आसपास के घाटों पर लाना था। मगर, सूरज की पहली किरण के साथ ही मेला प्रशासन के दावे हवाई साबित होते दिखे। श्रद्धालु पैदल ही घाटों की तरफ जाते नजर आए। कुंभ मेला क्षेत्र में शटल सेवा की एक भी बस सड़क पर दौड़ती हुई नजर नहीं आई।
डग्गामार वाहन चालकों ने काटी चांदी
डग्गामार वाहन चालकों ने भीड़ का फायदा उठाते हुए जमकर चांदी काटी। ऋषिकुल मैदान चौराहे से भल्ला कॉलेज होते हुए तुलसी चौक पर कुछ ई रिक्शा और ऑटो गलियों से चल रहे थे। चालकों ने दो किमी की दूरी का किराया प्रति व्यक्ति 100 से 150 रुपये तक वसूला। बिहार से आए सात साल के प्रीतम सिंह के पिता का कहना था कि पांच किमी पैदल चलकर वह हरकी पैड़ी के पास वाले घाट पर स्नान के लिए पहुंचे। उनका कहना था बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए यातायात की व्यवस्था करनी चाहिए थी।
अहमदाबाद से आए आठ वर्षीय भास्कर कुमार के दादा ने बताया वह अपने पोते को लेकर पहली बार हरिद्वार आए हैं। बसों की सुविधा नहीं होने पर उन्हें करीब सात किमी तक पैदल चलना पड़ा। इसके चलते उनके पोते को काफी परेशानी हुई।
प्रशासन ने किसी भी रूट पर बसों के संचालन के लिए अनुमति नहीं दी। इसके चलते कुछ बसें खड़ी रहीं। वहीं, कुछ बसों का संचालन देहरादून से हरिद्वार के बीच कराया गया।
-प्रतीक जैन, एआरएम, हरिद्वार डिपो
महाशिवरात्रि और शाही स्नान को लेकर बाहरी राज्यों से हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ से नारसन बॉर्डर पर पुरकाजी तक जाम लग गया। पुरकाजी तक जाम लगने से श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि, पुरकाजी से रूट की व्यवस्था की गई थी, लेकिन इसके बाद बाहरी राज्यों से आने वाले वाहन नारसन बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पहुंचे।
वहीं, पुलिस को जाम खुलवाने के लिए पसीना बहाना पड़ा। इस दौरान नारसन बॉर्डर पर पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट रहा। गुरुवार को श्रद्धालुओं की भीड़ नारसन बॉर्डर पर जुटना शुरू हो गई। दोपहर तक नारसन बॉर्डर से लेकर पुरकाजी बॉर्डर तक वाहनों की लंबी लाइन लगने से जाम लग गया। पुलिस को जाम खुलवाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
वहीं, शाम तक नारसन बॉर्डर पर 1682 लोगों की कोविड जांच और 16800 लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। जबकि 1010 लोग अपनी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लेकर बॉर्डर पर पहुंचे और करीब दो हजार श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन किए गए। नारसन बॉर्डर पर भारी वाहनों के पहिए थाम दिए गए। इन भारी वाहनों को हाईवे किनारे खड़ा करवाया गया। ऐसे में हाईवे संकरा हो गया। जिससे नारसन बॉर्डर पर हाईवे वन-वे हो गया और वाहनों की लंबी कतार लग गई।
गोकुलपुर बॉर्डर पर जांच के बाद ही मिली एंट्री
दूसरे प्रदेशों से हरिद्वार की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं की झबरेड़ा थाना क्षेत्रा की गोकलुपर सीमा में प्रवेश करने पहले जांच की गई। गोकुलपुर सीमा पर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान के यात्री निजी वाहनों से देवबंद से होकर लखनौता होते हुए रुड़की और हरिद्वार जाते हैं। चौकी प्रभारी संजय नेगी ने बताया कि बिना जांच और बगैर जांच रिपोर्ट के दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को एंट्री नहीं दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की तीन टीम तैनात हैं। जबकि भारी वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।
कोविड से बचाव की कुंभ मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू
कुंभ की शुरुआत एक अप्रैल से होगी, लेकिन गुरुवार को पहले शाही स्नान के लिए कोविड से बचाव की कुंभ मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू हो गई है। एसओपी शुक्रवार तक लागू रहेगी।
इसके अंतर्गत हरिद्वार आने वाले हर व्यक्ति को कुंभ मेला पोर्टल पर पंजीकरण और 72 घंटे पूर्व की कोविड निगेटिव रिपोर्ट लानी है। एसओपी लागू होने की अवधि से पहले हरिद्वार आकर होटलों, धर्मशाला और आश्रमों में ठहरने वाले लोगों की भी कोविड जांच की जा रही है। बॉर्डर और मेला क्षेत्र में 40 टीमें कोविड की रैंडम जांच भी हो रही है।
मेलाधिकारी दीपक रावत, जिलाधिकारी सी रविशंकर और आईजी कुंभ संजय गुंज्याल ने जिला, मेला पुलिस-प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से आपसी समन्वय बनाकर एसओपी का कड़ाई से पालन कराए जाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। मेला नियंत्रण भवन सभागार में आयोजित बैठक में मेलाधिकारी दीपक रावत ने कहा कि कोविड-19 से बचाव बड़ी चुनौती है।
महाशिवरात्रि पर अखाड़ों के पहले शाही स्नान पर एसओपी का कड़ाई से पालन कराया गया। हरिद्वार आने वाले हर व्यक्ति के लिए पंजीकरण की अनिवार्यता होगी और बार्डर पर रैंडम जांच की गई। जिले के सभी बार्डर पर पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीमें मौजूद रहीं।
जान जोखिम में डालकर किया गंगा स्नान
हरकी पैड़ी क्षेत्र के घाटों पर जाने से रोक लगाने पर श्रद्धालु जान जोखिम में डालकर गंगा की मुख्य धारा पर ही स्नान करने उतर गए। भारी पुलिस बल होने के बावजूद भी श्रद्धालुओं को किसी ने नहीं रोका। पानी का बहाव अधिक होने से कोई भी अनहोली घट सकती थी।
महाशिवरात्रि पर गंगा स्नान करने को बड़ी संख्या में श्रद्धालु धर्मनगरी पहुंचे। अखाड़ों के शाही स्नान को देखते हुए हरकी पैड़ी क्षेत्र के गंगा घाटों पर सुबह आठ बजे से आम श्रद्धालुओं के जाने पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके चलते मेला नियंत्रण भवन के पास से ही श्रद्धालु पुल के नीचे मुख्य गंगा में उतर गए। पुलिसकर्मियों ने रोकने का प्रयास किया, लेकिन कोई नियंत्रण काम नहीं आया। इसके बाद बिना रोक टोक बड़ी संख्या में श्रद्धाल गंगा में डूबकी लगाते रहे।
32.87 लाख के आंकड़े से सहमत नहीं लोग
मेला पुलिस के दावे महाशिवरात्रि पर 32.87 लाख श्रद्धालुओं के गंगा स्नान के आंकड़े से कुंभनगरी के लोग सहमत नहीं हैं। वहीं भारी भीड़ के बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के हरकी पैड़ी पर पहुंचने को लेकर कोविड एसओपी के प्रोटोकॉल पर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, कुंभ मेला पुलिस ने महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं के गंगा स्नान का जो दावा किया उसका पूर्वानुमान उसे भी नहीं था।
कोविड एसओपी की सख्ती के कारण 20 लाख श्रद्धालुओं का पहुंचना भी असंभव लग रहा था। क्योंकि पिछले स्नान पर्वों के दौरान स्नानार्थियों की सबसे अधिक संख्या करीब सात लाख रही। गुरुवार शाम को कुंभ मेला पुलिस ने 32.87 लाख का जादुई आंकड़ा जारी कर दिया। जबकि भीड़ नियंत्रित करने के लिए रोड़ीबेलवाला में बनाए गए चक्रव्यूह बिल्कुल सुनसान पड़े रहे। पिछले कुंभ स्नान पर्व को देखने वाले लोग भी इन आंकड़ों पर सवाल उठाने लगे हैं। लोगों का कहना है कि अगर इतनी बड़ी संख्या श्रद्धालु स्नान के पहुंचते तो शहर के अंदरूनी मार्गों पर पैर रखने की जगह नहीं बचती।
उधर, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी सीधे हरकी पैड़ी पहुंच गए। इस दौरान एसओपी के मुताबिक कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ। सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर मुख्यमंत्री के आसपास अधिकतर लोग मास्क भी नहीं पहने थे। हालांकि मुख्यमंत्री ने स्वयं मास्क पहना था और हरकी पैड़ी पर स्नान नहीं किया, लेकिन इसके बावजूद उनकी सुरक्षा में पूरा लाव लश्कर था।
महाशिवरात्रि के स्नान पर्व को लेकर कुंभ मेला पुलिस ने संपूर्ण मेला क्षेत्र को तीन सुपर जोन, नौ जोन व 25 सेक्टरों में बांटा है। इसमें एक सेक्टर जीआरपी और एक यातायात का सेक्टर भी बनाया गया है। प्रत्येक जोन में अपर पुलिस अधीक्षक और सेक्टरों में पुलिस उपाधीक्षक को नियुक्त किया गया है। देवपुरा से भूपतवाला पर जीरो जोन है। हाईवे पर देहरादून जाने वालों को संचालन बाधित नहीं हो रहा है।
आईजी कुंभ संजय गुज्याल ने बताया कि मुख्य यातायात व्यवस्था के अलावा नौ आपातकालीन यातायात व्यवस्था बनाई गई है। इसे परिस्थितियों के अनुसार अमल में लाया जाएगा। कोई भी आकस्मिक स्थिति आने पर तात्कालिक रूप से सहायता पहुंचाने के लिए निर्धारित मार्गों से अलग आठ प्रशासनिक मार्गों का भी चयन किया गया है। संपूर्ण शाही स्नान जुलूस मार्ग के लिए पुलिस व्यवस्था को 1 सुपर जोन, 2 जोन एवं 4 सेक्टरों में बांटा गया है।
स्नान के दौरान जल पुलिस, एसडीआरएफ और आपदा राहत दल के जवान आवश्यक उपकरणों और बोट सहित 18 संवेदनशील स्थानों पर मौजूद हैं। साथ ही बम निरोधक दस्ता की सात टीमों की लगाया गया है। जेबकतरों को पकड़ने के लिए सात टीमें लगाई गई हैं। भीड़ में बिछड़ने वालों के लिए गंगा सभा प्रसारण केंद्र, नगर नियंत्रण कक्ष, रेलवे स्टेशन हरिद्वार पर खोया-पाया केंद्रों की व्यवस्था की गई है।
18 स्थानों पर रस्सा फोर्स है। चेकिंग-फ्रिस्किंग के लिए अभिसूचना इकाई की 28 अलग-अलग टीमें हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर और डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर सहित मौजूद हैं। 21 जगहों पर अग्निशमन विभाग की टीमें तैनात हैं। संचार व्यवस्था के लिए अखाड़ा, जीआरपी, पैरामिलिट्री एवं यातायात ग्रिड सहित कुल 11 ग्रिड संचालित हैं।
रेडियो संचार व्यवस्था के अतिरिक्त संचार पुलिस द्वारा सीसीटीवी कैमरों के नेटवर्क को संभालने का कार्य भी किया जा रहा है। मेला क्षेत्र में सतर्क दृष्टि बनाये रखने के लिये वर्तमान में मैपिंग किए गए 1150 निजी/संस्थागत कैमरों के साथ-साथ 96 पुलिस कैमरों का प्रयोग भी किया जा रहा है।
महाशिवरात्रि पर्व एवं महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर जनसैलाब उमड़ा। सात संन्यासी अखाड़ों के संग किन्नर अखाड़ा के संतों ने शाही अंदाज में विधि-विधान से हरकी पैड़ी स्थित ब्रह्मकुंड पर स्नान किया। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हरकी पैड़ी पहुंचकर संतों को शाही स्नान की शुभकामनाएं देकर आशीर्वाद लिया। अखाड़ों के संतों का स्नान शुरू होने से पहले सुबह आठ बजे तक हरकी पैड़ी क्षेत्र में श्रद्धालुओं का रैला उमड़ा।
शाम छह बजे तक गंगा किनारे सभी घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भरे रहे। डीजीपी अशोक कुमार ने हरकी पैड़ी क्षेत्र का जायजा लिया। मेला प्रशासन के दावे के मुताबिक महाशिवरात्रि स्नान के लिए 32 लाख 87 हजार लोगों ने मां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया। पूजा अर्चना के बाद पहले श्री निरंजनी के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय और श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े के इष्टदेव सूर्यदेव का शाही स्नान कराया गया। इसके बाद श्री निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि और फिर तपोनिधि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि ने गंगा स्नान किया।
उनके गंगा भी डुबकी लगाने के बाद दोनों अखाड़ों के संत और नागा साधु गंगा स्नान के लिए उतर गए। शाम को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और सहयोग अखाड़े श्री शंभू पंच अटल अखाड़े के सन्यासियों ने शाही स्नान किया। स्नान के दौरान पहले दोनों अखाड़ों के मुकाबले महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के सन्यासियों की संख्या कम रही।
महाशिवरात्रि पर पहले शाही स्नान को लेकर श्रद्धालुओं में जबर्दस्त उत्साह रहा। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचे। बुधवार देर रात तक साढ़े तीन लाख श्रद्धालु हरिद्वार पहुंच चुके थे। गुरुवार तड़के तीन बजे से हरकी पैड़ी क्षेत्र के घाटों पर स्नान शुरू हो गया। सुबह पांच बजे से साढ़े सात बजे तक हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। ब्रह्मकंड पर स्नान करने की श्रद्धालुओं में होड़ रही। सात संन्यासी अखाड़ों और किन्नर अखाड़ा के संतों का सुबह 11 बजे से क्रमवार स्नान पूर्व निर्धारित था। लिहाजा, मेला पुलिस-प्रशासन ने सुबह आठ बजे से पैरामिल्ट्री की मदद से हरकी पैड़ी क्षेत्र को श्रद्धालुओं से खाली करवा कर सील कर लिया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी क्षेत्र को छोड़कर दूसरे घाटों पर स्नान किया।
हरिद्वार: महाशिवरात्रि से पहले कुंभनगरी में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, पहले शाही स्नान के लिए ऐसे सजी हरकी पैड़ी, तस्वीरें...
दशनाम श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के नेतृत्व में श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आह्वान और किन्नर अखाड़ा के संत-महंत और नागा संन्यासी निर्धारित समय से पहले ही सुबह 9.47 बजे हरकी पैड़ी पहुंच गए। दोपहर एक बजे श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी और श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा के संत और नागा संन्यासियों ने ब्रह्मकुंड पर डुबकी लगाई।
अपराह्न चार बजे श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंच अटल अखाड़ों के संतों ने ब्रह्मकुंड पर हर-हर महादेव के जयघोष के साथ स्नान किया। अखाड़ों के साधु-संत-महंत क्रमवार अपने-अपने आचार्य महामंडलेश्वरों के नेतृत्व में रथों पर सवार होकर छावनियों से हरकी पैड़ी क्षेत्र पहुंचे। विधि विधान से स्नान करने के बाद क्रमवार ही अपनी छावनियों पर लौटे।
हरकी पैड़ी पर नौ घंटे तक संतों का राज
महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर हरकी पैड़ी पर नौ घंटे तक साधु-संतों का राज रहा। हर तरफ साधु-संत ही नजर आए। संतों का स्नान पूरा होते ही शाम छह बजे बाद श्रद्धालुओं के लिए हरकी पैड़ी के गंगा घाट खुल गए। श्रद्धालुओं ने स्नान किया और मां गंगा की आरती में शामिल हुए। अखाड़ों के संतों का पहला जुलूस लाव लश्कर के साथ सुबह 9.47 बजे हरकी पैड़ी क्षेत्र पहुंचा। शाम साढ़े चार बजे तक संतों का स्नान हुआ। पांच बजे हरकी पैड़ी के घाटों को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया।