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ट्रेन से हाथियों के टकराने की घटनाओं को रोकने के लिए जंगलात और रेलव आगे आया है। लालकुआं-गूलरभोज के बीच वहां रैंप बनाए जाएंगे जहां से अक्सर हाथी रेलवे ट्रैक पार करते रहते हैं। इसके अलावा पटरी के किनारे पेड़ों की कटाई-छंटाई करने की भी योजना है जिससे ड्राइवर को रेलवे ट्रैक के आसपास का क्षेत्र और बेहतर ढंग से नजर आए।
रेलवे ट्रैक पर कई हाथी ट्रेन से टकराकर मर चुके हैं। बीते दस साल में लालकुआं से गूलरभोज तक आठ हाथियों की मौत ट्रेन के आगे आने से हो चुकी है। वर्ष-2021 में ट्रेन से टकराने पर तीन हाथियों की मौत हो गई थी। इस पर रेलवे ने हाथी के मूवमेंट वाले इलाकों में ट्रेनों की गति कम कर 30 किमी प्रतिघंटा कर दी थी जिससे हादसों को रोका जा सके। इससे हादसों में काफी हद तक कमी भी आई।
मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं पीके पात्रो कहते हैं कि हाथियों को ट्रेन से होनी वाली दुर्घटनाओं से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। राजाजी नेशनल पार्क में हादसे रोकने के लिए रैंप बनाने का प्रयास सफल रहा है। कुछ इसी तर्ज पर रैंप बनाने की योजना है जिससे हाथी आसानी और तेजी से रेलवे ट्रैक को पार कर सकें।