बिहार के अंग क्षेत्र में चुनावी लड़ाई बहुत हद तक साफ दिख रही है। यहां की दो ध्रुवीय लड़ाई कोई भी महसूस कर सकता है। बेगूसराय-खगड़िया का तीखा मिजाज और भागलपुरिया चासनी जबान यहां सब कुछ साफ कर देती है। अंग क्षेत्र की 16 सीटों में से पिछली बार 8 पर जदयू ने कब्जा जमाया था। 5 सीट राजद के खाते में गई थी और 3 कांग्रेस के। भाजपा यहां हवा हो गई थी।
बेगूसराय के खूबसूरत काबर झील और पक्षी अभयारण्य में बड़ी संख्या में रंग-बिरंगे पंछी दिखने लगे हैं। इसी तरह चुनाव में किस्म-किस्म के नेता, भांति-भांति की पार्टियां और तरह-तरह के नारे भी दिख रहे हैं।
जिले की 7 सीटों पर दूसरे चरण में 3 नवंबर को मतदान है। 2015 में इन सात सीटों में से 3 पर जदयू, 2 पर कांग्रेस और 2 सीटों पर राजद को जीत मिली थी। बेगूसराय में इस बार कांग्रेस की मौजूदा विधायक अमिता भूषण की सीधी टक्कर भाजपा के कुंदन सिंह से दिख रही है।
जिले के साहेबपुर कमाल से राजद ने मौजूदा विधायक नारायण मंडल की जगह सतानंद संबुद्ध को मैदान में उतारा है। जदयू ने शशिकांत शशि को टिकट दिया है।
बोगो सिंह और मंजू वर्मा पर नजर
मटिहानी में बाहुबली नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह जदयू प्रत्याशी हैं। मौजूदा विधायक बोगो सिंह के खिलाफ महागठबंधन की ओर से माकपा उम्मीदवार राजेंद्र सिंह मैदान में हैं। तेघड़ा सीट पर विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह एक बार फिर जदयू उम्मीदवार हैं।
महागठबंधन की तरफ से भाकपा के रामरतन सिंह ताल ठोक रहे हैं। जिले की चेरिया बरियारपुर सीट पर जदयू ने अपने मौजूदा विधायक मंजू वर्मा पर ही भरोसा जताया है। राजद ने यहां राजवंशी महतो को टिकट दिया है।
2015 में बछवाड़ा से विधायक चुने गए कांग्रेस नेता रामदेव राय का कुछ दिनों पहले निधन हुआ है। महागठबंधन में यह सीट इस बार भाकपा के खाते में है। भाकपा ने यहां से अवधेश राय को मैदान में उतारा है। भाजपा ने सुरेंद्र मेहता पर दांव लगाया है। बखरी सीट सुरक्षित है।
राजद ने यहां अपने मौजूदा विधायक उपेंद्र पासवान को बेटिकट कर सीट भाकपा को दे दी है। भाकपा ने सूर्यकांत पासवान पर दांव लगाया है। भाजपा ने रमाशंक पासवान को टिकट दिया है।
खगड़िया की लाल-तीखी मिर्च, चिनिया केला और मक्के के जायके पर इलाके की अर्थव्यवस्था पर भी टिकी है। लेकिन 1990 के बाद बिहार में बढ़े अपराध की वजह से बाहरी व्यापारियों ने खगड़िया से अपना व्यवसाय बंद कर दिया और लाल मिर्च वाले तीखेपन को किसी की काली नजर लग गई। तब से अब तक किसानों की दुर्दशा जस की तस है। बिहार में किसान राजनीति धारदार नहीं है।
लिहाजा खगड़िया में किसानों की दुर्दशा कोई मुद्दा नहीं है। 2015 में जिले की 4 सीटें खगड़िया, अलौली, बेलदौर और परबत्ता में से तीन पर जदयू ने परचम लहराया। एक सीट राजद के खाते में गई। जिले की खगड़िया सीट पर जदयू ने अपने विधायक पूनम देवी यादव पर ही भरोसा जताया है।
कांग्रेस ने यहां छत्रपति यादव को मैदान में उतारा है। जिले की अलौटी सीट पर राजद ने अपने विधायक चंदन कुमार का टिकट काट दिया है। पार्टी ने रामवृक्ष सदा को अपना उम्मीदवार बनाया है। जदयू ने साधना सदा पर दांव लगाया है।
जिले की बेलदौर सीट पर जदयू ने अपने मौजूदा विधायक पन्नालाल पटेल को उतारा है जबकि कांग्रेस ने चंदन यादव को। यहां 18 लोग मैदान में हैं। परबत्ता से जदयू ने रामानंद प्रसाद सिंह को बेटिकट कर संजीव कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। राजद ने दिंगबर चौरसिया को मैदान में उतारा है।
सिल्क सिटी भागलपुर का हाल
भागलपुर को प्रमुख सिल्क उत्पादक के रूप में जाना जाता है। यहां आपको चीनी और चावल की खूब मिलें दिख जाएंगी। इस शहर पर कभी अंग नरेश कर्ण का शासन था। 2015 में भागलपुर की पांच सीटों में से 2 पर राजद, 2 पर जदयू और 1 सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। भाजपा यहां जीरो पर आउट हो गई थी।
इस बार जिले की भागलपुर सीट पर कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक अजित शर्मा को मैदान में उतारा है। भाजपा ने रोहित पाण्डेय को मैदान में उतार कर जोर लगा दिया है।
जिले की नाथनगर सीट से जदयू ने अपने विधायक लक्ष्मीकांत मंडल को ही मैदान में उतारा है। राजद ने अली अशरफ को टिकट दिया है। जिले की पीरपैंती सीट पर राजद ने विधायक रामविलास पासवान को टिकट दिया है। भाजपा ने यहां ललन कुमार को मैदान में उतारा है।
भाजपा के बागी अमन पासवान यहां भाजपा का खेल बिगाड़ते दिख रहे हैं। जिले की गोपालपुर सीट पर जदयू ने अपने मौजूदा विधायक नरेंद्र कुमार नीरज को टिकट ना देकर गोपाल मंडल को अपना उम्मीदवार बनाया है। राजद ने शैलेश कुमार को मैदान में उतारा है। बिहपुर सीट से बुलो मंडल पत्नी वर्षा रानी राजद विधायक हैं।
राजद इस बार यहां से पूर्व सांसद बुलो मंडल को मैदान में उतारा है। भाजपा ने कुमार शैलेंद्र पर भरोसा जताया है।