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Uttarakhand: जोशीमठ पर कांग्रेस का क्या है स्टैंड, पढ़ें इन तीखे सवालों पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के जवाब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Sun, 29 Jan 2023 05:12 PM IST
सार

जोशीमठ की समस्या वर्ष 1976 में सामने आ गई थी। तब से लेकर अब तक केंद्र और राज्य में कांग्रेस की भी सरकारें रहीं हैं, लेकिन कांग्रेस ने इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया? ऐसे ही कई तीखे सवालों के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने जवाब दिए। पढ़ें उनका ये विस्तृत साक्षात्कार...

करन माहरा
करन माहरा - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

जोशीमठ से जुड़े तीखे सवालों पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने जवाब दिए। उन्होंने कहा कि  कांग्रेस ने जब आवाज उठाई, तब सरकार को जोशीमठ आपदा प्रभावितों की याद आई। माहरा ने बताया कि राहुल गांधी ने भू-धंसाव, भूस्खलन वाले अन्य स्थानों की भी रिपोर्ट मांगी है। कहा कि भाजपा सरकार एनटीपीसी को बचा रहीृ है। जांच रिपोर्ट आने से पहले ही क्लीन चिट दे दी गई।



प्रश्न : जोशीमठ में करीब 14 महीनों से लोग आंदोलन कर रहे हैं, कांग्रेस तब कहां थी? सत्तारूढ़ दल का कहना है, आप लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं।

उत्तर : ये मिथ्या आरोप हैं। बल्कि सच यह है कि जब कांग्रेस ने आपदा प्रभावितों की आवाज उठाई, तब जाकर सरकार नींद से जागी। हमारी पार्टी के नगर पालिका अध्यक्ष, वहां के पूर्व प्रमुख लगातार सक्रिय थे। जिलाध्यक्ष और पार्टी के तमाम कार्यकर्ता शुरू से सक्रिय हैं। आज से पांच-छह महीने पहले जब अस्पताल की बिल्डिंग में दरारें आनी शुरू हुई थीं, मैंने स्वयं मौके पर जाकर स्थिति को देखा था। यह कहना कांग्रेस सक्रिय नहीं थी, बिल्कुल गलत है। हमने कई बार इस मामले में सरकार को ज्ञापन सौंपे। कांग्रेस के सक्रिय होने के बाद भी सरकार को होश आया, तब जाकर उसने हाथ-पैर मारने शुरू किए। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व भी बराबर जोशीमठ के मुद्दे पर नजर बनाए हुए है।

प्रश्नः यह समस्या तो वर्ष 1976 में सामने आ गई थी। तब से लेकर अब तक केंद्र और राज्य में कांग्रेस की भी सरकारें रहीं हैं, आपने क्यों नहीं इस पर ध्यान दिया?
उत्तर : कांग्रेस सरकारों ने जनहित में कई ऐसी बड़ी परियोजनाओं को बंद कर दिया, जिन पर हजारों करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे। लाहोरी-नागपाला, पाला-मनेरी और अन्य दूसरी बड़ी परियोजनाएं इसके उदाहरण हैं। वर्ष 1976 के बाद कई बार आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाए गए। केंद्र में मनमोहन सरकार ने वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाया, जिसमें हिमालयी क्षेत्रों में आने वाली आपदाओं के दृष्टिगत नियम जोड़े गए।

प्रश्न : आप बातों को घुमा रहे हैं, मतलब कांग्रेस की कोई जिम्मेदारी नहीं थी?
उत्तरः पिछले नौ साल से तो केंद्र में बीजेपी की सरकार है। सात साल से राज्य में बीजेपी की सरकार है। जोशीमठ में बीते दो वर्ष से समस्या बढ़ी है, भाजपा की डबल इंजन की सरकारें बताएं, उन्होंने एक्शन क्यों नहीं लिया। ये सवाल तो बीजेपी से ही पूछा जाना चाहिए। क्यों एनटीपीसी को बिना रिपोर्ट आए क्लीन चिट दे रही है सरकार।

प्रश्न : जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर कांग्रेस लगातार एनटीपीसी पर आरोप लगा रही है, इसकी पुख्ता वजह क्या है?
उत्तर
: हमारा सीधा आरोप है, सरकार कॉपरेट के आगे घुटने टेक चुकी है। उन्होंने बिना तकनीकी संस्थाओं की रिपोर्ट आए एनटीपीसी को क्लीन चिट दी, जबकि लोगों का मानना है कि एनटीपीसी के टनल की वजह से ही यह दिक्कतें आ रही हैं। वहां सुरंग निर्माण को लेकर अनियंत्रित तरीके से विस्फोट किए गए। रैणी आपदा के दौरान सुरंग में पानी भर गया था, सुरंग बनाने वाली मशीन आज भी वहां फंसी है। उससे भी दिक्कतें पैदा हुईं हैं।

प्रश्न : एक तरफ आप मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हैं, सुझाव देते हैं। आपके पार्टी नेता सीएम की तारीफ भी करते हैं, दूसरी तरफ आप राहुल गांधी को बुला रहे हैं।
उत्तर : बीजेपी को अपनी संकीर्ण सोच छोड़ देनी चाहिए। मुख्यमंत्री केवल भाजपा का नहीं है, उन पर सभी का अधिकार है। हमारे नेता राहुल गांधी ने आज से 15 दिन पहले भूवैज्ञानिकों को बुलाकर उनसे जोशीमठ के मुद्दे पर मंथन किया था। अब जब हम अपने नेता को बुला रहे हैं, तो भाजपा को क्यों दिक्कत हो रही है।

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प्रश्न : राहुल गांधी कब आ रहे हैं जोशीमठ?
उत्तर : 30 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा का समापन होगा, इसके बाद कुछ दिन वह पार्टी मुख्यालय में कामकाज देखेंगे। इसके बाद वह जोशीमठ का दौरा करेंगे। अभी तिथि निर्धारित नहीं हुई है। वह जोशीमठ ही नहीं पूरे हिमालय को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने जोशमठ के साथ अन्य दूसरी जगहों, जहां भूस्खलन, भूधंसाव जैसी दिक्कतें हैं, उन पर पीसीसी से रिपोर्ट मांगी है।

प्रश्न : जोशीमठ के मुद्दे पर कांग्रेस का स्टैंड क्या है? सरकार कहां चूक रही है?
उत्तर : कांग्रेस जोशीमठ आपदा प्रभावितों के साथ खड़ी है। सरकार को वन टाइम सेटेलमेंट करना चाहिए, जिनके घर टूटे हैं, जिनका रोजगार खत्म हो गया है, उन्हें बदरीनाथ की तर्ज पर मुआवजा देना चाहिए। टिहरी विस्थापितों की तर्ज पर मैदानी क्षेत्रों में विस्थापित करना चाहिए। इसके अलावा सरकार को जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए भी काम करना चाहिए।
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