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CAG report revealed That Uttarakhand government could not recover 1386 crores from contractors and agencies
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CAG Report: कैग की रिपोर्ट में खुलासा, ठेकेदारों और एजेंसियों से 1386 करोड़ नहीं वसूल सकी उत्तराखंड सरकार
अमर उजाला ब्यूरो, भराड़ीसैंण
Published by: अलका त्यागी
Updated Wed, 15 Mar 2023 10:30 PM IST
सार
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Uttarakhand CAG Report Update: बुधवार को बजट सत्र के बाद विधानसभा के पटल पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट रखी गई।
उत्तराखंड सरकार वर्ष बीते दो वित्तीय वर्षों में ठेकेदारों और अलग-अलग एजेंसियों से 1386 करोड़ की वसूली नहीं कर पाई। इसमें कई मामले गलत भुगतान के होने के बावजूद वसूली की स्थिति बेहद खराब रही। इससे सरकार को सीधा आर्थिक नुकसान हुआ। वसूली की रकम से महज 4.44 करोड़ रुपये यानी 0.32 फीसदी राशि खजाने में पहुंच सकी।
बुधवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ। कैग ने राज्य के 55 विभागों, 32 सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रम और 53 अन्य संस्थाओं की राजस्व वसूली के साथ ही भुगतान की पड़ताल की तो पाया कि विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों को गलत भुगतान हुए। जबकि शुल्क के रूप में जो राशि विभाग को मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग इस दौरान सिर्फ साढ़े चार करोड़ की वसूली हो पाई। जबकि शेष 1386 करोड़ की वसूली अभी तक लटकी हुई है।
बता दें वर्ष 2019-20 के दौरान 770 प्रकरणों में 982.07 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हो पाई, सिर्फ 83 प्रकरणों में कुल 2.57 करोड़ रुपये वसूले जा सके थे। इसी तरह 2020-21 में 531 प्रकरणों में 404.64 करोड़ की वसूली नहीं हो पाई। इस वर्ष 109 प्रकरणों में 1.87 करोड़ रुपये ही वसूल किए जा सके।
सरकारी एजेंसियों ने ही कराया अवैध खनन
कैग ने राज्य में खनन के दौरान राजस्व चोरी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। कैग ने देहरादून जिले में ही तीन स्थानों पर अवैध खनन के साक्ष्य पाए। देहरादून में सरकार की निर्माण एजेंसियों ने 37.17 लाख मीट्रिक टन अवैध खनन का उपयोग किया। कैग ने कहा कि खनन विभाग, जिला कलेक्टर, पुलिस विभाग, वन विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम जैसी संस्थाएं अवैध खनन को रोकने और उसका पता लगाने में विफल रही हैं।
कुछ यूं हुआ गलत भुगतान, वसूली करना भूले विभाग
नागरिक उड्डयन विभाग : 2016 में हेमकुंड साहिब तक हेलिकॉप्टर शटल सेवा उपलब्ध कराने वाली मैसर्स प्रभातम एविएशन प्रा. लि. से 2.69 करोड़ का संचालन शुल्क और 45.12 लाख का ब्याज नहीं वसूला गया।
64 करोड़ का डबल भुगतान नागरिक उड्डयन विभाग : अधिकारियों व कर्मचारियों की उदासीनता के कारण कमजोर आंतरिक नियंत्रण से हेली कपंनी को 64 करोड़ का दो बार भुगतान किया गया। गणमान्य लोगों को हेलिकॉप्टर सेवाएं देने के संबंध में मूलभूत अभिलेख, पंजिका व स्वीकृतियां का रखरखाव तक नहीं था।
89 लाख खर्च दिए, 12 प्रतिशत ही बना सभागार संस्कृत विभाग : संस्कृति विभाग ने बाजपुर में 300 सीटों की क्षमता वाला सभागार बनाने के लिए 4.96 करोड़ की प्रशासनिक व वित्तीय मंजूरी दी। लेकिन नवंबर 2015 तक 89.13 लाख खर्च से 12 फीसदी ही कार्य हुआ। अगस्त 2019 तक इसकी कोई भौतिक प्रगति नहीं थी। इस प्रकरण में 57.31 लाख रुपये बेकार हो गए।
ठेकेदार को किया 78.91 लाख का गलत भुगतान ग्रामीण विकास : पीएमजीएसवाई खंड कोटद्वार के अधिशासी अभियंता ने 78 लाख का गलत भुगतान कर दिया। 2014 में द्वारीखाल ब्लाक में रिंगालपानी-जसपुर से ग्वील-गढ़कोट मोटर मार्ग के पहले चरण के निर्माण के लिए 9.28 करोड़ की मंजूरी दी गई थी। विभाग ने ठेकेदार से ज्यादा का अनुबंध कर दिया। इस तरह ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
राजकोष को 50 लाख का नुकसान पर्यटन विभाग : उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद तथा सिंचाई खंड हरिद्वार ने स्टांप शुल्क की 50 लाख की वसूली नहीं की। 2019 में एक निजी ठेकेदार के साथ हरिद्वार में पार्किंग कॉम्पलेक्स की पार्किंग के लिए 100 रुपये स्टांप पर 5.02 करोड़ प्रति वर्ष में आवंटित कर दी थी।
पांच गुना जुर्माना नहीं लगाया, 104 करोड़ का नुकसान खनन विभाग : देहरादून में निर्माण एजेंसियों ने 2017-18 से 2020-21 के दौरान 26.02 करोड़ रुपये की रॉयल्टी जमा की। बिना निर्माण कार्य में उप-खनिजों का उपयोग किया गया था। खनन नियमावली के अनुसार, रॉयल्टी का पांच गुना जुर्माना वसूला जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे 104.08 करोड़ का नुकसान हुआ।
अवैध खनन पर अर्थदंड न वसूलने से 1.24 करोड़ की क्षति
2018 में बागेश्वर में ठेकेदार ने 4,536 घन मीटर क्षेत्र में अवैध खनन किया। इसके लिए उसने दो लाख रुपये अर्थदंड जमा किया। विभाग को रॉयल्टी के पांच गुना 44.11 लाख रुपये की राशि का नुकसान हुआ। कैग ने कहा कि राज्य में उप खनिजों के अतिरिक्त भंडारण पर अर्थदंड नही लगाया गया, जिससे 2.72 करोड़ का नुकसान हुआ। वस्तु एवं सेवा कर के तहत व्यापारी चार डुप्लीकेट प्रपत्र सी की बिक्री पर 22 लाख का नुकसान हुआ। राज्य कर विभाग में व्यापारियों से मान्यता प्रमाणपत्र न लिए जाने से 3.52 करोड़ का नुकसान हुआ।
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