पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
भारी बारिश के कारण सोमवार को कर्णप्रयाग सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जन जीवन-अस्त व्यस्त रहा। बदरीनाथ हाईवे पर बारिश से चट्वापीपल के पास पेड़ टूटने से कुछ देर हाईवे बंद रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क मार्गों पर मलबा पत्थर आने से वाहन लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
रविवार रात और सोमवार सुबह बारिश से पूरे क्षेत्र में लोग बेहाल रहे। बारिश से कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदियों का जलस्तर बढ़ गया। घाट डूब गये और संगम पर लोगों को गंगा जल भरने में परेशानी हुई। अपर बाजार से कर्णप्रयाग-सिमली रोड पर दिनभर पत्थर गिरते रहे। गदेरों में पानी का बहाव तेज होने से गांवों में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर कीचड़ होने से उमट्टा, लंगासू, सोनला, विराजकुंज आदि स्थानों पर लोगों को दिक्कतें हुई। सिमली-शैलेश्वर, जेकिंडी-मैखुरा आदि सड़कों पर कई जगह पानी के तालाब बन गए। सुबह करीब 10 बजे चट्वापीपल के पास एक पेड़ गिरने से करीब आधे घंटे तक बदरीनाथ हाईवे पर जाम लगा रहा। बाद में जेसीबी की मशीनों की मदद से पेड़ को हटाकर हाईवे वाहनों की आवाजाही के लिए खुला।
कर्णप्रयाग में एहतियात के तौर पर एसडीएम और थाना पुलिस ने नगर के घाटों का दौरा किया और नदी के किनारे बेठे लोगों वहां से हटाया। इसके अलावा आदिबदरी, लंगासू, सिमली में भी सड़कों पर कीचड़ और दूषित पानी से लोगों को भारी दिक्कतें हुई।
ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत निर्माणाधीन रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर बांसवाड़ा भूस्खलन जोन नए सिरोहबगड़ के रूप में परेशानी का सबब बना हुआ है। बीते चार दिनों से पहाड़ी से भूस्खलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां जगह-जगह पर पानी का रिसाव होने से हालात और भी गंभीर हो रहे हैं। ऐसे में जहां केदारघाटी का जिला मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ है। यहां जरूरी सामग्री की सप्लाई भी नहीं हो रही है।
बीते आठ अगस्त की रात से गौरीकुंड हाईवे बांसवाड़ा में बंद पड़ा है। यहां पहाड़ी से रुक-रुककर पत्थर व मलबा निरंतर गिर रहा है, जिस कारण वाहनों का संचालन ठप है। यहां जगह-जगह पर पानी के रिसाव से कीचड़ जमा है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो रही है। एनएच द्वारा बीते रविवार को कुछ देर बारिश थमने के दौरान मलबा साफ कर यातायात शुरू करने का प्रयास किया गया। लेकिन पुन: पहाड़ी से भूस्खलन सक्रिय होने के कारण बात नहीं बन पाई।
बदरीनाथ हाईवे पर स्थित भूस्खलन जोन सिरोहबगड़ की तरह यह स्थान भी अति संवेदनशील बना हुआ है। लोगों का कहना है कि ऑल वेदर रोड परियोजना के पहले से ही बांसवाड़ा, सिरोहबगड़ की तरह परेशानी का सबब रहा है। यहां पर मंदाकिनी नदी की दूरी भी सड़क से बमुश्किल दस मीटर है। ऐसे में निरंतर खतरा बना रहता है। बावजूद राज्य निर्माण के 19 वर्षों में भूस्खलन जोन से निपटने के लिए कोई कार्ययोजना तक नहीं बन पाई है। हाईवे के चार दिन से बंद होने के कारण केदारनाथ व केदारघाटी के 80 और क्यूंजा घाटी के 12 से अधिक गांवों का रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि से संपर्क कटा हुआ है।
हाईवे पर भटवाड़ीसैंण में पहाड़ी से पत्थर गिरने के साथ पानी रिस रहा, जिससे सड़क कीचड़ से पटी हुई है। वहीं, निचली तरफ पुश्ता ढहने से खतरा बना हुआ है। उधर, सेमी-भैंसारी में भूधंसाव और डोलिया मंदिर के समीप भी भूधंसाव व भूस्खलन थम नहीं रहा है। फाटा से गौरीकुंड के बीच भी राजमार्ग की स्थिति अच्छी नहीं है। एनएच के ईई जितेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि बरसात के कारण निर्माणाधीन हाईवे पर बांसवाड़ा समेत अन्य जगहों पर भूस्खलन से स्थिति खराब हुई है। मौसम में सुधार होते ही इन स्थानों पर प्राथमिकता से सुरक्षा और सुधारीकरण कार्य किए जाएंगे।
बदरीनाथ हाईवे पीपलकोटी के समीप सोमवार को यातायात सुचारू हो गया। रविवार को यहां पहाड़ी का एक हिस्सा टूटने से रास्ता अवरुद्ध हो गया था। जिससे हाईवे के दोनों ओर वाहनों की लंबी लाइन लग गई थी। रविवार को सुबह से ही यहां पहाड़ी से छोटे-छोटे पत्थर छिटककर हाईवे पर आ रहे थे। लेकिन शाम चार बजे पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर हाईवे पर आ गया।
जिससे बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा पर जा रहे वाहनों के पहिए थम गए। हाईवे अवरुद्ध होने की सूचना पर एनएच की दो जेसीबी मशीनों से मलबा और बोल्डरों को हटाने का काम शुरु हुआ। पीपलकोटी पुलिस चौकी प्रभारी पूजा मेहरा ने बताया कि पहाड़ी से रह-रहकर अभी भी पत्थर छिटककर हाईवे पर आ रहे हैं। हाईवे को खोलने के लिए जेसीबी मशीनें लगाई गईं।
चमोली जिले में भारी बारिश के बाद 29 ग्रामीण संपर्क मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं। बिरही-निजमूला मोटर मार्ग गाड़ी गांव के समीप करीब पंद्रह मीटर तक क्षतिग्रस्त हो गई है। जिससे घाटी के गाड़ी, सैंजी, निजमूला, हुडंग, मानुरा, तड़ागताल, धारकुमाला, गौंणा, पाणा, ईराणी, झींझी, ब्यारा, दुर्मी, पगना गांवों के साथ ही 14 गांवों के ग्रामीण क्षेत्र में ही कैद होकर रह गए हैं।
बीते 14 जुलाई को भी यह सड़क करीब सात मीटर तक बह गई थी, जिसके बाद लोक निर्माण विभाग ने पुश्ता निर्माण कर 24 जुलाई को यहां छोटे वाहनों की आवाजाही सुचारु कर दी थी। अब फिर सड़क अवरुद्ध होने से ग्रामीणों के सम्मुख आवाजाही का संकट गहरा गया है। चमोली-रांगतोली-लासी-सरतोली, गोपेश्वर-पोखरी, नंदप्रयाग-देवखाल, कलसिर-धोतीधार के साथ ही कई ग्रामीण संपर्क मार्ग मलबा और बोल्डर आने से अवरुद्ध हो गए हैं। जिससे ग्रामीणों को मीलों दूरी पैदल आवाजाही करनी पड़ रही है। लासी-मजोठी सड़क किनारे नाली निर्माण न होने से बरसाती पानी और मलबा यहां दुकानों में घुस गया है।
ग्रामीण वीरेंद्र सिंह, कमल सिंह, हरेंद्र सिंह, डब्बल सिंह और नयन सिंह का कहना है कि लोनिवि, एडीबी और पीएमजीएसवाई के अधिकारियों से सड़कों को खोलने की मांग उठाई है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी का कहना है कि मौसम सामान्य होने पर सड़कों को खोलने का काम शुरू कर दिया जाएगा। लोनिवि, पीएमजीएसवाई के साथ ही अन्य निर्माणदायी संस्थाओं को शीघ्र सड़कों को वाहनों की आवाजाही के लिए खोलने के लिए कह दिया गया है।
भारी बारिश के कारण सोमवार को कर्णप्रयाग सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जन जीवन-अस्त व्यस्त रहा। बदरीनाथ हाईवे पर बारिश से चट्वापीपल के पास पेड़ टूटने से कुछ देर हाईवे बंद रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क मार्गों पर मलबा पत्थर आने से वाहन लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
रविवार रात और सोमवार सुबह बारिश से पूरे क्षेत्र में लोग बेहाल रहे। बारिश से कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदियों का जलस्तर बढ़ गया। घाट डूब गये और संगम पर लोगों को गंगा जल भरने में परेशानी हुई। अपर बाजार से कर्णप्रयाग-सिमली रोड पर दिनभर पत्थर गिरते रहे। गदेरों में पानी का बहाव तेज होने से गांवों में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।
ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर कीचड़ होने से उमट्टा, लंगासू, सोनला, विराजकुंज आदि स्थानों पर लोगों को दिक्कतें हुई। सिमली-शैलेश्वर, जेकिंडी-मैखुरा आदि सड़कों पर कई जगह पानी के तालाब बन गए। सुबह करीब 10 बजे चट्वापीपल के पास एक पेड़ गिरने से करीब आधे घंटे तक बदरीनाथ हाईवे पर जाम लगा रहा। बाद में जेसीबी की मशीनों की मदद से पेड़ को हटाकर हाईवे वाहनों की आवाजाही के लिए खुला।
कर्णप्रयाग में एहतियात के तौर पर एसडीएम और थाना पुलिस ने नगर के घाटों का दौरा किया और नदी के किनारे बेठे लोगों वहां से हटाया। इसके अलावा आदिबदरी, लंगासू, सिमली में भी सड़कों पर कीचड़ और दूषित पानी से लोगों को भारी दिक्कतें हुई।
रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर बांसवाड़ा बना नया सिरोहबगड़!
ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत निर्माणाधीन रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर बांसवाड़ा भूस्खलन जोन नए सिरोहबगड़ के रूप में परेशानी का सबब बना हुआ है। बीते चार दिनों से पहाड़ी से भूस्खलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां जगह-जगह पर पानी का रिसाव होने से हालात और भी गंभीर हो रहे हैं। ऐसे में जहां केदारघाटी का जिला मुख्यालय से संपर्क कटा हुआ है। यहां जरूरी सामग्री की सप्लाई भी नहीं हो रही है।
बीते आठ अगस्त की रात से गौरीकुंड हाईवे बांसवाड़ा में बंद पड़ा है। यहां पहाड़ी से रुक-रुककर पत्थर व मलबा निरंतर गिर रहा है, जिस कारण वाहनों का संचालन ठप है। यहां जगह-जगह पर पानी के रिसाव से कीचड़ जमा है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो रही है। एनएच द्वारा बीते रविवार को कुछ देर बारिश थमने के दौरान मलबा साफ कर यातायात शुरू करने का प्रयास किया गया। लेकिन पुन: पहाड़ी से भूस्खलन सक्रिय होने के कारण बात नहीं बन पाई।
बदरीनाथ हाईवे पर स्थित भूस्खलन जोन सिरोहबगड़ की तरह यह स्थान भी अति संवेदनशील बना हुआ है। लोगों का कहना है कि ऑल वेदर रोड परियोजना के पहले से ही बांसवाड़ा, सिरोहबगड़ की तरह परेशानी का सबब रहा है। यहां पर मंदाकिनी नदी की दूरी भी सड़क से बमुश्किल दस मीटर है। ऐसे में निरंतर खतरा बना रहता है। बावजूद राज्य निर्माण के 19 वर्षों में भूस्खलन जोन से निपटने के लिए कोई कार्ययोजना तक नहीं बन पाई है। हाईवे के चार दिन से बंद होने के कारण केदारनाथ व केदारघाटी के 80 और क्यूंजा घाटी के 12 से अधिक गांवों का रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि से संपर्क कटा हुआ है।
हाईवे पर भटवाड़ीसैंण में पहाड़ी से पत्थर गिरने के साथ पानी रिस रहा, जिससे सड़क कीचड़ से पटी हुई है। वहीं, निचली तरफ पुश्ता ढहने से खतरा बना हुआ है। उधर, सेमी-भैंसारी में भूधंसाव और डोलिया मंदिर के समीप भी भूधंसाव व भूस्खलन थम नहीं रहा है। फाटा से गौरीकुंड के बीच भी राजमार्ग की स्थिति अच्छी नहीं है। एनएच के ईई जितेंद्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि बरसात के कारण निर्माणाधीन हाईवे पर बांसवाड़ा समेत अन्य जगहों पर भूस्खलन से स्थिति खराब हुई है। मौसम में सुधार होते ही इन स्थानों पर प्राथमिकता से सुरक्षा और सुधारीकरण कार्य किए जाएंगे।
पहाड़ी का एक हिस्सा टूटने से बदरीनाथ हाईवे पीपलकोटी में हो गया था बंद
बदरीनाथ हाईवे पीपलकोटी के समीप सोमवार को यातायात सुचारू हो गया। रविवार को यहां पहाड़ी का एक हिस्सा टूटने से रास्ता अवरुद्ध हो गया था। जिससे हाईवे के दोनों ओर वाहनों की लंबी लाइन लग गई थी। रविवार को सुबह से ही यहां पहाड़ी से छोटे-छोटे पत्थर छिटककर हाईवे पर आ रहे थे। लेकिन शाम चार बजे पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर हाईवे पर आ गया।
जिससे बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा पर जा रहे वाहनों के पहिए थम गए। हाईवे अवरुद्ध होने की सूचना पर एनएच की दो जेसीबी मशीनों से मलबा और बोल्डरों को हटाने का काम शुरु हुआ। पीपलकोटी पुलिस चौकी प्रभारी पूजा मेहरा ने बताया कि पहाड़ी से रह-रहकर अभी भी पत्थर छिटककर हाईवे पर आ रहे हैं। हाईवे को खोलने के लिए जेसीबी मशीनें लगाई गईं।
चमोली जिले में 29 ग्रामीण संपर्क मार्ग पड़े अवरुद्ध, ग्रामीण पैदल कर रहे आवाजाही
चमोली जिले में भारी बारिश के बाद 29 ग्रामीण संपर्क मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं। बिरही-निजमूला मोटर मार्ग गाड़ी गांव के समीप करीब पंद्रह मीटर तक क्षतिग्रस्त हो गई है। जिससे घाटी के गाड़ी, सैंजी, निजमूला, हुडंग, मानुरा, तड़ागताल, धारकुमाला, गौंणा, पाणा, ईराणी, झींझी, ब्यारा, दुर्मी, पगना गांवों के साथ ही 14 गांवों के ग्रामीण क्षेत्र में ही कैद होकर रह गए हैं।
बीते 14 जुलाई को भी यह सड़क करीब सात मीटर तक बह गई थी, जिसके बाद लोक निर्माण विभाग ने पुश्ता निर्माण कर 24 जुलाई को यहां छोटे वाहनों की आवाजाही सुचारु कर दी थी। अब फिर सड़क अवरुद्ध होने से ग्रामीणों के सम्मुख आवाजाही का संकट गहरा गया है। चमोली-रांगतोली-लासी-सरतोली, गोपेश्वर-पोखरी, नंदप्रयाग-देवखाल, कलसिर-धोतीधार के साथ ही कई ग्रामीण संपर्क मार्ग मलबा और बोल्डर आने से अवरुद्ध हो गए हैं। जिससे ग्रामीणों को मीलों दूरी पैदल आवाजाही करनी पड़ रही है। लासी-मजोठी सड़क किनारे नाली निर्माण न होने से बरसाती पानी और मलबा यहां दुकानों में घुस गया है।
ग्रामीण वीरेंद्र सिंह, कमल सिंह, हरेंद्र सिंह, डब्बल सिंह और नयन सिंह का कहना है कि लोनिवि, एडीबी और पीएमजीएसवाई के अधिकारियों से सड़कों को खोलने की मांग उठाई है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी का कहना है कि मौसम सामान्य होने पर सड़कों को खोलने का काम शुरू कर दिया जाएगा। लोनिवि, पीएमजीएसवाई के साथ ही अन्य निर्माणदायी संस्थाओं को शीघ्र सड़कों को वाहनों की आवाजाही के लिए खोलने के लिए कह दिया गया है।