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क्रिकेट के मैदान में नस्लीय टिप्पणी की कई घटनाएं होने के बावजूद न तो क्रिकेट बोर्ड चेते हैं और न ही आईसीसी ने इस पर अपनी आंख तरेरी है। आईसीसी ने इन्हें लेकर कड़े नए नियम-कानून बना रखे हैं। इन्हें लागू करने की जिम्मेदारी स्थानीय क्रिकेट एसोसिएशन की होती है। दर्शकों पर नियंत्रण और क्रिकेटरों को नस्लभेदी टिप्पणी से बचाने के लिए स्टेडियम में उड़नदस्तों की तैनाती और उनकी लगातार वीडियो शूटिंग की भी व्यवस्था है। सिडनी में सिराज और बुमराह पर पहले दिन की नस्लीय टिप्पणी के बाद भी क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) नहीं चेता।
बीसीसीआई की कानूनी कमेटी के पूर्व सदस्य वकील अभय आप्टे साफ करते हैं कि आईसीसी ने भेदभाव विरोधी कड़े कानून बनाए हैं। जब तक उन्हें स्थानीय क्रिकेट एसोसिएशन कड़ाई से लागू नहीं करेंगी तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।
मिले कड़ी सजा :
महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आप्टे के मुताबिक कानून हमेशा कड़े बनाए जाते हैं लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं होता है। क्रिकेटरों पर दर्शकों की ओर से वर्षों से नस्लीय टिप्पणियां हो रही हैं। उन्हें सजा के तौर पर महज मैदान से बाहर निकालकर छोड़ दिया जाता है। इसके बाद उनका कुछ नहीं होता है। सिडनी में भी यही किया गया है। जब तक नस्लीय टिप्पणी करने वालों को कड़ा संदेश नहीं दिया जाएगा। तब तक इन पर रोक नहीं लगेगी। सिडनी में टिप्पणी करने वाले जिन दर्शकों को मैदान से बाहर निकाला गया है अगर उनके नाम सार्वजनिक किए जाते या फिर फोटो निकाले जाते तो इसका आगे प्रभाव देखने को मिलता।
क्रिकेट के मैदान में नस्लीय टिप्पणी की कई घटनाएं होने के बावजूद न तो क्रिकेट बोर्ड चेते हैं और न ही आईसीसी ने इस पर अपनी आंख तरेरी है। आईसीसी ने इन्हें लेकर कड़े नए नियम-कानून बना रखे हैं। इन्हें लागू करने की जिम्मेदारी स्थानीय क्रिकेट एसोसिएशन की होती है। दर्शकों पर नियंत्रण और क्रिकेटरों को नस्लभेदी टिप्पणी से बचाने के लिए स्टेडियम में उड़नदस्तों की तैनाती और उनकी लगातार वीडियो शूटिंग की भी व्यवस्था है। सिडनी में सिराज और बुमराह पर पहले दिन की नस्लीय टिप्पणी के बाद भी क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) नहीं चेता।
बीसीसीआई की कानूनी कमेटी के पूर्व सदस्य वकील अभय आप्टे साफ करते हैं कि आईसीसी ने भेदभाव विरोधी कड़े कानून बनाए हैं। जब तक उन्हें स्थानीय क्रिकेट एसोसिएशन कड़ाई से लागू नहीं करेंगी तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।
मिले कड़ी सजा :
महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आप्टे के मुताबिक कानून हमेशा कड़े बनाए जाते हैं लेकिन उनका इस्तेमाल नहीं होता है। क्रिकेटरों पर दर्शकों की ओर से वर्षों से नस्लीय टिप्पणियां हो रही हैं। उन्हें सजा के तौर पर महज मैदान से बाहर निकालकर छोड़ दिया जाता है। इसके बाद उनका कुछ नहीं होता है। सिडनी में भी यही किया गया है। जब तक नस्लीय टिप्पणी करने वालों को कड़ा संदेश नहीं दिया जाएगा। तब तक इन पर रोक नहीं लगेगी। सिडनी में टिप्पणी करने वाले जिन दर्शकों को मैदान से बाहर निकाला गया है अगर उनके नाम सार्वजनिक किए जाते या फिर फोटो निकाले जाते तो इसका आगे प्रभाव देखने को मिलता।