बिहार में पहले चरण का मतदान छिटपुट घटनाओं के बीच शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। कोरोना महामारी के बीच मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ और शाम 6 बजे समाप्त हो गया। चुनाव आयोग के मुताबिक 2.15 करोड़ पात्र मतदाताओं में से 1.12 करोड़ पुरुष और 1.01 करोड़ महिला व 599 ट्रांसजेंडर मतदाताओं ने अपने-अपने मताधिकार का उपयोग किया।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के बीच भोजपुर जिले के बड़हरा विधानसभा क्षेत्र के छीने गांव में राजद प्रत्याशी व विधायक सरोज यादव पर हमला किया गया। यादव ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले का आरोप लगाया है। लखीसराय के सूर्यगढ़ा में भी दो पक्षों के बीच मारपीट की घटना हुई। वहीं दो अलग-अलग जगहों पर दो लोगों की मौत हो गई। पहली मौत सासाराम के काराकाट विधानसभा क्षेत्र के उदयपुर गांव में मतदान केंद्र पर एक अधेड़ की मौत हो गई। वहीं, नवादा के एक मतदान केंद्र पर भाजपा के पोलिंग एजेंट की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। कुछ जगहों पर ईवीएम में खराबी से मतदान में कुछ समय के लिए व्यवधान उत्पन्न हुआ। औरंगाबाद जिले के ढिबरा इलाके से सुरक्षाबलों ने दो आईईडी को निष्क्रिय किया। नक्सल प्रभावित 26 सीटों पर शाम चार बजे तक ही मतदान का समय था।
औरंगाबाद में पेट्रोलिंग वाहन पलटा छह जवान जख्मी
चुनाव आयोग ने कहा कि 31,371 मतदान केंद्रों पर 41,689 बैलेट यूनिट, 31,371 कंट्रोल यूनिट और 31,371 वीवीपैट दी गई थी। इनमें से सुबह 10 बजे तक 0.18 फीसदी बैलट यूनिट, 0.26 फीसदी कंट्रोल यूनिट और 0.53 फीसदी वीवीपैट को बदलना पड़ा। औरंगाबाद में पेट्रोलिंग के दौरान सीआरपीएफ का वाहन धावा नदी पुल के पास पलट गया। हादसे में चालक एवं सीआरपीएफ की छह महिला जवान घायल हो गईं हैं। दो की हालत गंभीर है। इधर, गया में मंत्री और भाजपा उम्मीदवार प्रेम कुमार पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ है।
जहानाबाद में संगीनों के साये में मतदान
चुनाव के प्रथम चरण में जहानाबाद जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों घोसी, मखदुमपुर और जहानाबाद में चुनाव संगीन के साये में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। उत्साह में थोड़ी कमी देखने को जरूर मिली। इस बार के चुनाव में कई समीकरण ध्वस्त दिखे। तमाम उलझनों के बीच एनडीए के घटक दल रहे लोजपा ने भी चुनावी अखाड़े में अपना उम्मीदवार देकर समीकरणों में भारी उलट-फेर कर दिया है।
जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में जहां लोजपा प्रत्याशी ने सवर्ण मतों को अपने पक्ष में रिझाते हुए जदयू प्रत्याशी के वोटों में सेंध लगाकर अपनी मजबूत दावेदारी का अहसास कराया, जिसका सीधा फायदा राजद को मिला है। कोविड-19 को देखते हुए जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों के तमाम बूथों पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क, सैनिटाइजर और ग्लब्स का प्रयोग किया गया. वहीं सुरक्षा मानकों के अनुरूप संगीन के साये में हर जगह शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न हुआ। सुदूर इलाकों में घोड़े पर सवार पुलिस के जवान भी गश्ती करते दिखे। जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में करीब 49 फीसदी वोट पड़े। मखदुमपुर विधानसभा क्षेत्र में करीब 51 फीसदी एवं घोसी विधानसभा क्षेत्र में करीब 54 फीसदी वोट पड़े। पहली बार वोट करनेवाले मतदाताओं में उत्साह का माहौल देखा गया।
शेखपुरा में 56 फीसदी से अधिक हुआ मतदान
शेखपुरा। जिले के दोनों विधानसभा क्षेत्र शेखपुरा और बरबीघा में कुल 56 फीसदी मतदान हुआ। शेखपुरा विधानसभा क्षेत्र में 56.22 फीसदी और बरबीघा विधानसभा क्षेत्र में 55.66 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह मतदान प्रतिशत 2015 के चुनाव से ज्यादा दर्ज किया गया। पिछले विधानसभा चुनाव में शेखपुरा
विधानसभा में 55.61 फीसदी और बरबीघा विधानसभा में 54.53 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था। कड़ी सुरक्षा में सवेरे 7 बजे से संध्या 6 बजे तक मतदान हुआ।
महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी दिखायी। मतदान शुरू होने के पूर्व ही कई मतदान केंद्रों पर लंबी कतार लगनी शुरू हो गयी थी। बड़ी संख्या में पहली बार वोट डालने वाले युवाओं में भी उत्साह देखा जा रहा था. हालांकि, कई स्थानों पर कोरोना के नियमों के तहत आवश्यक दूरी का अभाव था।
2015 के मुकाबले पहले चरण के मतदान में मामूली कमी
पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार पहले चरण में मतदान में मामूली कमी आई। कोरोना काल में हुए इस चुनाव में कई चुनाव क्षेत्रों में खासा उत्साह दिखा। मतदाता कतार में दिखे। कई स्थानों पर कोरोना को लेकर लापरवाही भी दिखी। कोरोना, बाढ़ और मतदाताओं की उदासीनता के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अंतिम दौर में मतदान की फीसदी में तेजी आई। यह तुलनात्मक लिहाज से औसत मतदान है। न ज्यादा, न बेहद कम। दरअसल, कम मतदान प्रतिशत से सत्ता परिवर्तन की पटकथा लिखी जाती रही है। जाहिर तौर पर कम मतदान की आशंकाओं के बीच बूथ प्रबंधन चुनाव में दिखा। दलों के पास अपने समर्थक मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाने की बड़ी चुनौती रही। 2015 में इन्हीं 16 जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में 54.94 फीसदी मतदान हुआ था। इस बार बहुत मामूली कमी आकर अब तक 54.26 फीसदी का आंकड़ा है। इन आंकड़ों में मामूली बदलाव के बाद लगभग बराबर भी हो सकता है।
मतदान का गणित
बीते छह चुनाव से कम मतदान के कारण राज्य में सत्ता परिवर्तन हुए हैं। खासतौर पर पचास फीसदी से कम मतदान के कारण सत्तारूढ़ दल को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। मसलन साल 1995 से से अब तक बिहार में छह चुनाव हुए है। इन चुनावों में साल 2005 के फरवरी महीने में हुए चुनाव में 46.50 फीसदी वोट पड़े। यह पिछले चुनाव से 16 फीसदी कम था। कम मतदान का परिणाम त्रिशंकु विधानसभा के रूप में आया। सत्तारूढ़ राजद को भारी घाटा उठाना पड़ा। हालांकि विधानसभा भंग होने के बाद इसी साल अक्तूबर महीने में हुए चुनाव में करीब एक फीसदी कम मतदान हुआ। इसके साथ ही राज्य की सत्ता से लालू-राबड़ी राज की विदाई हो गई। तब से राज्य में नीतीश की अगुआई में सरकार है।
ज्यादा वोट मतलब सत्ता सुरक्षित
बीते छह चुनाव में ज्यादा मतदान से सत्तारूढ़ दल को लाभ होता आया है। साल 1995 और साल 2000 में क्रमश: 61.79 और 62.6 फीसदी वोट पड़े। इसका लाभ सत्तारूढ़ राजद को हुआ। दोनों बार राजद की सरकार बची। इसके बाद साल 2010 और 2015 में क्रमश: 52.73 और 56.91 प्रतिशत वोट पड़े। इन दोनों ही चुनाव में नीतीश कुमार एक बार भाजपा तो दूसरी बार राजद की सहायता से अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रहे।