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चारधाम देवस्थानम बोर्ड: अपने फैसलों पर अपनों से ही घिर गई थी भाजपा, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Wed, 01 Dec 2021 02:42 AM IST
सार

Chardham Devasthanam Board:  वरिष्ठ भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। 
 

Chardham Devasthanam Board: Bjp Leader Also Submitted Petition in High Court and Supreme Court
सुब्रह्मण्यम स्वामी - फोटो : फाइल फोटो

विस्तार
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चारधाम देवस्थानम बोर्ड का फैसला होने के बाद राज्य की भाजपा सरकार अपनों के ही विरोध से घिर गई थी। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पहले नैनीताल हाईकोर्ट में उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम, 2019 की सांविधानिक वैधता पर सवाल खड़ा करते हुए याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने सबरीमाला फैसले का उल्लेख करते हुए 21 जुलाई को इस अधिनियम को चुनौती देने वाली स्वामी की जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करते हुए कहा कि इन धामों में पूजा करने वाले लोग अलग धार्मिक संप्रदाय के हैं।



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ऐसे में धर्मस्थलों का प्रबंधन और उनका प्रशासन उनके अधिकार क्षेत्र में होना चाहिए। इनके प्रबंधन में किसी तरह की दखलंदाजी सही नहीं है। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार, संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकारों का गला घोंट रही है। राज्य सरकार का यह कदम संविधान का मजाक उड़ाने वाला है। स्वामी के इस रुख से भाजपा की बहुत किरकिरी हुई। कांग्रेस ने भी इसे मुद्दा बनाया। उधर, चारधाम हक हकूकधारियों का विरोध भी बढ़ता ही जा रहा था।

जब त्रिवेंद्र को बैरंग लौटना पड़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे से ठीक पहले इसी महीने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत केदारनाथ गए थे। हेलीपैड से उतरने के बाद उन्हें आंदोलनकारी तीर्थ पुरोहितों, हक हकूकधारियों ने आगे नहीं बढ़ने दिया। लाख कोशिश करने के बाद भी वह नाकाम हुए और उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। इससे भी भाजपा में अंदरखाने कड़ा संदेश गया, जिसके बाद खुद मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों ने केदारनाथ का दौरा किया।

विरोध और कोविड में उलझा रह गया देवस्थानम बोर्ड

वैसे तो उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की स्थापना मंदिरों में सभी प्रक्रियाओं के साथ ही विकास कार्यों के लिए हुआ था, लेकिन बोर्ड अपनी स्थापना से केवल विरोध और कोविड में ही उलझा रह गया।

चारधाम देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट के माध्यम से कोविड के दौरान ऑनलाइन पूजा बुकिंग, बस बुकिंग, हेली सेवा, ऑनलाइन दान आदि की व्यवस्था की गई। जिन मंदिरों के लिए यह बोर्ड बनाया गया था, उनमें भी बोर्ड पूरी तरह से व्यवस्थाएं नहीं संभाल पाया। बोर्ड बनने के बाद कुछ महीने बाद ही कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया। फिर लॉकडाउन लग गया।

कोरोना की पहली लहर में चारधाम यात्रा ही शुरू नहीं हो पाई। दूसरी लहर में सीमित समय के लिए यात्रा शुरू हो पाई। चारधाम देवस्थानम बोर्ड अपनी स्थापना के साथ ही विरोध का सामना करता रहा। इस दौरान तमाम दुश्वारियां पेश आईं। बोर्ड के पदाधिकारी तैनात तो किए गए लेकिन श्राइन बोर्ड की तर्ज पर पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो पाया। 

बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन का कहना है कि बोर्ड ने पौड़ी आदि जगहों में कुछ मंदिरों में छोटे-छोटे काम शुरू किए थे। केदारनाथ में पहले ही केंद्र सरकार के सौजन्य से पुनर्निर्माण कार्य हो रहे हैं। बदरीनाथ में का मास्टर प्लान भी अलग से तैयार हो रहा है। बाकी मंदिरों में अभी बोर्ड का कामकाज शुरू नहीं हो पाया।
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